कैंसर - Cancer in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

May 22, 2017

February 05, 2024

कैंसर
कैंसर

भूमिका

कैंसर कई रोगों का एक समूह है, जिसमें कोशिकाएं असाधारण रूप से बढ़ने लग जाती हैं। ये कोशिकाएं बढ़ कर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं, जो असाधारण रूप से बढ़ी हुई चर्बी की एक गांठ होती है।

कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से या अंग में मौजूद कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है। इसमें प्रभावित कोशिकाएं विभाजित होती रहती हैं या फिर फैलने लगती है। इसके परिणामस्वरूप ट्यूमर बढ़ने लगता है या फिर कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है।

कैंसर में होने वाले ट्यूमर आमतौर पर दो प्रकार के होते, जिन्हें बिनाइन और मालिग्नैंट के नाम से जाना जाता है। बिनाइन ट्यूमर शरीर के एक से दूसरे हिस्से में नहीं फैलते है, जबकि मालिग्नैंट फैलने लग जाते हैं।

कैंसर के भिन्न प्रकारों के साथ इनके अंदरूनी कारण भी अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, सबसे आम प्रकार के कैंसरों के कारणों में मुख्यत: से अनुवांशिक रूप से होने वाले असाधारण बदलाव, तनाव, धूम्रपान, शराब का सेवन, कम फाइबर वाले भोजन, केमिकल रेडिएशन के संपर्क में आना और अन्य कई कारण हो सकते हैं।

कैंसर का पता लगाने के लिए सबसे पहले शारीरिक परीक्षण किया जाता है, इसके बाद एक्स रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और पीईटी स्कैन आदि भी किए जा सकते हैं।

कैंसर के कारणों व जोखिम कारकों से बच कर काफी हद तक कैंसर होने से रोकथाम की जा सकती है।

कैंसर का उपचार करने के लिए कई इलाज प्रक्रियाएं की जा सकती हैं, जिनमें मुख्य रूप से कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और कई सर्जिकल प्रक्रियाएं शामिल हैं। यदि कैंसर का पता शुरुआती चरणों में लगा लिया गया है अर्थात् कैंसर गंभीर नहीं हो पाया है, तो इलाज की मदद से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

हालांकि, हर बार इसे पूरी तरह से ठीक करना संभव भी नहीं होता है। ऐसे में इलाज प्रक्रियाओं की मदद से कैंसर के गंभीर होने और अन्य जटिलताएं होने से रोकने के लिए किया जाता है।

कैंसर क्या है - What is Cancer in Hindi

कोशिकाओं के असाधारण रूप से बढ़ने के विकार को कैंसर कहा जाता है। इस रोग में कोशिकाएं अनियंत्रित और अव्यवस्थित रूप से बढ़ने लगती हैं, जो शरीर की सामान्य विकास प्रणाली का हिस्सा नहीं होती है। विशेषज्ञों के अनुसार डीएनए में असामान्य बदलाव या उत्परिवर्तन (Mutation) ही कैंसर के अधिकतर प्रकारों का कारण बनता है।

हालांकि, ट्यूमर में मौजूद सभी प्रकार की कोशिकाएं एक समान नहीं होती हैं। ट्यूमर में सिर्फ एक प्रतिशत कैंसर स्टीम सेल (सीएससी) मौजूद होती हैं। सीएससी देखने में काफी हद तक सामान्य शरीर कोशिकाओं के समान प्रतीत होती हैं, लेकिन इनमें आत्म-नवीकरण की क्षमता होती है। ये वही कोशिकाएं हैं, जो कैंसर को फैलने में मदद करती हैं। ये कोशिकाएं विभाजित और बदलाव की प्रक्रिया शुरू करके नया कोशिका ट्यूमर बना देती हैं।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार कैंसर दुनियाभर में मृत्यु दर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।

कैंसर के लक्षण - Symptoms of Cancer in Hindi

कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या हैं - कैंसर की क्या पहचान है?

कैंसर शरीर के किस हिस्से में हुआ है लक्षण भी उसी के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ विशिष्ट लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जो कैंसर के प्रकार और कैंसर के स्थान पर निर्भर करते हैं। हालांकि कुछ अन्य लक्षण भी हैं, जो कैंसर के साथ देखे जा सकते हैं जैसे -

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से बात कर लेना बेहतर विकल्प है। ऐसा इसलिए क्योंकि कैंसर के कुछ प्रकारों को सिर्फ शुरुआती स्टेज में ही रोक पाना संभव होता है। इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि उपरोक्त सभी लक्षण कैंसर के सभी मरीजों में नहीं देखे जाते हैं, कुछ लोगों को कैंसर के अंतिम चरणों में अचानक से लक्षण दिखने लगते हैं। जबकि कुछ लोगों को तो कोई लक्षण महसूस ही नहीं होता है और जब वे किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के लिए जांच करवाते हैं उन्हें भी तब पता चलता है कि वे कैंसर से ग्रस्त हैं। इसलिए यदि आपको कम से लक्षण भी महसूस होने पर डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।

कैंसर के कारण - Causes of Cancer in Hindi

कैंसर कब, क्यों, कैसे होता है?

कैंसर आमतौर पर डीएनए में कुछ बदलाव या उत्परिवर्तन होने के कारण होता है। सरल भाषा में डीएनए को कोशिकाओं का मस्तिष्क कहा जाता है, जो उन्हें गुणन (मल्टीप्लाइकेशन) करने के निर्देश देता है। जब इन निर्देशों में कोई खराबी हो जाती है, तो कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लग जाती हैं और परिणामस्वरूप कैंसर विकसित हो जाता है।

कुछ पदार्थ भी हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं, उन्हें “कार्सिनोजन” कहा जाता है। कार्सिनोजन को कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। मुख्य कार्सिनोजन जैसे धुएं में मौजूद केमिकल और पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आदि शामिल हैं। इसके अलावा ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के कारण भी कुछ मामलों में कैंसर हो सकता है। हालांकि, किसी एक कार्सीनोजन को कैंसर के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। कुछ अन्य कार्सिनोजन भी हैं, जो आहार व स्वास्थ्य जैसे कारकों के साथ मिलकर कैंसर का कारण बन सकता है।

कैंसर होने का खतरा कब बढ़ता है?

कैंसर के सबसे मुख्य जोखिम कारकों में निम्न शामिल हैं -

  • तंबाकू या उससे बने उत्पाद जैसे सिगरेट या चुईंगम आदि का लंबे समय तक सेवन करना मुंह व फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है।
  • लंबे समय से अल्कोहल का सेवन करना लिवर कैंसर समेत अन्य कई हिस्सों में कैंसर होने के खतरे को बढ़ा देता है।
  • अस्वास्थ्यकर आहार और रिफाइंड खाद्य पदार्थ जिनमें फाइबर कम होता है, वे कोलन कैंसर होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
  • कुछ प्रकार के हार्मोन भी कैंसर का कारण बन सकते हैं, जैसे टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ना प्रोस्टेट कैंसर और एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ना ब्रेस्ट कैंसर होने के खतर को बढ़ा सकता है।
  • उम्र बढ़ने के साथ-साथ भी कुछ प्रकार के कैंसर होने का खतरा बढ़ता रहता है, जैसे कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर आदि।
  • अनुवांशिक दोष या उत्परिवर्तन भी कैंसर होने के खतरे को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए महिलाओं में BRCA1 या BRCA2 जीन में किसी प्रकार का उत्परिवर्तन होता है, तो ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • परिवार में पहले किसी को कैंसर होना भी इसका खतरा बढ़ा देता है, इसमें अधिकतर ब्रेस्ट कैंसर के मामले देखे जाते हैं।
  • कार्य के दौरान संपर्क में आने वाले कुछ हानिकारक पदार्थ भी कैंसर होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जैसे डाई, टार और एनिलाइन जैसे रसायन मूत्राशय में कैंसर होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
  • बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण से कुछ प्रणालीगत विकार पैदा हो जाते हैं, जो कैंसर के लिए एक पूर्व कारक के रूप में काम करते हैं। उदाहरण के रूप में एच पाइलोरी संक्रमण, पेट में कैंसर, हेपेटाइटिस बी और सी लिवर कैंसर और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस संक्रमण सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकता है।
  • लंबे समय से पराबैंगनी किरणों के संपर्क में रहना और बार-बार एक्स रे करवाने के कारण रेडिएशन के संपर्क में आना भी कैंसर होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
  • मोटापा भी कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। अधिक मात्रा में वसायुक्त आहार लेना और शारीरिक गतिविधियां कम करने से शरीर का संतुलन खराब होने लगता है और परिणामस्वरूप कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • तनाव को भी कैंसर का एक मुख्य जोखिम कारक माना जाता है, क्योंकि यह समस्त स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इसके अलावा हाल ही में हुऐ तनाव के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमजोर हो जाती है और परिणामस्वरूप कैंसर विकसित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

उम्र व अनुवांशिक स्थितियों से जुड़े जोखिम कारकों के अलावा अधिकतर कारकों को एक स्वास्थ्य जीवन शैली अपना कर और प्रदूषण आदि से बचाव करके मदद से कम किया जा सकता है। यदि आपके परिवार में पहले किसी को कैंसर है या फिर किसी अन्य कारण से आपको इसका अधिक खतरा है, तो जल्द से जल्द स्वस्थ जीवनशैली अपना कर इस खतरे को कम करने की जरूरत है।

(और पढ़ें - मोटापा कम करने के उपाय)

कैंसर के बचाव - Cancer prevention in Hindi

कैंसर होने से कैसे रोकें?

एक स्वस्थ जीवनशैली को अपना कर और जोखिम कारकों को कम करके कैंसर विकसित होने से बचाव किया जा सकता है। कैंसर से बचाव करने के लिए कुछ तरीके निम्न हैं -

  • धूम्रपान न करें
  • शराब न पिएं
  • धूप के संपर्क में न आएं
  • फाइबर युक्त आहार लें। आहार में अधिक वसा न लें और रेड मीट (पोर्क या बीफ) का इस्तेमाल न करें।
  • बाहर तैयार किया गया या डिब्बा बंद खाना न खाएं।
  • यदि आप कहीं ऐसी जगह काम करते हैं, जहां पर आपका रेडिएशन के संपर्क में आने का खतरा है, तो पर्याप्त सेफ्टी उपकरण पहन लें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें और शरीर का सामान्य वजन बनाए रखें।
  • रोजाना अपना बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) चेक करें।
  • नियमित रूप से अपने शरीर की जांच करवाते रहें, ताकि किसी भी प्रकार की समस्या पैदा होने पर तुरंत उसका पता चल जाए।
  • यदि त्वचा में नील पड़ने लगे हैं, कोई घाव ठीक नहीं हो रहा है या फिर लंबे समय से कोई बीमारी है, तो इस बारे में डॉक्टर से बात कर लें।
  • नियमित रूप से सारे टीकाकरण करवाते रहें। ह्यूमन पैपिलोमावायरस की वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर विकसित होने से बचाव करती है। हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन भी लगवाएं, जो क्योंकि हेपेटाइटिस बी लिवर कैंसर का कारण बन सकता है।
  • तनाव को कम करने के तरीके सीखें। अपने दोस्तों व परिवारजनों के साथ समय व्यतीत करें, पसंदीदा कार्य (हॉबी) करें, योग और मेडिटेशन करें, खेल-कूद में भाग लें और मस्तिष्क को शांत करने वाली अन्य गतिविधियां करें।

(और पढ़ें - तनाव दूर करने के लिए करें योग)

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कैंसर का परीक्षण - Cancer Diagnosis in Hindi

कैंसर का परीक्षण कैसे किया जाता है?

कैंसर के लिए शारीरिक जांच करते समय डॉक्टर सबसे पहले मरीज की उम्र, पिछली स्वास्थ्य स्थिति, पारिवारिक रोग और लक्षणों की जांच करते हैं। इसके अलावा मरीज व उसके परिवारजनों से भी कुछ सवाल पूछे जाते हैं, जिनकी मदद से कैंसर संबंधी जानकारी लेने की कोशिश की जाती है। यदि डॉक्टर को भी कैंसर पर संदेह होता है, तो वे कुछ टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं, जिनकी मदद से कैंसर की पुष्टि की जाती है -

  • शारीरिक परीक्षण -
    जिसकी मदद से व्यक्ति के स्वास्थ्य संबंधी असामान्यताओं का पता लगाया जाता है।
     
  • लैब टेस्ट -
    व्यक्ति के रक्त का सैंपल लेकर कुछ टेस्ट किए जाते हैं, जिनमें सीबीसी, ईएसआर, सी-रिएक्टिव प्रोटीन, लिवर फंक्शन टेस्ट और किडनी फंक्शन टेस्ट शामिल हैं।
     
  • इमेजिंग टेस्ट -
    इसमें एक्स रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, बेरियम मील स्टडी, बोन डेन्सिटी स्कैन, पीईटी स्कैन, एसपीईसीटी स्कैन और यूएसजी स्कैन
     
  • बायोप्सी -
    इसमें ट्यूमर या त्वचा के प्रभावित हिस्से में ऊतक का छोटा सा सैंपल लिया जाता है, जिसकी माइक्रोस्कोप की मदद से जांच की जाती है। माइक्रोस्कोप की मदद से यह पता चलता है कि यदि कैंसर है तो किस स्टेज में है।

इसके अलावा कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिनसे कैंसर के मूल, प्रकार और प्रभावित हिस्से की संरचना संबंधी कुछ जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं। इन टेस्टों में निम्न शामिल हैं -

  • कैंसर एंटीजन 19.9 (CA 19.9)
  • कार्सिनोएमब्रियोनिक एंटीजन (CEA)
  • प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (PSA)

कैंसर का इलाज - Cancer treatment in Hindi

कैंसर कैसे ठीक हो सकता है?

कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी या केमोथेरपी की जाती है। इसके अलावा हार्मोन थेरेपी और इम्यूनो थेरेपी भी की जाती हैं। आपके डॉक्टर निर्धारित करेंगे की आपके लिए इनमें से कौन सा उपचार उचित है। इसके आलावा जीवन की गुणवत्ता में सुधार और लक्षणों को कम करने के लिए दवाएं और अन्य उपचार भी उपलब्ध हैं।

सर्जिकल ट्रीटमेंट

इस इलाज प्रक्रिया में कोशिकाओं की असामान्य रूप से बढ़ने वाले हिस्से को निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया को भी बायोप्सी तकनीक द्वारा ही किया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर तब ही की जाती है, जब ट्यूमर ऐसी जगह पर हो जहां पर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

नोन-सर्जिकल ट्रीटमेंट

इसमें कीमोथेरेपी प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। कीमोथेरेपी में विशेष प्रकार की दवाओं की मदद से असामान्य रूप से बढ़ रही कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इसके अलावा रेडियोथेरेपी को भी नोन सर्जिकल ट्रीटमेंट में ही शामिल किया जाता है, क्योंकि इमें गामा रेडिएशन की मदद से ट्यूमर या असामान्य रूप से बढ़ रही चर्बी को नष्ट किया जाता है।

कई बार सर्जिकल व नोन-सर्जिकल दोनों इलाज प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले कीमोथेरेपी या रेडियो थेरेपी की जाती है जिसकी मदद से ट्यूमर के आकार को कम कर दिया जाता है और फिर उसके बाद सर्जरी की मदद से उसे निकाल दिया जाता है। सर्जरी के बाद फिर से कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी की जाती है, ताकि कैंसर आस-पास के किसी हिस्से में फैल ना पाए।

कैंसर का इलाज करने के लिए कुछ अन्य इलाज प्रक्रियाएं भी हैं, जैसे हार्मोन थेरेपी, इम्यूनोलॉजिकल ट्रीटमेंट, बिसफॉस्फोनेट्स आदि। इन इलाज प्रक्रियाओं का इस्तेमाल विशेष स्थितियों में ही किया जाता है। उदाहरण के लिए प्रोस्टेट कैंसर के लिए हार्मोन थेरेपी एक अच्छा उपचार विकल्प हो सकता है।

इसके अलावा कैंसर से हो रहे लक्षणों के अनुसार कुछ अन्य दवाएं भी दी जा सकती हैं। इन दवाओं में मुख्य रूप से दर्दनिवारक, एंटासिड्स और एंटीपाइरेटिक दवाएं होती हैं। कई बार गंभीर स्थितियों में सिर्फ मोर्फिन या अन्य दर्दनिवारक दवाओं का पैच लगाकर लगातार हो रहे दर्द को कम किया जा सकता है। हालांकि, दर्द को कम करके कैंसर को बढ़ने से नहीं रोका जा सकता है।

(और पढ़ें - हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी क्या है)

 

कैंसर से होने वाले नुकसान - Cancer complications in Hindi

कैंसर से होने वाले परिणाम

कैंसर से होने वाले परिणाम आमतौर पर उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। यदि ट्यूमर का आकार अभी छोटा है या फिर कैंसर शुरुआती स्टेज में है तो इसका इलाज करना आसान रहता है और इसके परिणाम भी अच्छे रहते हैं। इसके अलावा मेटास्टेसिस कैंसर के परिणाम अच्छे नहीं होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मेटास्टेसिस कैंसर को फैलने से पूरी तरह से नहीं रोका जा सकता है और परिणामस्वरूप शरीर के प्रभावित अंग काम करना बंद (ऑर्गन फेलियर) कर देते हैं। इतना ही नहीं ट्यूमर के प्रकार और शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है आदि पर भी कैंसर के परिणाम निर्भर कर सकते हैं।

कैंसर से होने वाली जटिलाएं

कैंसर से होने वाली जटिलताएं आमतौर इस बात पर भी निर्भर करती है, कि शरीर का कौनसा हिस्सा प्रभावित हुआ है। कैंसर के वे प्रकार जो फैलते नहीं हैं उनकी तुलना में फैलने वाले कैंसर (मेटास्टेटिक) अधिक जटिलताएं व जोखिम पैदा कर सकते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों के अनुसार कुछ जटिलताएं हो सकती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

कैंसर के साथ जीवन - Living with Cancer in Hindi

कैंसर के साथ जीवन

कैंसर से प्रभावित लोगों को अपने लक्षणों को नियंत्रित रखने के लिए और जीवन में सुधार करने के लिए सामान्य जीवनशैली को अपनाना चाहिए, जो इस प्रकार हैं -

  • घर पर बनाया गया स्वास्थ्यकर आहार लें, जिसमे पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व हों।
  • रोजाना 30 मिनट तक व्यायाम करें। आप हफ्ते में 5 दिन व्यायाम कर सकते हैं। यदि आप कठिन व्यायाम नहीं कर पा रहे हैं, तो 30 मिनट तक तेजी से चलें।
  • तंबाकू और इससे बने उत्पादों का सेवन न करें और न ही शराब पिएं। इन्हें छोड़ने के लिए आप डॉक्टर की मदद ले सकते हैं।
  • नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहें, ताकि यह पता चले कि कैंसर को बढ़ने से कितना नियंत्रित किया जा रहा है।
  • शारीरिक व मानसिक तनाव को कम करने के लिए योग और मेडिटेशन करें या फिर अपना कोई पसंदीदा कार्य करें
  • हर समय खुश, उत्साहजनक और सकारात्मक रहने की कोशिश करें। क्योंकि सभी कैंसर लाइलाज या जानलेवा नहीं होते हैं।

(और पढ़ें - सिगरेट पीना कैसे छोड़े)

कैंसर के प्रकार -Types of Cancer in Hindi

कैंसर के कितने प्रकार हैं?

कैंसर किस ऊतक से शुरू हुआ है, उसपर निर्भर करते हुऐ कैंसर को निम्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है -

  • कार्सिनोमा -
    कार्सिनोमा कैंसर आमतौर पर एपिथेलियल ऊतकों में होता है। एपिथेलियल ऊतक शरीर के अंदर व बाहर मौजूद अंगों की सतह को बनाते हैं, जैसे त्वचा, आंत की सतह, मुंह के अंदर की सतह और नाक की अंदरूनी सतह आदि। कार्सिनोमा को कैंसर का सबसे आम प्रकार माना गया है। कार्सिनोमा के कुछ उदाहरणों में आमतौर पर प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और त्वचा की सक्वैमस कोशिकाओं में होने वाला कैंसर आदि शामिल है।
     
  • सारकोमा -
    यह संयोजी ऊतकों में होने वाला मालिग्नैंट कैंसर होता है। संयोजी ऊतक को कनेक्टिव टिश्यू भी कहा जाता है, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों को एक-दूसरे से जोड़ने के काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर एडिपोज ऊतक, एरिओलर ऊतक, टेंडन, लिगामेंट और हड्डियों में होने वाला कैंसर।
     
  • ल्यूकेमिया -
    यह रक्त में होने वाला कैंसर है, जो तब होता है जब खून में अनियंत्रित रूप से सफेद रक्त कोशिकाएं बनने लग जाएं। ल्यूकेमिया के मुख्य प्रकारों में लिम्फोसाइटिक (एक्युट और क्रोनिक) और माइलॉइड (एक्युट और क्रोनिक) शामिल हैं। लिम्फोसाइटिक और माइलॉइड ल्यूकेमिया शब्द उन कोशिकाओं के कैंसर को दर्शाता है, जो अस्थि मज्जा में सफेद रक्त बनाने के लिए उत्परिवर्तित हो रही हैं और विभिन्न चरणों में हैं।
     
  • लिम्फोमा -
    यह लसीका प्रणाली और उससे संबंधित अंगों में होने वाला कैंसर है। लिम्फ (लसीका द्रव) एक विशेष द्रव है, जो ऊतकों के बीच सूक्ष्म रिक्त स्थानों में बनता है। यह शरीर के विभिन्न अंगों में लसीका वाहिकाओं और ग्रंथियों के रूप में फैला होता है। लसीका द्रव में लिम्फोसाइटिस होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं। इन भागों में होने वाला कैंसर (लिम्फोमा) आमतौर पर दो प्रकार का होता है, जिन्हें हॉजकिन और नॉन हॉजकिन लिम्फोमा के नाम से जाना जाता है।

इसके अलावा कैंसर शरीर के जिस हिस्से में हुआ है, उसके अनुसार कैंसर को निम्न नामों से भी विभाजित किया जा सकता है -

कैंसर के चरण - Stages of Cancer in Hindi

कैंसर के स्टेज व ग्रेड

कैंसर से ग्रस्त ऊतक की जांच करके कैंसर की स्टेज को निर्धारित किया जाता है। ट्यूमर कि स्थिति का अंदाजा लगाने के दो तरीके हैं, जिन्हें ग्रेडिंग और स्टेजिंग कहा जाता है। जब मालिग्नैंट ट्यूमर होने पर ग्रेडिंग व स्टेजिंग की मदद से उचित इलाज सुनिश्चित करने में भी मदद मिलती है। ग्रेडिंग एक हिस्टोलॉजिक प्रक्रिया है, जिसमें ऊतकों की माइक्रोस्कोप की मदद से जांच की जाती है। जबकि स्टेजिंग क्लिनिकल प्रक्रिया है, जिसमें सामान्य जांच प्रक्रियाओं से कैंसर की स्टेज का पता लगाया जाता है। इन दोनों प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी निम्न है -

कैंसर की ग्रेडिंग

इसमें ऊतक की पहले माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है और फिर कैंसर को ग्रेड के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। कैंसर ग्रस्त ऊतक की माइक्रोस्कोप से मिली तस्वीर में आमतौर पर दो चीजों से जुड़ी जानकारियां मिलती हैं कि कैंसर किस गति से बढ़ रहा है और स्वस्थ कोशिकाओं की तुलना में कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं की संरचना कैसी है। जब शरीर के किसी हिस्से में काफी मात्रा में कैंसर कोशिकाएं बढ़ गई हैं, तो कैंसर को “बिनाइन” कहा जाता है। जब कैंसर कोशिकाएं सिर्फ एक हिस्से में न रह कर अन्य जगह पर भी फैल गई है, तो इस स्थिति को मेटास्टेटिक कहा जाता है।

ब्रोडार्स का ग्रेडिंग सिस्टम कैंसर कोशिकाओं में बदलाव की सीमा पर निर्भर करता है, जो अधिक बदलाव वाली कैंसर कोशिका को लेकर होता है। यह उन कोशिकाओं को संदर्भित करता है, जो सामान्य दिखती हैं और धीरे-धीरे सबसे कम बदलाव वाली कोशिकाओं में फैलती है। ये कोशिकाएं अपने सामान्य रूप से काफी मिलती-झुलती दिखाई देती हैं। ये ग्रेड कुछ इस प्रकार हैं -

  • ग्रेड 1 - पूरी तरह बदलाव वाली कोशिका
  • ग्रेड 2 - लगभग आधे बदलाव वाली कोशिका
  • ग्रेड 3 - लगभग आधे बदलाव वाली कोशिका
  • ग्रेड 4 - कम बदलाव वाली कोशिका

पैथोलॉजिकल परीक्षण, लैब टेस्ट और साथ ही साथ क्लिनिकल इग्जाम की मदद से भी जांच की जाती है। इन परीक्षणों की मदद से यह निर्धारित किया जाता है, कि ट्यूमर या कैंसर कहां तक फैल गया है।

कैंसर की स्टेज और ग्रेड को निर्धारित करने के लिए टीएनएम स्टेजिंग और अमेरिकन जॉइंट कमेटी (AJC) दो मुख्य तरीके हैं और हाल ही में इनका ही इस्तेमाल किया जा रहा है।

कैंसर की स्टेजिंग

टीएनएम स्टेजिंग
टीएनएम स्टेजिंग के तीन भाग हैं, जिसमें “टी” को प्राथमिक ट्यूमर के रूप में संदर्भित किया जाता है, “एन” लिम्फ नोड को संदर्भित करता है और “एम” मेटास्टेसिस को दर्शाता है। इन तीनों घटकों को संख्याओं के अनुसार दर्शाया जाता है, जिनसे पता चलता है कि कैंसर कितना बढ़ा या फैला हुआ है। इन घटकों की सख्याएं निम्न प्रकार होती हैं -

  • टी0 - जिसका मतलब होता है कि कोई ट्यूमर नहीं मिला है
  • टी1-3 - नंबर 1 से 3 संकेत देते हैं, कि ट्यूमर का आकार बढ़ रहा है। जिसका अर्थ होता है, कि जितनी बड़ी संख्या होगी ट्यूमर का भी उतना ही बड़ा होता है।
  • एन0 - इसका मतलब है कि लिम्फ नोड में कैंसर नहीं है।
  • एन1 से एन3 - यह लिम्फ नोड में कैंसर का आकार व संख्या दर्शाता है। साथ ही इसकी मदद से यह भी पता चलता है कि कितनी लिम्फ नोड प्रभावित हैं। नंबर जितना अधिक होगा उतनी ही अधिक संख्या में लिम्फ नोड प्रभावित होंगी।
  • एम0 - यह दर्शाता है कि मेटास्टेसिस अन्य जगहों पर नहीं फैला है।
  • एम1 - दर्शाता है कि ट्यूमर एक जगह से अन्य हिस्सों में भी फैल चुका है।


संदर्भ

  1. National Cancer Institute [Internet]. Bethesda (MD): U.S. Department of Health and Human Services; Risk Factors for Cancer
  2. American Cancer Society [Internet] Atlanta, Georgia, U.S; What Causes Cancer?.
  3. American Cancer Society [Internet] Atlanta, Georgia, U.S; Cancer Staging.
  4. Harsh Mohan: Harshmohan’s textbook of pathology [Internet]
  5. Stuart Ralston Ian Penman Mark Strachan Richard Hobson. Davidson's Principles and Practice of Medicine E-Book. 23rd Edition: Elsevier; 23rd April 2018. Page Count: 1440

कैंसर की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Cancer in Hindi

कैंसर के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

कैंसर पर आम सवालों के जवाब

सवाल 4 साल से अधिक पहले

कैंसर के बारे में पता चलने से पहले किस तरह के संकेत दिखाई देते हैं?

Dr. Manju Shekhawat MBBS , सामान्य चिकित्सा

कैंसर का पता चलने से पहले आपको कई तरह की दिकक्तें होने लगती हैं जिसमे मूत्राशय और आंत की क्रियाओं में बदलाव आना, गले की खराश ठीक न होना, असामान्य ब्लीडिंग या डिस्चार्ज होना, शरीर का कोई हिस्सा मोटा या ब्रेस्ट या कही पर गांठ का बनना शामिल है।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

क्या हीमोग्लोबिन की कमी कैंसर का संकेत है?

Dr. , General Physician

कैंसर से संबंधित एनीमिया के कारण निम्न हैं:

कीमोथेरेपी-प्रेरित एनीमिया: कुछ कैंसर से संबंधित साइटोकिन्स का उच्च स्तर बोन मैरो द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को धीमा कर सकता है।

डाइट में बदलाव: कैंसर की वजह से भूख कम लगती है जिसके कारण शरीर में पोषण संबंधी कमियां हो सकती हैं जिस वजह से भी एनीमिया की प्रॉब्लम होती है।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

क्या स्मोकिंग से शरीर में किसी प्रकार का कैंसर हो सकता है?

धूम्रपान से आपके शरीर के कई हिस्सों में कैंसर हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलो में, मुख्य रूप से स्मोकिंग फेफड़ो के कैंसर के लिए जिम्मेदार है।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

क्या कोई ऐसा भी कैंसर है जिसके होने से किसी भी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते है? अगर हां, तो यह किस तरह का कैंसर है और इसका कैसे पता चलता है?

Dr. Manju Shekhawat MBBS , सामान्य चिकित्सा

जी हां, ऐसे कुछ कैंसर होते हैं जिनका पता शुरुआती चरण में नहीं लगाया जा सकता है जैसे ओवरी का कैंसर, इस कैंसर का पता सिर्फ इसके आखिरी स्टेज पर चलता है और तभी इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। अगर आपके परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर या ओवरी का कैंसर रहा हो तो इन कैंसर के होने की संभावना अधिक होती है।