वैज्ञानिकों ने पुरुषों में गंजेपन और प्रोस्टेट ग्लैंड के बढ़ने की समस्या के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक दवा और आत्महत्या के विचार आने के बीच संबंध होने का दावा किया है। इस दवा का नाम फाइनेस्टेराइड है। पूर्व में आए अध्ययनों में भी इस ड्रग को लेकर इसी तरह के दावे किए गए हैं। अब अमेरिका स्थित ब्रिघम एंड विमन्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस का विश्लेषण करने के बाद यह दावा किया है कि इस दवा को लेने वाले लोगों में आत्महत्या जैसे घातक और जानलेवा विचार जन्म ले सकते हैं।

इस जानकारी को मेडिकल जर्नल जामा डर्मटोलॉडी ने प्रकाशित किया है। अध्ययन रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया है कि उन्हें फाइनेस्टेराइड लेने वाले लोगों में विपरीत मनोवैज्ञानिक बदलाव होने के साथ-साथ उनमें सूसाइडेलिटी पनपने के सिग्नल मिले हैं। मेडिकल टर्म में इस कंडीशन को सूसाइडल आइडिएशन यानी आत्महत्या का विचार भी कहते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो बाल झड़ने की समस्या के इलाज के रूप में इस दवा का सेवन कर रहे युवाओं में इस तरह की प्रवृत्ति जन्म ले सकती है। उन्होंने यह भी पाया है कि 2012 के बाद इस तरह के मनोवैज्ञानिक परिवर्तन के मामले बढ़े हैं।

अध्ययन में मिले इन परिणामों पर इसकी एक लेखक और ब्रिघम एंड विमन्स हॉस्पिटल की यूरोलॉजिस्ट क्योक-डिएन त्रिन्हा कहती हैं, 'इस अध्ययन में हमें इस तरह का सिग्नल मिला है। लेकिन हमें इसकी जैविक व्याख्या के लिए इसकी और जांच कर इसे समझने की जरूरत है। कभी-कभी विपरीत प्रभाव एक प्रकार की भविष्यवाणी की तरह काम कर सकते हैं। लोग इस बारे में जितने जागरूक होंगे, वे उतनी जल्दी इस बारे में रिपोर्ट कर पाएंगे। यह जानकारी अनायास ही नहीं मिली है। हमें बिल्कुल स्पष्ट सिग्नल मिला है, जो हमें इसका जवाब ढूंढने की चुनौती देता है।'

इस जानकारी का पता लगाने से पहले अध्ययनकर्ताओं ने दवाओं से होने वाले गलत रिएक्शन्स और उनसे जुड़ी सुरक्षा आधारित रिपोर्टों से डेटा इकट्ठा किया। इस काम के लिए उन्होंने विजिबेस नामक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया, जो इस तरह के आंकड़े और रिपोर्टें एकत्रित करने का काम करता है। विजिबेस के पास 153 देशों में दवा से होने वाले विपरीत प्रभावों और उनसे जुड़ी दो करोड़ से ज्यादा सेफ्टी रिपोर्ट्स का रिकॉर्ड है। इनमें से 356 रिपोर्ट सूसाइडेलिटी और 2,926 रिपोर्ट मनोवैज्ञानिक रिएक्शन से संबंधित थीं। ये आंकड़े उन्हीं लोगों के थे, जिन्होंने फाइनेस्टेराइड का सेवन किया था।

इन आंकड़ों को खंगालते हुए शोधकर्ताओं ने सूसाइडइल आइडिएशन, डिप्रेशन और एंग्जाइटी का एक अप्रमाणित सिग्नल मिला। यह सिग्नल उन लोगों में था, जिनकी उम्र 45 वर्ष या उससे कम थी और जो बाल झड़ने की समस्या के इलाज के लिए फाइनेस्टेराइड खा रहे थे। दिलचस्प तथ्य यह रहा कि प्रोस्टेट ग्लैंड के बढ़ने के कारण जो बुजुर्ग आयु के लोग इसी ड्रग का सेवन कर रहे थे, उनमें इस तरह के सिग्नल डिटेक्ट नहीं हुए थे।

वैज्ञानिकों ने हेयर लॉस और एन्लार्ज्ड प्रोस्टेट ग्लैंड के इलाज में इस्तेमाल होने वाले अन्य ड्रग्स के डेटा की भी जांच की। उनमें भी इस तरह के सिग्नल नहीं मिले। इससे शोधकर्ताओं का संदेह और मजबूत हुआ कि तुलनात्मक रूप से फाइनेस्टेराइड युवा आयु के लोगों में आत्महत्या का विचार पैदा करने के लिए उत्तरदायी हो सकता है। परिणामों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि हेयर लॉस की समस्या से परेशान युवाओं में इस दवा के साइड इफेक्ट ज्यादा हो सकते हैं। उनमें एंग्जाइटी, डिप्रेशन और सूसाइडल आइडिएशन जैसी घातक और चिंताजनक साइकोलॉजिकल कंडीशन बढ़े हुए स्तर के साथ मौजूद हो सकती हैं।

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