नए कोरोना वायरस (सीओवीआईडी-19) ने चीन के बाद पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। हर दिन हजारों केस सामने आ रहे हैं। हालांकि चीन में यह जानलेवा विषाणु नियंत्रित होता दिख रहा है। लेकिन यूरोप और अमेरिका में हर दिन नए मरीज बढ़ रहे हैं। इन सबके बीच वैज्ञानिकों ने अमेरिका को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की है।

एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि अगर कोरोना वायरस को फैलने से नहीं रोका गया तो यह अमेरिका में एक बहुत बड़ी वयस्क आबादी के गंभीर रूप से बीमार होने की वजह बन सकता है। इसकी वजह अमेरिकी लोगों में पहले से मौजूद कोई बीमारी हो सकती है, जो कोरोना वायरस के चलते और ज्यादा खतरनाक हो सकती है।

अमेरिका के जाने-माने गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) ‘केजर फैमिली फाउंडेशन’ ने ग्लोबल हेल्थ पॉलिसी के तहत एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसके मुताबिक, सीओवीआईडी-19 की वजह से अमेरिका में दस करोड़ से ज्यादा लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।

बुजुर्ग लोगों पर मंडरा रहा ज्यादा खतरा
एनजीओ की रिपोर्ट के मुताबिक, इन दस करोड़ लोगों में 60 साल से कम उम्र के करीब तीन करोड़ लोग शामिल हैं। वहीं, 60 साल या उससे अधिक उम्र के सात करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना वायरस के संपर्क में आने से गंभीर स्वास्थ्य स्थिति में आ सकते हैं। इनमें उन 13 लाख लोगों पर अधिक खतरा मंडरा रहा है जो अमेरिका के छोटे निजी अस्पतालों में भर्ती हैं।

रिपोर्ट में अमेरिकी हेल्थ विशेषज्ञ वायट कोमा और उनके सहयोगी वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि कोरोना वायरस के संपर्क में आने से हर 10 में से चार अमेरिकी एक बड़े स्वास्थ्य खतरे में हैं, जिन्हें बाद में गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। इस बारे में कोमा कहते हैं, ‘इसलिए वैज्ञानिक सुझाव देते हैं कि हमें वायरस को फैलने से रोकने के लिए अधिक प्रयास की जरूरत है।’

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क्या है वजह?
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोरोना वायरस के प्रभाव में आए ज्यादातर लोगों में या तो इसके कोई लक्षण नहीं आते या अपनेआप ही खत्म हो जाते हैं। लेकिन अमेरिका के लिए चिंता की बात यह है कि यहां की कुल वयस्क आबादी (साल 2018 के हिसाब से 25.8 करोड़) का 41 प्रतिशत हिस्सा उस श्रेणी में आता है, जो पहले से किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त है और कोरोना वायरस की वजह से और ज्यादा बीमार पड़ सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ की जानकारी और अमेरिकी लोगों की सेहत से जुड़ा यह तथ्य बताता है कि अगर कोरोना वायरस यहां बड़े पैमाने पर फैलता है, तो अमेरिकी जनसंख्या का बड़ा हिस्सा गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय स्तर के आंकड़ों और अमेरिका की सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी से मिली जानकारी के आधार पर पाया कि वहां 60 साल या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों में बीमारी का खतरा अधिक है। वहीं, 18 से 59 साल की उम्र के युवाओं और वयस्कों में भी अन्य बीमारियों के चलते जोखिम बढ़ सकता है। इनमें कैंसरहृदय रोग, डायबिटीज और श्वसन संबंधी बीमारियां शामिल हैं। हालांकि शोधकर्ता हाइपरटेंशन (हाई बीपी) से संबंधित आंकड़ों का पता नहीं लगा सके। दरअसल जिस सर्वे से आंकड़े इकट्ठे किए गए, उसमें हाइपरटेंशन को शामिल नहीं किया गया था।

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रिपोर्ट में वायट कोमा कहते हैं कि अगर वे कोरोना वायरस के चलते गंभीर बीमारियों की चपेट में आने वाले अमेरिकी लोगों में हाइपरटेंशन के मरीजों को भी जोड़ते तो यह संख्या दस करोड़ के पार जाती। कोमा की यह बात इस मायने में महत्वपूर्ण है कि अमेरिका में हाई बीपी की समस्या से करोड़ों लोग ग्रस्त हैं। बता दें कि ‘अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन’ के मुताबिक हर तीन अमेरिकियों में से एक हाई बीपी की समस्या से जूझ रहा है।

4,700 से ज्यादा कोरोना वायरस की चपेट में
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका में कोरोना वायरस से हजारों लोग ग्रस्त पाए गए हैं। ताजा रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिका में अभी तक 4,700 से ज्यादा लोग सीओवीआईडी-19 की चपेट में आ चुके हैं। वहां इस जानलेवा विषाणु को रोकने के प्रयास नाकाफी साबित होते दिख रहे हैं। इसके चलते अब तक 93 लोगों की मौत हो चुकी है। हालात ऐसे हैं कि अभी तक केवल 74 लोगों को रिकवर होने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिली है।

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