चीन ने कोविड-19 महामारी की वजह बने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को लेकर बड़ा दावा किया है। शुक्रवार को उसने कहा कि यह वायरस पिछले साल कई देशों में फैला था, लेकिन इसके अस्तित्व में आने की सबसे पहली रिपोर्ट चीन ने की। यह बात कोरोना वायरस से जुड़े इस सबसे बड़े दावे को चुनौती देती है कि यह विषाणु पिछले साल के अंत में चीन के वुहान शहर में सबसे पहले सामने आया था। इसके साथ ही चीन ने यह बयान देकर इस आरोप को भी एक तरह से खारिज किया है कि उसने अपनी एक जैविक प्रयोगशाला में इस वायरस को विकसित किया था, जो किसी तरह लैब से निकल कर बाहर फैल गया। इसके अलावा, उस थ्योरी को भी चीन ने एक तरह से नकार दिया है, जो कहती है कि नया कोरोना वायरस सबसे पहले वुहान शहर के एक मीट बाजार में चमगादड़ या पैंगोलिन के जरिये फैला था।
पीटीआई की खबर के मुताबिक, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा है, 'रिपोर्टों के जरिये और ज्यादा तथ्य सामने आने के बाद यह पता चलता है कि (कोविड-19 से जुड़ा) कोरोना वायरस एक नए प्रकार का विषाणु है। हम जानते हैं कि पिछले साल के अंत में दुनिया के कई हिस्सों में यह महामारी फैली थी। चीन ने (केवल) सबसे पहले इसकी रिपोर्ट की, विषाणु को आइडेंटिफाई किया और उसका जीन सीक्वेंस बाकी दुनिया के साथ साझा किया।' चीनी मंत्रालय का यह बयान अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो के उन आरोपों के बाद आया है, जिनमें उन्होंने कहा था कि चीन ने कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी को छिपाने का काम किया है। बीते मंगलवार को अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ टोक्यो में हुई एक मंत्री स्तर की बैठक में पोंपियो ने कहा था कि कोरोना वायरस संकट के बढ़ने में चीन का काफी हद तक योगदान है।
हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पोंपियों के आरोपों को नकारते हुए कहा कि चीन के शीर्ष वैज्ञानिकों ने ही सबसे पहले (19 जनवपरी, 2020 को) कोरोना वायरस के इन्सानों से इन्सानों के बीच फैलने का पता लगाया था। हुआ ने कहा कि विस्तृत शोध और जांच के बाद चीन ने वुहान शहर को बाकी दुनिया से अलग-थलग करने का फैसला किया और (वायरस को कंट्रोल करने के लिए) सबसे कड़े कदम उठाए। इसके बाद अमेरिका पर महामारी को नियंत्रित नहीं कर पाने का आरोप लगाते हुए हुआ ने कहा, 'दो फरवरी को जब अमेरिका ने अपनी सीमाएं चीन के नागरिकों के लिए बंद कर दी थीं, तब वहां कोरोना वायरस के मामलों की आधिकारिक संख्या एक दर्जन ही थी। आज अमेरिका में 75 लाख से ज्यादा मामले हो चुके हैं और दो लाख दस हजार से अधिक मौतें देखने को मिली हैं। आखिर कैसे सबसे अच्छे मेडिकल संसाधनों वाला दुनिया का सबसे ताकतवर देश टेस्टिंग के मामले में इतनी बुरी तरह पिछड़ गया। क्यों अमेरिका ने इस वायरस का सबसे पहले पता नहीं लगाया और क्यों उसने इसे रोकने और नियंत्रित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों के टेस्ट नहीं किए?'
चीन का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी कोरोना वायरस के ऑरिजिन से संबंधित जांच की तैयारी करने जा रहा है। इस मुद्दे पर डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक जांच विशेषज्ञों की एक सूची चीन को सौंपी है, जो वहां जाकर वायरस की उत्पत्ति से संबंधित जांच करेंगे। इससे पहले मई महीने में आयोजित विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान डब्ल्यूएचओ की एक निर्णायक शाखा ने सर्वसम्मति से वायरस की उत्पत्ति की जांच की मांग से जुड़े प्रस्ताव पर सहमति दी थी। जिस बैठक में यह फैसला किया गया था, उसकी अध्यक्षता भारत ने की थी। चीन ने भी इस फैसले का समर्थन किया था, जिसके बाद अगस्त में डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में दो सदस्यीय टीम चीन के दौरे पर गई थी। तब दोनों जांचकर्ताओं ने जांच से जुड़ा बुनियादी काम पूरा किया था। यह जांच इस सवाल से संबंधित थी कि कोरोना वायरस असल में किस जानवर में सबसे पहले वजूद में आया और किस तरह अन्य जीवों में फैला और कैसे उनके जरिये दिसंबर महीने के अंत में वुहान शहर में पहली बार सामने आया।
बीते सोमवार को डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख माइक रेयान ने एक विशेष बैठक में बताया कि एजेंसी के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने जांचकर्ताओं की सूची चीन के अधिकारियों को भेज दी है। उन्होंने कहा कि अधिकारी इस सूची पर विचार करेंगे और जांच से जुड़े अगले कदम के बारे में बताएंगे।