कनाडा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) में हुए एक अध्ययन से एचआईवी के नए मरीजों के उपचार से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नियमों में बदलाव हो सकता है। इस स्टडी के आधार पर इन वैज्ञानिकों ने एचआईवी ट्रीटमेंट में एक नई जानकारी जोड़ने को कहा है, जिसका असर हर साल करीब 20 लाख एचआईवी संक्रमित लोगों पर पड़ सकता है। अध्ययन में पता चला है कि डोलुटेग्रेवर नाम की एक दवा एचआईवी के उन मरीजों के लिए सबसे अच्छा प्राथमिक मेडिकेशन है, जिनमें इस संक्रमण की नई-नई पहचान हुई है। 

मेडिकल जानकारों ने कहा है कि कई सालों से एचआईवी के नए मरीजों के प्राथमिक इलाज के रूप में इस दवा के इस्तेमाल को लेकर स्पष्टता नहीं रही है, लेकिन अब यूबीसी के वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि कर दी है। इस संबंध में उनके अध्ययन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मान्यता दी है। वह पहले ही एचआईवी के एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट की अपनी गाइडलाइंस में बदलाव कर उसमें डोलुटेग्रेवर को शामिल कर चुका है। इस महत्वपूर्ण जानकारी को प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका दि लांसेट ने एक अन्य मेडिकल जर्नल ईक्लिनिकल मेडिसिन में प्रकाशित किया है।

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अध्ययन के प्रमुख लेखक और यूबीसी में स्कूल ऑफ पॉप्युलेशन एंड पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर डॉ. स्टीव कैंटर्स का कहना है, 'अध्ययन डब्ल्यूएचओ की 2016 की उन गाइडलाइंस का समर्थन करता है, जिनमें कहा गया था कि (एचआईवी के खिलाफ) डोलुटेग्रेवर सक्षम और सहनीय है, लेकिन कुछ विशेष लोगों (जैसे गर्भवती महिलाओं और एचआईवी-टीबी दोनों से एकसाथ जूझ रहे मरीज) पर इसके प्रभाव और सुरक्षा को लेकर तस्वीर साफ नहीं थी। 2018 में आए एक नए शोध में बताया गया था कि इस ट्रीटमेंट को लेते समय जो महिलाएं गर्भवती हुई थीं, उनमें गंभीर न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का खतरा गंभीर रूप से बढ़ गया था।'

डोलुटेग्रेवर से विपरीत रिएक्शन होने का मतलब था कि एचआईवी के इलाज के लिए अन्य ट्रीटेमेंट्स से बेहतर होने के बाद भी इसे प्राइमरी ट्रीटमेंट के रूप में एंटीरेट्रोवायरल दवा ईफेविरेंज के साथ केवल विकल्प के तौर पर रेकमेंड किया जा सकता था। लेकिन अब ताजा अध्ययन के बाद डोलुटेग्रेवर को एचआईवी के इलाज के लिए सिंगल मेडिकेशन ड्रग के रूप में रेकमेंड करने की तैयार की जा रही है, क्योंकि परिणामों में यह दवा ईफेविरेंज से ज्यादा असरदार साबित हुई है।

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डॉ. कैंटर्स का कहना है कि डोलुटेग्रेवर ने एचआईवी को अप्रभावी करने के लिए बढ़ी हुई संख्या में वायरस सप्रेशन पैदा करने काम किया है, जो एचआईवी ट्रीटमेंट से जुड़े अंतरराष्ट्रीय उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिहाज से उल्लेखनीय है। इस बारे में प्रोफेसर कैंटर्स ने कहा है, 'हमें वायरल सप्रेशन की संभावना में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का पता चला है। इसका मतलब है कि (एड्स के) जो मरीज अपना इलाज इस दवा के साथ शुरू करेंगे वे एचआईवी को सफलतापूर्वक नियंत्रित कर पाएंगे।' 

डोलुटेग्रेवर की एक और अच्छी बात यह पता चली है कि यह ड्रग उन एचआईवी मरीजों के लिए भी असरदार है, जिन पर एनएनआरटीआई श्रेणी के एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स, जैसे ईफेविरेंज, का प्रभाव नहीं पड़ता। यह समस्या हाल के समय में बढ़ी है। ऐसे में डोलुटेग्रेवर एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आया है। इसके अलावा, दवा के संभावित विपरीत प्रभावों के प्रति ज्यादा संवेदनशील लोगों की बात करें तो गर्भवती महिलाओं पर ईफेविरेंज और डोलुटेग्रेवर से समान दर पर रिएक्शन होते हैं। वहीं, ईफेविरेंज की अपेक्षा डोलुटेग्रेवर लेने से न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का खतरा 0.3 प्रतिशत कम पाया गया है।

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