अन्तरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस या अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस हर साल 3 दिसंबर को मनाया जाता है। दिव्यांग व्यक्ति के प्रति सम्मान, सद्भावना और अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने साल 1992 में इस दिन की शुरुआत की थी। इसका मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों की स्थिति में सुधार लाना है।

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क्यों मनाया जाता है विकलांगता दिवस?
दरअसल समाज में विकलांगता के बारे में ज्ञान का एक बहुत बड़ा अभाव है, जो विकलांग लोगों के प्रति भेदभाव और हिंसा का खतरा पैदा करता है। हमारा समाज दिव्यांगजनों को आसानी से खुद में शामिल नहीं करता। यही वजह है कि सामान्य बच्चों की तुलना में विकलांग बच्चों के साथ लगभग 4 गुणा अधिक हिंसा की आशंका होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए यूएन (यूनाइटेड नेशन) की ओर से दिव्यांगजनों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के लिए ये दिवस मनाया जाता है।

विकलांगता के प्रकार
शारीरिक और मानसिक रूप से किसी तरह की कमी या अभाव का होना ही विकलांगता है, जिसको कई प्रकार से विभाजित किया जाता है। जैसे-

  • विज्युल डिसेबिलिटी (देखने में असर्मथता)
  • स्पीच डिसेबिलिटी (बोलने में असमर्थता)
  • हायरिंग डिसेबिलिटी (सुनने में असमर्थता)
  • लोकोमोटर डिसेबिलिटी (इस विकलांगता का अर्थ है अंगों का कम काम करना। इस दौरान पीड़ित व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में समस्या होती है, जिसे पैरों में विकलांगता कहते हैं। लेकिन, सामान्य तौर पर, इसे हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों से संबंधित विकलांगता के रूप में जाना जाता है)
  • मेंटल डिसेबिलिटी (मस्तिष्क या दिमाग का कमजोर होना)

विकासशील देशों में ज्यादा विकलांगता
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक विश्व की कुल जनसंख्या में से लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा यानी 65 करोड़ लोग विकलांग हैं। दूसरी ओर साल 2017 में छपी भारत सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि करीब 100 करोड़ लोग किसी न किसी तरह की विकलांगता के शिकार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक विकासशील देशों में दिव्यांगों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यही वजह भी है कि ऐसे देशों में दुनियाभर के कुल दिव्यांग लोगों में से 80 प्रतिशत लोग रहते हैं।

विकलांगता एक छाते की तरह है, जिसमें इंपेयरमेंट, एक्टिविटी लिमिटेशन और पार्टिसिपेशन रिस्ट्रिक्शन आते हैं

  • इंपेयरमेंट का मतलब शरीर की कार्यक्षमता या संरचना में गड़बड़ी की समस्या है।
  • एक्टिविटी लिमिटेशन का मतलब जब किसी व्यक्ति को अपने दैनिक कार्य करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा हो।
  • पार्टिसिपेशन रिस्ट्रिक्शन से तात्पर्य उस स्थिति से है, जिसमें किसी व्यक्ति को जीवन की अलग-अलग परिस्थितियों को लेकर समस्या होती है।

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विकलांगता से जुड़े कुछ तथ्य
विश्वभर में विकलांगता से जुड़े कुछ गंभीर तथ्य हैं। जिन्हें जानना बहुत अहम हो जाता है, जो कि इस प्रकार हैं-

  • विश्व की कुल जनसंख्या का 10 प्रतिशत हिस्सा यानी 65 करोड़ लोग विकलांग हैं
  • दुनिया के 20 प्रतिशत गरीब विकलांग हैं।
  • विकलांगता के कारण स्कूल ना जाने वाले बच्चों का प्रतिशत गंभीर स्थिति को दर्शाता है और कुछ अफ्रीकी देशों में 65 से 85 प्रतिशत बच्चे विकलांगता के चलते स्कूल नहीं जा पाते।
  • कुछ देशों में, जहां बच्चों में मृत्यु दर घटकर 20 प्रतिशत तक आ चुकी हैं, वहां भी विकलांग बच्चों की मृत्यु दर 80 प्रतिशत से अधिक हो सकती है।
  • कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में केवल 5 से 15 प्रतिशत विकलांग लोगों को ही सहायक उपकरण और प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) मिल पाते हैं।

विकलांगता की रोकथाम
विकलांगता की रोकथाम को लेकर भारत सरकार की ओर से कई गंभीर कदम उठाए गए हैं। रोकथाम के पहले चरण में विकलांग दोष को कम करने की कोशिश की गई तो दूसरे चरण में कार्यात्मक सीमा को बढ़ाने पर जोर दिया गया। साथ ही तीसरे चरण में शारीरिक गतिविधियों को भी शामिल किया गया।

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इसके अलावा भी भारत सरकार की ओर से पोलियो, कुष्ठ रोग और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए कई हेल्थ प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। जिनका उद्देश्य विकलांगता के प्रतिशत को कम करना है। साथ ही टीकाकरण और मेडिकल कॉलेजों में भौतिक चिकित्सा पुनर्वास केंद्र को मजबूत बनाने और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के स्तर पर जागरुकता बढ़ाकर भी विकलांगता को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

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