भैंस एक जुगाली करने वाला पशु है, जिसे हिन्दी में रोमंथक और अंग्रेजी में रुमिनेंट (Ruminant) कहा जाता है। भैंस मुख्य रूप से हरी घास व कुछ अन्य प्रकार की वनस्पतियां खाती है और इसकी भोजन व पाचन प्रणाली मानव शरीर से पूरी तरह से अलग होती है। भैंस पहले घास खाती है और नरम बनाने के लिए वापस मुंह में लाकर उसकी जुगाली करती है, ताकि उसे आसानी से पचाया जा सके। भैंस के पेट में अत्यधिक मात्रा में गैस बनती है, जिससे वह सामान्य रूप से जुगाली करते समय निकालती रहती है।

भैंस हर मिनट में कम से कम एक बार अपने मुंह से गैस निकाल देती हैं। हालांकि कुछ असामान्य स्थितियों के कारण भैंस बन रही इस गैस को निकाल नहीं पाती और उसका पेट फूलने लगता है। भैंस का पेट फूलना कुछ मामलों में एक हानिकारक स्थिति हो सकती है जिसका जितना जल्दी हो सके समाधान करना बहुत जरूरी होता है। इस लेख में भैंस के पेट फूलने की बीमारी, उसके कारणों व लक्षणों के साथ साथ भैंस के पेट फूलने की दवा आदि के बारे में भी बताया गया है।

  1. भैंस का पेट फूलना क्या है - What is Bloating in Buffalo in Hindi
  2. भैंस का पेट फूलने के प्रकार - Types of Bloating in Buffalo in Hindi
  3. भैंस का पेट फूलने के लक्षण - Bloating In Buffalo Symptoms in Hindi
  4. भैंस का पेट फूलने का कारण - Bloating In Buffalo Causes in Hindi
  5. भैंस का पेट फूलने का परीक्षण - Diagnosis of Bloating In Buffalo in Hindi
  6. भैंस का पेट फूलने का इलाज - Bloating In Buffalo Treatment in Hindi
  7. भैंस का पेट फूलने की जटिलताएं - Bloating In Buffalo Complication in Hindi

भैंस का पेट फूलना क्या है

सामान्य भाषा में जब भैंस के पेट में बनने वाली गैस बाहर नहीं निकल पाती तो उसका पेट फूलने लगता है। भैंस के शरीर में चार पेट होते हैं, जब व घास खाती है तो वह सबसे पहले रुमेन (Rumen) में जाता है और इस प्रक्रिया के दौरान रुमेन में गैस बनती है। यह गैस पाचन प्रक्रिया के दौरान सामान्य रूप से निकलती है और जब भैंस जुगाली करने के लिए घास को वापस मुंह में लेती है, तो इस दौरान यह गैस मुंह से होते हुऐ बाहर निकल जाती है।

कुछ स्थितियों के कारण भैंस बेल्चिंग (घास को पेट से वापस मुंह में लाने की प्रक्रिया) नहीं कर पाती हैं या फिर बेल्चिंग के दौरान सामान्य रूप से गैस को नहीं निकाल पाती हैं। इसके परिणामस्वरूप पेट में गैस जमा होने लगती है। इस स्थिति को भैंस का पेट फूलना या भैंस के पेट में गैस कहा जाता है।

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भैंस का पेट फूलने के कितने प्रकार हैं?

भैंसों में होने वाली पेट फूलने की बीमारी के दो मुख्य प्रकार हैं:

  • झागदार फुलाव (Frothy bloat):
    यह भैंसों के पेट फूलने से संबंधी सबसे आम प्रकार है और अधिकतर पशुओं में यह समस्या होती है। इसके होने का खतरा मौसम के अनुसार भी कम ज्यादा होता है, विशेषज्ञों के अनुसार बसंत और पतझड़ ऋतू में झागदार फुलाव अधिक होता है।
     
  • गैसीय फुलाव:
    झागदार फुलाव के मुकाबले इसके मामले काफी कम देखे जाते हैं। यह आमतौर पर ग्रासनली में कोई बाहरी वस्तु फंस जाने के कारण होती है, जैसे भैंस द्वारा किसी कच्ची सब्जी (आलू आदि) को बिना चबाए खाया जाना। मुंह से पेट तक घास को पहुंचाने वाली नली को ग्रासनली कहा जाता है और जब इसमें कुछ फंस जाता है, तो भैंस डकार या बेल्चिंग नहीं कर पाती है जिस वजह से पेट के अंदर गैस जमा होने लगती है।

भैंस का पेट फूलने पर कैसे पता करें?

कुछ मामलों में ग्रासनली में रुकावट होने के कारण अचानक से पेट में गैस जमा होने लगती है और ऐसी स्थिति में लक्षणों का पता लगाने में ज्यादा समय नहीं लगता है। जबकि कुछ मामलों में भैंस के पेट में धीरे-धीरे गैस जमा होती है और इस स्थिति में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं:

  • घास खाना या चरना बंद कर देना
  • भैंस सुस्त दिखाई देना या स्वेच्छा से चलना फिरना बंद कर देना
  • भैंस का बाईं तरफ का पेट असामान्य रूप से फूल जाना
  • सांस लेते समय मुंह से असामान्य रूप से आवाज निकलना
  • आंखें बाहर की तरफ निकलना
  • पेशाब या गोबर करने के लिए अधिक जोर लगाना
  • तेजी से सांस लेना साथ ही कुछ मामलों में भैंस इस दौरान अपनी जीभ निकाल सकती है।

इसके अलावा हर भैंस के अनुसार अनुसार उसके लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ मामलों में भैंस द्वारा बार-बार अपने पेट पर लात मारना, बार-बार खुर जमीन पर मारना या फिर कुछ मामलों में जमीन पर लेट जाना और उठाने पर भी न उठना आदि लक्षण भी देखे जा सकते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको ऊपरोक्त में से कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है, तो जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए। क्योंकि यदि पेट के अंदर गैस गंभीर रूप से जमा हो गई है, तो इलाज के बिना कुछ ही मिनट में भैंस की मृत्यु हो सकती है।

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भैंस का पेट क्यों फूलता है?

भैंस का पेट फूलने का मुख्य कारण होता है, जुगाली के दौरान उसके शरीर से गैस न निकल पाना और परिणामस्वरूप पेट में जमा होने लगना। रुमेन में मौजूद घास का पाचन करने के लिए किण्वन प्रक्रिया (एक प्रकार से सड़ने जैसी प्रक्रिया) शुरु हो जाती है, जिससे गैस बनती है। जब यह गैस मुंह से निकल न पाए, तो पेट (रुमेन) फूलने लगता है, गैस न निकलने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे: 

  • गले में कोई बाहरी वस्तु अटक जाना, जैसे कोई छोटी गेंद या अन्य वस्तु
  • कोई ठोस सब्जी अटक जाना खासतौर पर जब किसी सब्जी को बिना चबाए निगल लिया जाता है
  • खाए गए घास का गोला बन कर अटक जाना

इसके अलावा मिल्क फीवर व टेटनस जैसे अन्य कई रोग हो सकते हैं, जिनके कारण भैंस जुगाली करना बंद कर देती है और परिणामस्वरूप उनके पेट में गैस जमा होने लगती है।

कुछ विशेषज्ञों के अनुसार घास पर जमी ओस भी भैंसों के पेट में गैस बनने के जोखिम को बढ़ा सकती है। भैंस अधिक रसीले और फलियों वाले घास को चरना पसंद करती हैं और यह भी भैंस के रुमेन में गैस बनने का खतरा बढ़ा देता है।

भैंस के पेट में गैस का परीक्षण कैसे किया जाता है?

भैंसों के शारीरिक स्वास्थ्य व अन्य स्थितियों के अनुसार डॉक्टर उनके शारीरिक लक्षणों का पता लगाने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा भैंस का पेट फूलने पर कुछ अन्य सुझाव भी दिए जा सकते हैं।

  • मालिक से उसकी भैंस द्वारा पिछले कुछ दिनों में खाए गए घास के बारे में  जानकारी लेना
  • भैंस के मुंह में एक विशेष नली (Stomach tube) डालकर पता लगाना कि यह गैसीय फुलाव है या झागदार फुलाव।

भैंस का पेट फूलने का इलाज कैसे किया जाता है?

भैंसों में पेट पेट फूलने की समस्या कुछ मामलों में अधिक गंभीर नहीं होती लेकिन अन्य मामलों में यह अत्यधिक भयानक स्थिति हो सकती है। इसलिए इस स्थिति का जितना जल्दी हो सके इलाज करवा देना बेहतर होता है, क्योंकि कुछ ही मिनट की देरी के कारण भैंस की मृत्यु हो सकती है। बसंत और पतझड़ का मौसम शुरु होने से पहले ही पशुओं के डॉक्टर से इस बारे में बात कर लें और इस रोग के लक्षणों की पहचान करना सीख लें। इसके अलावा डॉक्टर आपको कुछ अन्य सुझाव भी दे सकते हैं, जिसकी मदद से भैंस को जुगाली करने या डकार दिलाने के लिए उपाय किए जाते हैं, इसमें निम्न शामिल है:

  • भैंस के फूले हुऐ पेट पर मालिश करना
  • भैंस के मुंह में टेढ़ी करके छड़ी लगाना (जैसे घोड़े की नाल होती है)
  • गले के नीचे हाथ फेरना व मालिश करना
  • भैंस को लगभग एक घंटे तक चलाना फिराना

यदि कोई विशेष घास या फलियां आदि खाने के कारण पेट भैंस का पेट फूला है, तो उसे यह दोबारा नहीं दिया जाना चाहिए और डॉक्टर की मदद से उसे अच्छी फाइबर वाली घास देनी चाहिए। यदि गैस की समस्या अधिक गंभीर नहीं है तो मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध कुछ घोल हैं, जो गैस को कम करने का काम करते हैं। इनका उपयोग करने से पहले विशेष तौर पर डॉक्टर से पूछना बहुत जरूरी होता है। यदि आपको लगता है कि भैंस को गैस बनने से संबंधित किसी प्रकार की तकलीफ है या फिर उसका पेट फूला हुआ लगता है, तो जितना जल्दी हो सके डॉक्टर को बुला लें।

समय रहते डॉक्टर कुछ एंटी ब्लोटिंग दवाएं दे देते हैं, इन दवाओं में झाग व गैस को कम करने वाले एजेंट होते हैं। ये दवाएं सभी मामलों में प्रभावी साबित तो नहीं होती हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में इनसे स्थिति को नियंत्रित कर लिया जाता है। डॉक्टर इन दवाओं को अन्य इलाज प्रक्रियाओं के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनकी मदद से भैंस के पेट में जमा गैस संबंधी स्थिति को नियंत्रण में लिया जाता है।

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भैंस के पेट में गैस से क्या समस्याएं हो सकती हैं?

भैंस के पेट में गैस जमा होना वैसे तो एक आम समस्या होती है, लेकिन कई बार यह अत्यंत गंभीर रूप धारण कर लेती है। इस स्थिति में भैंस को बेहद दर्द व तकलीफ होती है और यहां तक कि भैंस की मृत्यु भी हो सकती है। जब गैस या झाग रुमेन में जमा होने लगती है, तो उसका आकार बढ़ने लगता है। आकार बढ़ने के कारण भैंस के हृदय व फेफड़ों पर दबाव पड़ने लगता है और परिणामस्वरूप वे काम करना बंद कर देते हैं।

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