साल 2019 की विदाई के साथ 2020 के आगमन की तैयारियां जोरों पर है। जश्न की तैयारियों के बीच 26 दिसंबर की सुबह आप सभी के पास एक खगोलीय घटना के भी गवाह बनने का मौका है। जी हां, गुरुवार सुबह सूर्य ग्रहण का अदभुत नजारा देखने को मिलेगा। जहां एक तरफ खगोलविद और अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रखने वाले लोग इसको लेकर उत्साहित हैं, वहीं ज्योतिष में विश्वास रखने वाले इसके प्रभावों को लेकर आशंकित हैं। चलिए जानते हैं सूर्य ग्रहण का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है।

कैसा होगा इस बार का सूर्यग्रहण
सूर्य ग्रहण को लगभग पूरे भारत में देखा जा सकेगा, लेकिन दक्षिण भारत में इसका नजारा अनोखा होगा। यहां आप रिंग ऑफ फायर (कुंडलाकार ग्रहण) का नजारा कर पाएंगे। यानि जब ग्रहण अपने चरम पर होगा उस वक्त दक्षिण भारत में सूर्य किसी आग के छल्ले जैसा दिखेगा।

बता दें कि कुंडलाकार ग्रहण के दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाएगा। सूर्य के बाहरी क्षेत्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी से दिखाई देंगे। वहीं, महत्वपूर्ण बात ये है कि कुंडलाकार ग्रहण (पूरी तरह से गोल या अगूंठी की तरह) 9 सालों की अवधि के बाद हो रहा है और इस तरह की घटना फिर से 21 मई 2031 को तमिलनाडु में दिखाई देगी।

सूर्य ग्रहण का समय
यह सूर्य ग्रहण सुबह 8 बजकर 07 मिनट (त्रिची, तिरुचिरापल्ली) पर शुरू होगा और 11 बजकर 16 मिनट पर खत्म हो जाएगा। इस तरह सूर्यग्रहण को 3 घंटे, 09 मिनट तक देखा जा सकेगा।

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कहां-कहां से देखा जा सकेगा सूर्य ग्रहण
साल 2019 का आखिरी सूर्य ग्रहण यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया समेत अफ्रीकी देशों में दिखाई देगा। लिहाजा, यहां रहने वाले लोगों के लिए इस सूर्य ग्रहण को देखने का अच्छा मौका होगा। खासकर भारत, सिंगापुर, फिलीपींस, साउदी अरब, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, कतर, यूएई, ओमान और ऑस्ट्रेलिया में लोग आसानी से इस सूर्य ग्रहण को देख सकेंगे, जो कि इस दशक का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा।

भारत में कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण?
भारत में सूर्य ग्रहण को साफ तौर पर दक्षिण भारत में देखा जा सकेगा। यहां तमिलनाडु और केरल के लोग सूर्य ग्रहण को एक चमकदार रिंग की तरह एकदम साफ देख सकेंगे। इन दोनों राज्यों में तिरुप्पुर, कोयम्बटूर, डिंडीगुल, मंगलोर और त्रिची (तिरुचिरापल्ली) और कोझीकोड जैसे शहरों में सूर्यग्रहण पूरे समय (3 घंटे,9 मिनट) तक रहेगा।

  • इसके अलावा देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। उतर भारत में सूर्य का 40 प्रतिशत हिस्सा ही चंद्रमा से ढका दिखाई दे सकेगा।
  • राजधानी दिल्ली में भी आंशिक सूर्य ग्रहण दिखेगा, यहां सूर्य का 44.7 प्रतिशत हिस्सा चंद्रमा के पीछे छिपा रहेगा। दिल्ली में ग्रहण सुबह 8 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा और 10 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
  • वहीं, बाकी शहरों में जैसे- बैंगलुरू में 89.4 प्रतिशत, हैदराबाद में 74.3 प्रतिशत, अहमदाबाद में 66 प्रतिशत, चैन्नई में 84.6 प्रतिशत और कोलकाता में सूर्य ग्रहण के 45.1 प्रतिशत हिस्से को ही लोग अनुभव कर सकेंगे।

सूर्य ग्रहण को लेकर मिथक
भारत में धार्मिक मान्‍यताओं के मुताबिक ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान मानव शरीर पर एक अलग तरह का प्रभाव पड़ता है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं (केवल मान्यताओं के आधार पर दिया गया तर्क) को खास ध्यान देने की सलाह दी जाती है, क्योंकि माना जाता है कि ग्रहण के वक्त सूतक काल लग जाता है। वहीं, ऐसे में खाने पीने की चीजों में तुलसी की पत्तियां डालकर रखने की सलाह भी दी जाती है। माना जाता है कि इससे खाना दूषित नहीं होता।

मिथक के विपरीत क्या कहता है विज्ञान?
हिंदू मान्यता में बेशक सूर्य ग्रहण को एक अलग महत्व मिले, लेकिन विज्ञान इसे सिर्फ एक खगोलीय घटना मानता है। ग्रहण को लेकर विज्ञान का अलग तर्क है। विज्ञान कहता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान खतरनाक सोलर रेडिएशन निकलता है। जिसके कारण सोलर रेडिएशन आंखों के नाजुक टिशू को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए नंगी आंखों से ग्रहण को देखना खतरनाक माना जाता है। जिसे रेटिनल सनबर्न का नाम दिया गया है।

सूर्य ग्रहण कैसे देखें
नंगी आंखों से ग्रहण को देखने से आंखों को नुकसान पहुंचने की आशंका होती है। ऐसी स्थिति में आंखों की रोशनी तक जा सकती है। इसलिए कुछ चीजों के जरिए आप सूर्य ग्रहण देख सकते हैं, जैसे-

सोलर व्यूअर का करें प्रयोग - सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से बिल्कुल ना देखें। बल्कि इसके लिए आप सोलर फिल्टर या सोलर व्यूअर का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिससे आपकी आंखों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता

लेंस या चश्मा जरूर लगाएं - सूर्य ग्रहण को देखने के लिए स्पेशल गॉगल (खास तरह के चश्मे) का इस्तेमाल करें। अगर आप चाहें तो एक्स-रे फिल्म के जरिए या उसके द्वारा बनाए गए चश्मे से भी ग्रहण को देख सकते हैं।

खैर विज्ञान के आधार पर सूर्य ग्रहण खगोलीय घटना हो सकती है। जिसका एक अलग प्रभाव है। लेकिन, हिंदू मान्यताओं के आधार पर इस काल को राशि चक्र से जोड़कर देखा गया है। जिसका गहरा असर, व्यक्ति के जीवन पर पड़ सकता है।

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