हृदय रोग के इलाज के लिए वैसे तो दवाएं उपलब्ध हैं लेकिन बावजूद इसके शोधकर्ता अधिक प्रभावी दवा की तलाश में जुटे हैं। इसी के तहत वैज्ञानिकों ने पाया कि डायबिटीज की हाल ही में विकसित दवा "एम्पैग्लिफ्लोजिन" हार्ट फेल के इलाज में प्रभावी हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह दवा डायबिटीज और नॉन-डायबिटीज दोनों प्रकार के लोगों (हार्ट फेलियर रोगी) के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

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  1. हार्ट की कार्य क्षमता में सुधार के लिए भी सहायक
  2. दवा से लो ब्लड शुगर का नहीं कोई जोखिम

"अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी" के जरनल में प्रकाशित क्लीनिकल ट्रायल में शोधकर्ताओं ने यह जानाकारी दी है। इनके मुताबिक यह ड्रग हार्ट के साइज, शेप और कार्य क्षमता में सुधार करने में सहायक है। इससे व्यायाम की बेहतर क्षमता और जीवन की गुणवत्ता को भी बढ़ावा मिलता है, जिससे हार्ट फेलियर के रोगियों के अस्पताल में भर्ती होने की आशंका को कम करने में मदद मिलेगी।

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अमेरिका के सिनाई अस्पताल में शोधकर्ता सैंटोस-गैलेगो के मुताबिक, 'हमारे क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों से पता चला है कि डायबिटीज की यह दवा बिना किसी साइड इफेक्ट के हार्ट फेलियर रोगियों के जीवन में सुधार के साथ इंजेक्शन फ्रैक्शन को कम करने का कार्य करती है।' शोधकर्ताओं का दावा कि इस ड्रग (एम्पैग्लिफ्लोजिन) की मदद से व्यायाम क्षमता में वृद्धि और जीवन की गुणवता में भी सुधार होगा। गैलेगो आगे कहते हैं, 'रिसर्च के जरिए हमने यह जानने की कोशिश की कि आखिर यह दवा इतनी प्रभावी क्यों है। पता चला कि यह हार्ट फंक्शन में कुछ ऐसे सुधार करती जो अब तक समझ से परे है।'

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रिसर्च के मुताबिक शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया कि एम्पैग्लिफ्लोजिन दवा महत्वपूर्ण रूप से नॉन-डायबिटीज रोगियों में हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर का कारण नहीं बनती है जो कि इसका एक पॉजिटिव फैक्टर है। दरअसल शोधकर्ताओं का यह ट्रायल जिसे एम्पैट्रोपिज्म (EMPATROPISM) के रूप में जाना जाता है। इसके तहत वैज्ञानिकों ने क्रोनिक हार्ट फेलियर और कम इंजेक्शन फ्रैक्शन (ईएफ) के 84 रोगियों को रिसर्च में शामिल किया। इसके बाद सभी लोगों को एम्पैग्लिफ्लोजिन दवा या प्लेसबो दी गई।

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दूसरी ओर मूल्याकंन के लिए सभी लोगों को कुछ महत्वपूर्ण परीक्षण से गुजरना पड़ा, जिसमें कार्डियक मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) भी शामिल है। वहीं, साइकिल के जरिए कार्डियोपल्मोनरी एक्सरसाइज टेस्ट किया गया और इस दौरान ऑक्सीजन लेवल की जांच के लिए मास्क पहनाया गया था। इसके अलावा छह मिनट का वॉक टेस्ट और जीवन की गुणवत्ता से जुड़े सवाल भी पूछे गए थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि छह महीनों तक रोगियों को प्लेसबो और एम्पैग्लिफ्लोजिन दिया गया। छह महीने के बाद रोगियों को दोबारा से उसी परीक्षण से गुजारा गया। इस प्रक्रिया के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि एम्पैग्लिफ्लोजिन दवा के इलाज के साथ लगभग 80 प्रतिशत रोगियों में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। इससे उनका दिल पहले की तरह लगभग सामान्य हो गया। इसके साथ ही समूह में शामिल लोगों के लेफ्ट वेंट्रिकुलर इजेक्शन फ्रैक्शन में 16.6 प्रतिशत सुधार हुआ और उनका दिल सही तरीके से खून को पंप कर रहा था।

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अध्ययन से यह भी पता चला है कि एम्पैग्लिफ्लोजिन दवा लेने वाले रोगियों के व्यायाम के स्तर में लगभग 10 प्रतिशत सुधार हुआ था। आंकड़ों के लिहाज से यह महत्वपूर्ण अंतर था। यह बताता है कि एम्पैग्लिफ्लोजिन दवा लेने वाले लोग स्वस्थ हो गए। साथ ही उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों और जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ, जिससे इन रोगियों में अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम हो गया।

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