पाइल्स, जिसे बवासीर या हेमोर्रोइड्स (Hemorrhoids) भी कहा जाता है, आजकल बहुत ही आम समस्या हो गयी है। यह महिलाओं व पुरुषों दोनो को ही हो सकती है और आम तौर से यह 20 से 50 वर्ष की आयु में होती है। आजकल की जीवनशैली में खानपान अनियमित हो गया है, जिसके कारण क़ब्ज़ आदि की समस्या रहती है। यही बवासीर के होने का मुख्य कारण है। बवासीर के कई और कारण भी हो सकते हैं जिनमें प्रमुख हैं वंशानुगत दशा, खानपान सही न होना, फाइबर की कमी, गूदे की कैविटी में असामान्य बढ़ोत्तरी, और लम्बे समय तक बैठे रहना। योग एक संपूर्ण व्यायाम है जो मन और शरीर दोनो को स्वस्थ रखता है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह बवासीर के लिए भी काफी प्रभावी है? यहाँ हम कुछ आसान योग मुद्राओं के बारे में बताएँगे जो आपको बवासीर से छुटकारा दिलाने मे मदद करेंगी। इन्हे करिए और रोगमुक्त हो जाइए! ये योग आसन उचित आहार में परिवर्तन के साथ किया जाना चाहिए ताकि कब्ज और बवासीर से आराम मिले।

  1. 1. शीर्षासन या सर्वांगासन हैं बवासीर का इलाज - Sirsasana (Headstand) or Sarvangasana (Shoulderstand) for piles in hindi
  2. 2. पवन्मुक्तासन है बवासीर के लिए फायदेमंद - Pawanmuktasana for piles in hindi
  3. 3. पश्चिमोतनासन है बवासार में लाभदायक - Paschimottanasana (Seated Forward Bend) for piles in hindi
  4. 4. हलासन है पाइल्स का उपचार - Halasana (Plough Pose) for piles in Hindi
  5. 5. मत्स्यासन करेगा पाइल्स ट्रीटमेंट में फायदा - Matsyasana (Fish Pose) for piles in hindi

शीर्षासन -- जिसे आसनो का राजा कहा जाता है -- के अनेक फायेदे होते हैं। पाइल्स या बवासीर से राहत उन में से मात्र एक है। क्योंकि यह एक कठिन आसन है, अगर आप यह ना करना जानते हों दो शीर्षासन की जगह सर्वंगासन भी कर सकते हैं। अगर आप शीर्षासन करना जानते भी हैं तो भी आप सर्वंगासन कर सकते हैं। दोनो ही इस अवस्था में लाभदायक होंगे। (और पढ़ें: सर्वांगासन करने का तरीका और फायदे) यह दोनो मुद्रा कुछ कारणों के लिए बवासीर के इलाज में मदद करती हैं। यह पेट के निचले हिस्से के चारों ओर रक्त के प्रवाह को कम कर देती हैं क्योंकि शरीर औंधी स्तिथि में होता है। इसके अलावा, यह आपके पेट की मांसपेशियों को मज़बूत बनाते हैं जिस से क़ब्ज़ से राहत मिलती है। (और पढ़ें: शीर्षासन करने का तरीका और फायदे)

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पवन्मुक्तासन विशेष रूप से लसीका और रक्त शिराओं में स्थिर रक्त को लौटने में मदद करता है, जिस से बवासीर की परेशानी कम होती है। यह आसन अग्न्याशय (पॅनक्रियास) और पेट के अंगों पर सकारात्मक रूप से असर करके क़ब्ज़ की शिकायत कम करता है। और जैसा की हम्ने ऊपर लिखा था, क़ब्ज़ ही बवासीर का मुख्य कारण है। पवन्मुक्तासन आपकी पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में भी मदद करता है। अगर आप क्षेत्रमिति, गर्दन और पीठ की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो इस मुद्रा को ना करें। (और पढ़ें: पवनमुक्तासन करने का तरीका और फायदे)

पश्चिमोतनासन किसी भी आसन अभ्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आसन रीढ़ की हड्डी, हैमस्ट्रिंग, और कंधों में खिचाव लाता है। यह सांस के प्रवाह को भी बढ़ाता है और जिगर व गुर्दे को उत्तेजित करता है। क्योंकि आप इस आसन में काफ़ी ज़्यादा आगे झुकते हैं, यह आपकी कूल्हे की मांसपेशियों में खिचाव लाता है और क़ब्ज़ से आराम देता है। इसके अलावा पश्चिमोत्तानासन हमें तनाव रहित बनाता है और सही तरीके से साँस लेना सिखाता है। (और पढ़ें: पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका और फायदे)

हलासन काफ़ी हद तक सिरसासन और सर्वंगासन की श्रेणी का आसन है। यह अपच, क़ब्ज़ और एसिड भाटा (एसिड रिफ्लक्स) जैसे आम विकारों को रोकने में मदद करता है। । इस आसन में जो खिचाव मिलता है वह आपको लचीला बनाता है और आपकी रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों को भी मज़बूत बनाता है। (और पढ़ें: - हलासन करने का तरीका और फायदे)

मत्स्यासन बवासीर में मदद कर सकते है क्योंकि यह पेट के अंगों को सक्रिय करता है और गुदा क्षेत्र के आसपास की त्वचा की सूजन को कम करता है। इसके अलावा यह मलाशय सहित यौन से जुड़े नसों को मज़बूत करता है। जब इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास किया जाता है, तो आप बवासीर की वजह से हो रही तकलीफ और दर्द से निजात पाएँगे। (और पढ़ें: मत्स्यासन करने का तरीका और फायदे)

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