तनाव शरीर की एक प्रतिक्रिया है जोकि चुनौतियों के दौरान उत्पन्न होती है और हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि जब हम अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर कुछ करने की कोशिश करते हैं, तो ऐसे में थोड़ा तनाव तो होता ही है। तनाव की तरह ही चिंता भी हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है और इसे आंतरिक चेतावनी कहा जा सकता है। हमेशा खुश और संतुष्ट रहने की इच्छा की वजह से मन में निराशा उत्पन्न होती है।

चिकित्सकीय रूप से, भावनात्मक या शारीरिक दबाव के कारण तनाव होता है। आपका शरीर तनाव को केवल कुछ समय के लिए ही बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन जब तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो यह आपके दिमाग और अन्य महत्वपूर्ण अंगों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

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जनवरी 2019 में, शोधकर्ताओं ने भारत के करीब 120 गांवों के बच्चों के विकास पर तनाव के प्रभाव को लेकर एक परीक्षण किया। इस परीक्षण के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि लगातार स्ट्रेस की वजह से 12 से 18 महीने के शिशुओं की लंबाई, वजन, सक्रियता (एक्टिवनेस), बौद्धिक क्षमता और भाषा कौशल प्रभावित हो सकता है। इसमें मां के स्ट्रेस लेवल को भी ध्यान में रखा गया था।

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दुनियाभर में 86 प्रतिशत लोग तनाव से ग्रस्त

2018 में एक हेल्थ इंश्योरेंस फर्म द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया था कि 89 प्रतिशत भारतीय ऐसे हैं जो लंबे समय से तनाव से ग्रस्त हैं, जबकि दुनियाभर में 86 प्रतिशत लोग तनाव से जूझ रहे हैं। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि यह आंकड़ें पहले की पीढ़ी की तुलना में काफी बदतर हैं।

हर व्यक्ति में तनाव का कारण अलग होता है। किसी को काम के बोझ की वजह से तनाव होता है तो किसी को रिलेशनशिप, पैसों की तंगी के कारण तनाव रहता है और आप जितने लंबे समय तक तनाव लेते हैं उतना ही ज्यादा आपके शरीर को स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल (तनाव के दौरान इसमें असंतुलन आ जाता है) से लड़ना पड़ता है। शरीर को यह घातक रूप से प्रभावित कर सकता है। 

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शरीर पर तनाव का असर: 

  • याददाश्त और मूड: लंबे समय तक तनाव लेने पर याददाश्त और मूड दोनों प्रभावित होते हैं। ये आपकी बौद्धिक क्षमता और कार्यों पर बुरा असर डालता है।

  • प्रतिरक्षा प्रणाली: तनाव के शुरूआती या मध्यम स्तर में प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्यों में मदद मिल सकती है लेकिन जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कम कर देता है, जिससे बीमारियों का खतरा बनने लगता है।

  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम: तनाव, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल या जीआई सिस्टम को दो तरह से प्रभावित करता है - पहला, तनाव की वजह से अक्सर भूख में कमी आ जाती है तो वहीं दूसरी ओर तनाव जठरांत्र तंत्र के कार्यों को प्रभावित करता है। इसके फलस्वरूप व्यक्ति को इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसे विकार हो सकते हैं।

थोड़ा-बहुत तनाव हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। हालांकि, हम अपनी परेशानियों को सही तरीके से हैंडल कर के तनाव को नियंत्रित कर सकते हैं। ऐसा कोई भी मुद्दा जो आपको परेशान कर रहा है, उसके बारे में अपने परिवार और दोस्तों से बात करें, ऐसा करने से उस परेशानी के प्रति आपका नजरिया भी बदलेगा और उनकी सलाह आपके काम आ सकती है। 

हमेशा फिट रहने और पौष्टिक आहार लेने की कोशिश करें। दिन में कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लें। कुछ भी नया करने से पहले अच्छी तरह से सोच-विचार कर लें। जितना संभव हो सके तनावपूर्ण चीजों और परिस्थितियों से बचने की कोशिश करें। योग और ध्यान भी तनाव को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं।

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