इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ईटिंग डिसऑर्डर में छपी एक नई स्टडी के मुताबिक सोशल मीडिया बच्चों के खाना खाने की आदतों को बिगाड़ रहा है। अगर आपके बच्चे इंस्टाग्राम और स्नैपचैट का इस्तेमाल करते हैं तो हो सकता हैं वह भी भोजन विकार से ग्रस्त हों। 

ऑस्ट्रेलिया की फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी में हुई इस स्टडी के प्रमुख ऑथर साइमन विल्क ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर स्टडी की गई हो। इस नई स्टडी को 7वीं और 8वीं कक्षा के 996 छात्रों (534 लड़कियां और 462 लड़कों) पर आजमाया गया है। बढ़ते बच्चों में भोजन विकार और सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बीच के संबंध का पता लगाना बेहद आवश्यक है, क्योंकि इससे उन पर सोशल मीडिया के कारण बन रहे दबाव को समझा जा सकता है।

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इसमें कई सोशल मीडिया एप्लीकेशन (एप्प) के इस्तेमाल पर नजर रखी गई, जैसे फेसबुक, स्नैपचैट, इंस्टाग्राम और टमब्लर। शोधकर्ताओं ने पाया कि इंस्टाग्राम और स्नैपचैट बच्चों में सबसे लोकप्रिय एप्प हैं। जिन्हें वह ज्यादातर वीडियो और फोटोज देखने व अपलोड करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

सोशल मीडिया का सबसे अधिक प्रभाव लड़कियों में देखा गया। 75 फीसदी लड़कियों और 70 फीसदी लड़कों के पास एक न एक सोशल मीडिया अकाउंट तो अवश्य था। सोशल मीडिया के इस्तेमाल से करीब 52 प्रतिशत लड़कियों और 45 प्रतिशत लड़कों में सख्त व्यायाम, खाना छोड़ना और कई अन्य ईटिंग डिसऑर्डर से जुड़े व्यवहार देखे गए। बच्चे जितने ज्यादा सोशल मीडिया अकाउंट पर एक्टिव पाए गए, उनमें सुझाव और व्यवहार के उतने ही संबंधित ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण पाए गए।

विल्क ने बताया कि 2 दशक पहले की एक अन्य ऑस्ट्रेलियाई स्टडी के मुकाबले इस नई स्टडी में लड़कों में 4 गुना अधिक ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण पाए गए। साथ ही उन्होंने आगे कहा कि उनके क्लिनिक में भी ईटिंग डिसऑर्डर से ग्रस्त युवाओं के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

स्टडी के विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक चिंतापूर्ण विषय है जिसे काफी ध्यान से समझने और इसके समाधान की आवश्यकता है।

क्या है ईटिंग डिसऑर्डर?
ईटिंग डिसऑर्डर को हिंदी में भोजन विकार कहा जाता है। इस स्थिति से ग्रस्त व्यक्ति में खाना न खाने और कम खाने से संबंधित खराब व असाधारण आदतें दिखाई देती हैं। बच्चों में कई लक्षणों द्वारा भोजन विकार पहचाना जा सकता है। लक्षणों को उनके प्रकार द्वारा पहचानें जैसे :

एनोरेक्सिया - वजन घटाने के नए-नए तरीके अपनाना। इस स्थिति में व्यक्ति कम वजन का होने पर भी वजन घटाने की सोचता रहता है।

बुलिमिया नर्वोसा - अपने शरीर के आकर से नाखुश रहना और उसके साथ कठोर व्यवहार करना।

अधिक खाने का विकार (बिंज ईटिंग डिसऑर्डर) - इस स्थिति में बच्चे अधिकतर शर्म की वजह से छिपकर या अकेले खाने की आदत डालने लग जाते हैं। इससे ज्यादातर अधिक वजन वाले बच्चे प्रभावित होते हैं।

माता-पिता को कई बार लगता है कि भोजन विकार को किसी प्रकार के इलाज की जरूरत नहीं है। हालांकि, इस विकार पर सही समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर स्थिति का रूप ले सकता है। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले किसी भी बच्चे में यदि भोजन विकार दिखाई देते हैं तो उन्हें डॉक्टर को एक बार जरूर दिखा लेना चाहिए।

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