पाइलोरोप्लास्टी एक ऐसी सर्जरी है जिसमें पेट से छोटी आंत में खाने को ले जाने वाले सिरे (ओपनिंग) यानि पाइलोरस को चौड़ा किया जाता है। पेप्टिक अल्सर और गैस्ट्रोपैरेसिस जैसी स्थितियों के कारण पाइलोरस संकुचित हो जाती है और इसमें खाना फंसने लगता है। इस रास्ते को चौड़ा करने के लिए ही यह सर्जरी की जाती है।
मरीज को जनरल एनेस्थीसिया देने के बाद पाइलोरोप्लास्टी की जाती है। सर्जरी के दौरान पाइलोरस तक पहुंचने के बाद पाइलोरस की दीवार को काटकर दोनों में एकसाथ टांका लगाया जाता है ताकि यह रास्ता चौड़ा हो सके।
इस ऑपरेशन में एक से दो घंटे लगते हैं। ऑपरेशन के बाद मरीज को एक से तीन दिनों तक या स्थिति ठीक होने तक अस्पताल में रूकना पड़ सकता है।
- पाइलोरोप्लास्टी क्या है - What is Pyloroplasty in Hindi
- पाइलोरोप्लास्टी क्यों की जाती है - Why Pyloroplasty is done in Hindi
- पाइलोरोप्लास्टी कब नहीं करवानी चाहिए - When Pyloroplasty is not done in Hindi
- पाइलोरोप्लास्टी से पहले की तैयारी - Preparations before Pyloroplasty in Hindi
- पाइलोरोप्लास्टी कैसे की जाती है - How Pyloroplasty is done in Hindi
- पाइलोरोप्लास्टी के बाद देखभाल - Pyloroplasty after care in Hindi
- पाइलोरोप्लास्टी की जटिलताएं - Pyloroplasty Complications in Hindi
पाइलोरोप्लास्टी क्या है - What is Pyloroplasty in Hindi
पाचन से पहले छोटी आंत में खाना जाने से पहले पेट इसका कुछ हिस्सा पचा लेता है। पेट तीन हिस्सों में बंटा होता है फंडस, बॉडी और पाइलोरस।
जहां से पानी और खाना पेट से निकलकर छोटी आंत में जाता है वह मांसपेशीय नाड़ी पाइलोरस कहलाता है। हालांकि, कुछ स्थितियों जैसे कि पाइलोरिक स्टेनोसिस पाइलोरस को प्रभावित करती है और खाने के इस रास्ते को ब्लॉक कर देती है।
ऐसे कुछ मामलों में सर्जन पाइलोरस को चौड़ा करने के लिए पाइलोरोप्लास्टी की सलाह देते हैं ताकि खाना छोटी आंत में जा सके।
पाइलोरोप्लास्टी क्यों की जाती है - Why Pyloroplasty is done in Hindi
निम्न स्थितियों में पाइलोरोप्लास्टी की सलाह दी जाती है :
- पाइलोरिक स्टेनोसिस : इसके लक्षण हैं :
- वजन कम होना
- पेट में दर्द
- पानी की कमी
- खाने के बाद जबरदस्ती उल्टी होना।
- पेल्टिक अल्सर डिजीज : इसके लक्षण हैं :
- हल्की मतली
- पेट भरा महसूस होना
- पेट दर्द की वजह से नींद न आ पाना।
- खाना खाने के बाद पेट में खालीपन महसूस होना।
- गैस्ट्रोपैरेसिस : इसके लक्षण हैं :
- भूख में कमी
- सीने में जलन
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
- पेट फूलना
पाइलोरोप्लास्टी कब नहीं करवानी चाहिए - When Pyloroplasty is not done in Hindi
अगर मरीज के लिए जनरल एनेस्थीसिया सुरक्षित न हो, तो सर्जरी के लिए मना किया जा सकता है। निम्न स्थितियों में भी सर्जरी को टाला जा सकता है :
- हार्ट, फेफड़ों या किडनी की कोई गंभीर बीमारी।
- प्रेगनेंट महिला।
- सिगरेट पीने की लत में।
पाइलोरोप्लास्टी से पहले की तैयारी - Preparations before Pyloroplasty in Hindi
सर्जरी से कुछ दिन पहले अस्पताल जाना होता है, जहां डॉक्टर कुछ सवाल पूछ सकते हैं :
- फिलहाल और पहले कोई बीमारी हो।
- कोई एलर्जी हो।
- पहले कभी एनेस्थीसिया लिया हो।
- प्रेगनेंट हों।
- कोई दवा, डॉक्टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवा, विटामिन और जड़ी बूटी ले रहे हैं।
मरीज सर्जरी के लिए फिट है या नहीं, ये जानने के लिए निम्न टेस्ट करवाए जाते हैं :
- ब्लड टेस्ट
- पेशाब का टेस्ट
- प्रेग्नेंसी टेस्ट
- हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन (एक तरह का बैक्टीरिया) के लिए ब्रेथ टेस्ट।
- एंडोस्कोपी
- एक्स-रे या सीटी स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट।
इसके अलावा सर्जरी के लिए तैयार होने के लिए निम्न निर्देश दिए जाते हैं :
- सर्जरी से एक रात पहले कुछ भी खाने-पीने से मना किया जाता है। इससे ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया की वजह से उल्टी नहीं होती है।
- खून पतला करने वाली दवाएं जैसे कि एस्प्रिन, विटामिन ई, क्लोपिडोग्रेल लेना बंद करना होता है।
- ऑपरेशन से कुछ हफ्ते पहले सिगरेट पीना बंद करना।
- सर्जरी वाले दिन कोई दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर उसके बारे में बताएं।
- ऑपरेशन से पहले नहाएं और मेकअप, नेल पॉलिश और ज्वेलरी उतारनी होती है।
- अगर ऑपरेशन से कुछ दिन पहले फ्लू, जुकाम या बुखार रहा है तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं। ऐसे में सर्जरी को टाला जा सकता है।
- सर्जरी के बाद मरीज को घर ले जाने के लिए कोई दोस्त या परिवार के सदस्य का होना।
इस प्रक्रिया से जुड़ी प्रक्रियाओं और जोखिमों के बारे में मरीज को बताना होता है। इसके बाद मरीज से सर्जरी की अनुमति के लिए एक फॉर्म साइन करवाया जाता है।
पाइलोरोप्लास्टी कैसे की जाती है - How Pyloroplasty is done in Hindi
अस्पताल पहुंचने के बाद मरीज को हॉस्पीटल गाउन पहनाई जाती है। इसके बाद मरीज की बांह या हाथ में ड्रिप लगाई जाती है जिससे सर्जरी के दौरान जरूरी दवाइयां और तरल पदार्थ दिए जाते हैं। यह सर्जरी ओपन या लेप्रोस्कोपी तरीके से की जा सकती है।
ओपन पाइलोरोप्लास्टी के स्टेप्स हैं :
- मरीज को बेहोश करने के लिए जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है।
- पाइलोरस तक पहुंचने के लिए डॉक्टर पेट के ऊपरी हिस्से पर एक बड़ा कट लगाया जाता है।
- ओपनिंग को चौड़ा करने के लिए पाइलोरिक मांसपेशियों में एक और कट लगाया जाता है।
- इसके बाद सर्जन मस्कुलर दीवार पर इस तरह टांका लगाएंगे कि पाइलोरस चौड़ी होकर खुली रहे।
- फिर सर्जन पेट में टांके लगा देते हैं।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी जो है वो ओपन सर्जरी से अलग होती है क्योंकि इसका तरीका और उपकरण अलग होते हैं। इसमें पेट में एक बड़ा कट लगाने की बजाय लेप्रोस्कोपी तरीके में तीन से पांच छोटे कट पेट में लगाए जाते हैं।
इसके बाद सर्जल लेप्रोस्कोप समेत सर्जरी के छोटे उपकरण इन कट के जरिए पाइलोरस तक पहुंचाते हैं। लेप्रोस्कोपी पर छोटा-सा कैमरा होता है जिससे पेट के अंदर की चीजों को बाहर मॉनिटर पर देखा जाता है।
फिर पेट में जगह बनाने के लिए उसे गैस से भरा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में एक से दो घंटे के समय लगता है। अगर अल्सर के लिए सर्जरी की जा रही है तो वेगोटोमी जैसी अन्य सर्जरी भी पाइलोरोप्लास्टी के साथ की जा सकती है।
ऑपरेशन के बाद मरीज को उसके कमरे में ले जाकर एक से दो घंटे तक उसे मॉनिटर किया जाता है। मरीज के होश में आने के बाद उसे बेचैनी, बेसुध या थकान महसूस हो सकती है। गले में खराश या मुंह में सूखापन भी हो सकता है।
आमतौर पर ये जनरल एनेस्थीसिया के साइड इफेक्ट होते हैं और कुछ घंटों में ठीक हो जाते हैं। मरीज को एक से तीन दिनों तक अस्पताल में रूकना पड़ सकता है। इस दौरान मरीज को धीरे-धीरे नियमित आहार दिया जाता है। डिस्चार्ज होने से पहले घर पर सर्जरी वाली जगह की देखभाल के लिए कुछ निर्देश दिए जाते हैं।
पाइलोरोप्लास्टी के बाद देखभाल - Pyloroplasty after care in Hindi
घर पहुंचने के बाद निम्न रूप से देखभाल की जाती है :
- दवा : सर्जरी के बाद थोड़ा दर्द और असहजता हो सकती है। डॉक्टर इसके लिए कुछ दवाएं भी देंगे। इसके अलावा रेचक और एंटीबायोटिक भी दिए जा सकते हैं। डॉक्टर के बताए अनुसार दवा लें।
- ड्रेसिंग : घर जाने के बाद डॉक्टर के बताए अनुसार पट्टी करनी है। गंदी या गीली होने पर तुरंत पट्टी बदलें।
- नहाना : सर्जरी के 48 घंटे बाद मरीज नहा सकता है। हालांकि, जब तक ऑपरेशन वाली जगह पूरी तरह से ठीक न हो, तक तक स्विमिंग न करें या बाथ टब या हॉट टब में न बैठें।
- फिजिकल एक्टिविटी : जितना हो सके चलने की कोशिश करें। सर्जरी के बाद छह हफ्ते तक कोई भारी सामान उठाने से बचें।
- आहार : सर्जन द्वारा आहार संबंधी निर्देशों का सख्ती से पालन करें। खून पानी और तरल पदार्थ पिएं। पेट साफ रहे इसलिए फाइबर वाली चीजें खाएं।
- गाड़ी चलाना : सर्जन से बात करने के बाद ही गाड़ी चलाना शुरू करें।
- अन्य निर्देश : पेट के टांकों को बचाने के लिए कुछ निर्देश हैं :
- खांसते या छींकते समय टांके वाली जगह पर तकिया लगाएं।
- टांके वाली जगह पर खुजली न करें या उसे खींचे नहीं।
- घाव के आसपास टाइट कपड़े पहनने से बचें।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
निम्न लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को बताएं :
- बुखार और ठंड लगना।
- टांके वाली जगह से ब्लीडिंग या स्राव ज्यादा होना।
- ऑपरेशन वाली जगह पर असहजता, दर्द, सूजन या लालिमा बढ़ना।
- छाती में दर्द या खांसी।
- सांस लेने में दिक्कत।
- पेट में तेज दर्द होना।
- पसीना ज्यादा आना।
- बार-बार उल्टी या मतली होना।
- उल्टी में खून आना।
- टांके का खुलना शुरू होना।
- मल में खून आना।
पाइलोरोप्लास्टी की जटिलताएं - Pyloroplasty Complications in Hindi
सर्जरी से जुड़ी कुछ जटिलताएं और जोखिम हो सकते हैं, जैसे कि :
- इंफेक्शन
- ब्लीडिंग
- कुपोषण
- लंबे समय तक दस्त होना।
- पेट से कुछ लीक होना।
- ऑपरेशन वाली जगह हर्निया होना।
- आंत की दीवार या आसपास अंगों का छिलना
- जनरल एनेस्थीसिया जैसे कि उलझन या फेफड़ों में इंफेक्शन जैसे जोखिम रहना।
ऑपरेशन के बाद डॉक्टर के पास फॉलो-अप के लिए कब जाएं?
ऑपरेशन के बाद घाव को चेक करने के लिए सर्जरी के एक से दो हफ्ते बाद अस्पताल जाना होता है।
नोट : ऊपर दी गई संपूर्ण जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं है।
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संदर्भ
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