इंग्लैंड स्थित स्टैफर्डशायर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कहा है कि जूतों और चप्पलों में लगने वाले 3डी प्रिंटेड इनसोल डायबिटीज के मरीजों के पैरों के स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं। एक शोध के आधार पर इन शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि नए 3डी इनसोल डायबिटीज के उन लाखों मरीजों के लिए एक आशा हैं, जो इस बीमारी के चलते फुट अल्सर की परेशानी का सामना कर रहे हैं। इस डायबिटिक प्रॉबल्म के चलते कई मरीजों को अपने पैर के उस हिस्से को सर्जरी कर हटवाना तक पड़ता है, जहां त्वचा के ऊतक टूट जाते हैं और नीचे की परतें बाहर आ जाती है।

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  1. डायबिटीज मरीज के कुशनिंग फुटवियर है फायदेमंद - स्टडी
  2. बीएमआई क्या होता है?

रिपोर्ट के मुताबिक, यह शोध डायबिटिक फुटवियर में लगने वाले इनसोल की गद्दी (कुशन) से होने वाले फायदे का साक्ष्यों के आधार पर समर्थन करता है। 'गेट एंड पोश्चर' नामक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में वैज्ञानिकों ने कहा है कि डायबिटीज के मरीजों के लिए विशेष रूप से बनने वाले जूतों-चप्पलों में अनुकूलित कुशनिंग से पैरों के तलवों पर पड़ने वाले दबाव में कमी आती है। उन्होंने निष्कर्ष के रूप में पेपर में लिखा है कि फुटवियर में सही कुशन लगाने से पैरों पर पड़ने वाले दबाव में कमी आने से डायबिटिक फुल अल्सर और अन्य प्रकार की पीड़ादायक जटिलताओं में कमी आ सकती है।

शोध के तहत किए गए अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने फुट अल्सर से परेशान 15 डायबिटीज मरीजों को शामिल किया। इन सभी को 3डी प्रिंटेड इनसोल वाले फुटवियर पहनने को दिए गए। इन इनसोल्स को स्टैफर्डशायर यूनिवर्सिटी स्थित सेंटर फॉर बायोमकैनिक्स एंड रीहैबिलिटेशन टेकनॉलजीज (सीबीआरटी) ने डिजाइन किया है। इस प्रकार के फुटवियर तैयार करने का मकसद यह था कि इससे जूतों में लगने वाले सोल की स्टिफनेस यानी कठोरता में बदलाव (ज्यादा मुलायम से ज्यादा सख्त) किया जा सके।

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अध्ययन में सामने आए परिणामों के आधार पर सीबीआरटी के एसोसिएट प्रोफेसर शेटजिस्टेरगोस का कहना है कि अनुकूलतम स्टिफनेस का मरीज के बॉडी मास इंडेक्स से संबंध है। उन्होंने कहा, 'यह शोध हमारे पिछले अध्ययनों के परिणामों का समर्थन करता है और निष्कर्ष के तौर पर बताता है कि ज्यादा बीएमआई वाले लोगों को सख्त मटीरियल (से बने फुटवियर) की जरूरत होती है।'

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बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई का मतलब है लंबाई और वजन के आधार पर शरीर का अनुमानित फैट। इसमें शरीर में मौजूद वसा को नहीं मापा जाता, बल्कि उसमें मौजूद फैट का अनुमान लगाने के लिए उपयोग किया जाता है। इस तरह बीएमआई यह जानने में मदद करता है कि किसी व्यक्ति का वजन उसके शरीर के आकार के हिसाब से सही है या नहीं। अगर बीएमआई अधिक निकलता है तो इसे शरीर में अधिक वसा होने के संकेत के रूप में माना जाता है। ऐसे में व्यक्ति को हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याएं होने का खतरा ज्यादा होता है। वहीं, बहुत कम बीएमआई होने के चलते शरीर की हड्डियां और इम्यून सिस्टम कमजोर होने का संकेत मिलता है।

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