आज हर क्षेत्र में आगे निकलने की होड़ है। स्कूल में ज्यादा से ज्यादा नंबर लाने की होड़, उसके बाद नौकरी पाने की होड़, खेल के मैदान में खुद को साबित करने की होड़, कामयाबी की होड़। मतलब, हर वक्त और दिन चुनौतियों से भरा है और इन चुनौतियों के बीच एक चीज है, जिसका सामना हमें करना पड़ता है। वो है तनाव, जिसके चलते कई युवा मानसिक विकार का शिकार हो रहे हैं। हमारे देश में लाखों-करोड़ों लोग तनावपूर्ण जिंदगी जीने को मजबूर हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर की एक रिसर्च के मुताबिक लोगों में मेंटल डिसऑर्डर (मानसिक विकार) का स्तर काफी बढ़ गया है।

आज इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे कि कैसे भारत में तनाव सभी पर हावी हो रहा है -

तनाव और चिंता का आयुर्वेदिक इलाज जानने के लिए कृपया यहां दिए लिंक पर क्लिक करें।

  1. क्या कहती है रिसर्च?
  2. विशेषज्ञों की राय
  3. कैसे की गई रिसर्च?
  4. डाक्टर की राय
  5. सारांश
  6. सात में से एक व्यक्ति तनावग्रस्त, कहीं इस लिस्ट में आप भी तो नहीं के डॉक्टर

द लैंसेट साइकेट्री जर्नल में प्रकाशित आईसीएमआर की एक रिसर्च के मुताबिक भारत में साल 2017 में मेंटल डिसऑर्डर से जुड़े मामलों में तेजी आई है। रिपोर्ट में बताया गया कि हमारे देश में 7 में से एक व्यक्ति सामान्य मानसिक विकार से ग्रसित है। इसके चलते ही लोगों में बीमारियों का बोझ या खतरा बढ़ गया है।

शोधकर्ताओं द्वारा किए गए पहले व्यापाक अध्ययन में पता चला है कि देश में डिप्रेशन से 4 करोड़ 57 लाख लोग और चिंता से 4 करोड़ 49 लाख लोग पीड़ित हैं। रिसर्च में पता चलता है कि बीते कुछ सालों में भारत के अंदर मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी हुई है।

आईसीएमआर के अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि साल 2017 में एक अनुमान के मुताबिक 19 करोड़ 7 लाख लोग (सात में से एक व्यक्ति) किसी न किसी प्रकार के मानसिक रोग से ग्रसित थे, जैसे -

  • डिप्रेशन (अवसाद)
  • चिंता विकार
  • सिज़ोफ्रेनिया (मनोविदलता)
  • बाइपोलर डिसऑर्डर ( मूड में बार-बार होने वाला परिवर्तन)
  • आइडियोपैथिक

(और पढ़ें - स्ट्रेस दूर करने के घरेलू उपाय)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Manamrit Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर बलराम भार्गव ने बताया “हमनें पाया है कि भारत में बढ़ती उम्र के साथ वयस्कों में डिप्रेशन के मामले सबसे अधिक हैं। सभी तरह के मानसिक विकारों में 33.8 प्रतिशत डिप्रेशन के मामले हैं, जबकि चिंता से जुड़े मामलों का प्रतिशत 19 है।

इसके अलावा उन्होंने बताया कि आइडियोपैथिक डेवलपमेंटल इंटेकच्यूल डिसेबिलिटी यानि बिना किसी कारण, मानसिक विकास न होने के 10.8 प्रतिशत मामले और सिज़ोफ्रेनिया से जुड़े 9.8 प्रतिशत मामले पाए गए हैं।

इतना ही नहीं प्रोफेसर भार्गव ने बताया कि डिप्रेशन के चलते भारत में होने वाले खुदकुशी के मामले बढ़े हैं। लिहाजा इनसे निपटना एक बड़ी चुनौती है। इतना ही नहीं, डिप्रेशन के चलते सुसाइड के मामले पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक हैं।

(और पढ़ें- तनाव कैसे करता है शरीर को प्रभावित)

इंडिया स्टेट-लेवल डिजीज बर्डन इनिशिएटिव के डायरेक्टर प्रोफेसर ललित दंडोना के मुताबिक साल 1990 से 2017 के बीच मानसिक विकारों की व्यापकता दोगुनी हुई है। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य के बोझ को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर उपलब्ध डाटा स्रोतों (स्टेट-स्पेसिफिक साइंटिफिक) का अध्ययन किया है।

अध्ययन से पता चलता कि मानसिक विकारों के बीच बचपन और किशोरावस्था के दौरान आइडियोपैथिक डेवलपमेंटल इंटेकच्यूल डिसेबिलिटी (बिना किसी कारण, मानसिक विकास न होने) का खतरा 4.5 प्रतिशत था वहीं, कंडक्ट डिसऑर्डर (मनोदशा या व्यवहार में बदलाव) 0.80 प्रतिशत, अटेंशन-डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (बच्चों या किशोरों में ध्यान केंद्रित क्षमता कम होना या किसी बात को अनसुना करना) 0.42 प्रतिशत और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र एक साथ काम करने में विफल होना) 0.40 प्रतिशत था।

(और पढ़ें - स्ट्रेस लेने से शरीर में होते हैं ये बदलाव)

अध्ययन के लेखक और ऑल इंडिया इस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में साइकेट्रिस्ट (मनोचिकित्सक) के प्रोफेसर, डॉक्टर राजेश सागर का कहना है कि भारत में मानसिक बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है। लिहाजा, समय आ गया है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना होगा। इसके लिए जागरूकता पैदा करें। साथ ही सामाजिक बुराइयों को दूर कर बेहतर इलाज महैया करना होगा।

डॉक्टर राजेश के मुताबिक, माता-पिता और बच्चों का शिक्षित होना जरूरी है। अध्ययन के दौरान उन्होंने और उनकी टीम ने पाया देश के उतरी राज्यों में बचपन और किशोरावस्था के दौरान मेंटल डिसऑर्डर यानी मानसिक विकार की समस्या अधिक थी। वहीं, इसकी तुलना में दक्षिणी राज्यों में वयस्कों के अंदर मानसिक विकारों की समस्या ज्यादा पाई गई।

(और पढ़ें - चिंता के कारण, लक्षण और इलाज)

कुल मिलाकर देश में मानसिक विकार मौजूदा समय की सबसे बड़ी समस्या में से एक है। जिसमें बच्चे से लेकर वयस्क तक सभी ग्रसित हो सकते हैं। मानसिक रोग कितने घातक हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये एक स्तर पर आकर जीवन क्षति (सुसाइड) का कारण बनता है। लिहाजा मानसिक रोग के लक्षणों को पहचानते हुए इस स्थिति में बेहतर इलाज की जरूरत होगी।

Dr. Vinayak Jatale

न्यूरोलॉजी
3 वर्षों का अनुभव

Dr. Sameer Arora

न्यूरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Khursheed Kazmi

न्यूरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Muthukani S

न्यूरोलॉजी
4 वर्षों का अनुभव

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें