ज्यादातर सर्दियों में तापमान कम होने के कारण जोड़ों के दर्द सहित विभिन्न प्रकार की बिमारियों की समस्या होने लगती है। हालांकि इस स्थिति का इलाज करने के लिए बहुत सारी दवाइयां हैं। लेकिन दुष्प्रभावों के बिना आयुर्वेद में इन समस्याओं के लिए स्थायी इलाज है। तो चलिए जानते हैं सर्दियों के मौसम में दर्द से राहत पाने के लिए आप आयुर्वेदिक तेलों का उपयोग कैसे कर सकते हैं।

सर्दियों के मौसम में हवा, ठंड और शुष्कता के कारण वात दोशा की विशेषताएं बढ़ जाती हैं। इसलिए मौसम के प्रभाव के कारण विशेष रूप से जोड़ों में वात दोष की गतिविधिया बढ़ जाती हैं। वात बढ़ने के कारण हमारे जोड़ों में स्नेहन तरल पदार्थ अवशोषित होता है। इससे जोड़ों में दर्द, कठोरता और सूजन की समस्या हो जाती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा उन ऊतकों से छुटकारा दिलाती है जो ऊतकों में एम्बेडेड होती हैं, और साथ ही साथ रक्त परिसंचरण के लिए द्रव्यमान में मदद भी करती है। यह दर्द को कम करने में भी मदद करती है। गर्म तेल मालिश शरीर के लिए सुखदायक और कायाकल्प होता है और वात दोष के कारण हुए असंतुलन को कम करने में सहायता करता है।

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तो चलिए जानते हैं कौन से आयुर्वेदिक तेल हैं जो जोड़ों के दर्द से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।

धन्वंतराम एक आयुर्वेदिक तेल जो शरीर में अतिरिक्त वात के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है। यह रयूमेटाइड आर्थराइटिस, अस्थिसंध्यार्ति या ऑस्टियो आर्थराइटिस, स्पोंडिलोसिस,  सिरदर्द और न्यूरो-पेशी की समस्याओं में भी मदद करता है। यह तेल बाला, यवा, कोला और कुलथा जैसी जड़ी बूटियों के संयोजन से बना है। इसका इस्तेमाल प्रतिदिन किया जा सकता है।

कोट्टम चुक्कड़ी तेल किसी व्यक्ति के शरीर में अत्यधिक वात के कारण होने वाले बीमारियों के इलाज के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यह मुख्य रूप से जोड़ों में दर्द और सूजन को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है और विशेष रूप से कटिस्नायुशूल (पीठ के निचले हिस्से), गठिया और स्पोंडिलोसिस से पीड़ित लोगों के लिए उपयोगी है। यह तेल अदरक, वासंबू, लहसुन, मारीआआ, सरसों, तिल का तेल, दही और इमली का रस जैसे सामग्री से बना है। यह तेल नियमित रूप से इस्तेमाल करने पर लम्बे समय तक राहत देने में मदद करता है। 

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पेंदा थाईलाम एक ठंडा तेल है जिसे आमतौर पर गठिया संबंधी विकारों के लिए बनाया गया है। यह जोड़ों में दर्द और सूजन से राहत देने के लिए अत्यंत प्रभावी है । विशेषकर इसे पित्त के उच्च स्तर वाले लोगों के लिए बनाया गया है। यह तेल हड्डियों के क्षरण को कम करने तथा गठिया और जोड़ों के रोगों की प्रगति को धीमा करने में मदद करता है।

वालिया नारायण तेल विलवा, अस्वगंधा, बृहती और तिल के बीज को मिला कर बनाया जाता है। यह तेल गठिया (Arthritis) के कारण जोड़ों के दर्द से राहत प्रदान करने में मदद करता है। यह शरीर में वात और पित्त के स्तर को संतुलित रखने में मदद करता है। साथ ही यह आंखों और तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकारों के इलाज में भी उपयोगी है।

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