स्प्लेनोपेक्सी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से पेट में हिलती-ढुलती स्प्लीन (प्लीहा) को उसकी सामान्य जगह पर स्थिर किया जाता है। स्प्लीन को हिंदी में तिल्ली या प्लीहा भी कहा जाता है, जो पेट के ऊपरी हिस्से में बाईं तरफ स्थित होता है। प्लीहा आमतौर पर आसपास के लिगामेंट की मदद से एक जगह पर स्थित होता है। हालांकि, यदि लिगामेंट कमजोर हैं या संख्या में सामान्य की तुलना में कम हैं, तो स्प्लीन हिलने लगता है। यह एक असामान्य स्थिति है, जिससे कई समस्याएं होने लगती हैं, जैसे एनीमिया, मल में खून और कमजोरी आदि। इस स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टर स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी कराने की सलाह देते हैं, जिससे स्प्लीन को एक जगह पर स्थिर कर दिया जाता है।
स्प्लीन अस्थिर होने की स्थिति का पता लगाने या उसकी पुष्टि करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं जैसे अल्ट्रासाउंड या डॉपलर अल्ट्रासाउंड आदि। डॉक्टर आपको सर्जरी से कुछ घंटे पहले और बाद तक खाली पेट रहने की सलाह देते हैं। यह सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर की जाती है। सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको अपने स्वास्थ्य की विशेष देखभाल करने की सलाह देते हैं, ताकि आप सर्जरी के बाद जल्द से जल्द स्वस्थ हो सकें।
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- स्प्लेनोपेक्सी क्या है - What is Splenopexy in Hindi
- स्प्लेनोपेक्सी किसलिए की जाती है - Why is Splenopexy done in Hindi
- स्प्लेनोपेक्सी से पहले - Before Splenopexy in Hindi
- स्प्लेनोपेक्सी के दौरान - During Splenopexy in Hindi
- स्प्लेनोपेक्सी के बाद - After Splenopexy in Hindi
- स्प्लेनोपेक्सी की जटिलताएं - Complications of Splenopexy in Hindi
स्प्लेनोपेक्सी क्या है - What is Splenopexy in Hindi
स्प्लेनोपेक्सी एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसे अस्थिर स्प्लीन को फिर से स्थिर बनाने के लिए किया जाता है। इस सर्जरी की मदद से प्लीहा को आसपास के हिस्सों से जोड़ दिया जाता है, जिसके बाद वह हिल नहीं पाता है।
स्प्लीन या प्लीहा एक छोटा सा बैंगनी रंग का अंग है, जो पेट के ऊपरी हिस्से में बाईं तरफ डायाफ्राम के ठीक नीचे स्थित होता है। डायाफ्राम मांसपेशियों से बनी एक पतली शीट होती है, जो सीने और पेट के हिस्सों को अलग करती है। स्प्लीन शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कई आवश्यक कार्य करती है। उदाहरण के लिए यह क्षतिग्रस्त, पुरानी या ठीक से न बनी हुई लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करती है। प्लीहा एक या उससे लिगामेंट (तंतुओं से युक्त ऊतक) की मदद से अपनी सामान्य जगह पर चिपका होता है। यदि ये लिगामेंट कमजोर पड़ जाते हैं, तो प्लीहा अस्थिर हो जाता है और परिणामस्वरूप पेट में इधर-उधर घूमने लगता है। इस स्थिति को वॉन्डरिंग “स्प्लीन” या “स्प्लेनोप्टोसिस” कहा जाता है। यदि स्प्लेनोप्टोसिस का समय पर इलाज न किया जाए तो इससे गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं जैसे रक्त का बहाव अनियंत्रित होना, पोर्टल हाइपरटेंशन (हाई बीपी का एक प्रकार जो लिवर को प्रभावित करता है) और स्प्लेनिक इंफार्क्शन (स्प्लीन के ऊतक नष्ट होना) आदि।
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स्प्लेनोपेक्सी किसलिए की जाती है - Why is Splenopexy done in Hindi
स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी किसलिए की जाती है?
यदि आपको स्प्लेनोप्टोसिस की समस्या हो गई है, तो उसका इलाज करने के लिए स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी की जा सकती है। यदि आपका प्लीहा अस्थिर हो गया है, तो आपको निम्न लक्षण विकसित हो सकते हैं -
- उल्टी व मतली होना
- प्लीहा बढ़ना
- पेट दर्द
- पेट में गांठ महसूस होना
- बुखार
- आंतें अवरुद्ध होना
इसके अलावा स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी को निम्न समस्याएं ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है -
- स्प्लीन मुड़ जाना (जिससे प्लीहा को रक्त देने वाली नसें मुड़ जाती हैं)
- अस्थिर प्लीहा में कोई बड़ी सिस्ट बन जाना, जिसके कारण उसे सामान्य जगह पर स्थिर करना जरूरी हो जाए
- पेल्विक स्प्लीन (इस स्थिति में स्प्लीन पेट के निचले हिस्से में चली जाती है।
स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?
यदि आपको स्प्लेनोप्टोसिस से संबंधित कोई भी लक्षण महसूस नहीं हो रहा है, तो सर्जन यह सर्जरी न करवाने की सलाह दे सकते हैं।
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स्प्लेनोपेक्सी से पहले - Before Splenopexy in Hindi
स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी से पहले क्या तैयारी की जाती है?
सर्जरी से पहले निम्न तैयारियां की जा सकती हैं -
- आपको सर्जरी से एक-दो दिन पहले अस्पताल बुलाया जाता है, जिस दौरान आपका शारीरिक परीक्षण व कुछ अन्य टेस्ट किए जाते हैं। इन सभी परीक्षणों की मदद से स्प्लेनोप्टोसिस की पुष्टि की जाती है और साथ ही स्प्लीन की लोकेशन का पता लगाया जाता है। इन टेस्टों में निम्न शामिल हैं -
- सीटी स्कैन
- अल्ट्रासोनोग्राफी
- कलर डॉपलर स्टडी
- एमआरआई स्कैन
- यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद, विटामिन, मिनरल या अन्य कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को अवश्य बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टर सर्जरी से पहले ही आपको कुछ दवाएं लेना बंद करने की सलाह दे सकते हैं, जिनमें आमतौर पर रक्त पतला करने वाली दवाएं शामिल हैं जैसे एस्पिरिन, आइबुप्रोफेन, वारफेरिन, विटामिन ई और क्लोपिडोग्रेल।
- सर्जरी से पहले डॉक्टर आपको फ्लू व निमोनिया के लिए टीकाकरण करवाने की सलाह भी दे सकते हैं।
- यदि आपको किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है या फिर सर्जरी से एक दो दिन पहले जुकाम, बुखार या फ्लू जैसी समस्याएं हो चुकी हैं तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें।
- यदि आपको किसी दवा, चीज या भोजन आदि से एलर्जी है, तो इस बारे में भी डॉक्टर को बता दें। ऐसे में डॉक्टर सर्जरी से पहले आपके कुछ एलर्जी टेस्ट कर सकते हैं, जिनमें यह पता लगाया जाता है कि कहीं आपको सर्जरी में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों व उत्पादों से एलर्जी तो नहीं है।
- यदि आप सिगरेट या शराब पीते हैं, तो इस बारे में भी डॉक्टर को पहले ही बता दें। धूम्रपान व शराब का सेवन करने से सर्जरी के दौरान व बाद में जटिलताएं हो सकती हैं, इसलिए डॉक्टर कुछ दिन पहले और बाद तक इन्हें छोड़ने की सलाह दे सकते हैं। (और पढ़ें - शराब की लत छुड़ाने के तरीके)
- सर्जरी वाले दिन आपको खाली पेट अस्पताल आने को कहा जाता है। ऐसा करने के लिए सर्जरी वाले दिन से पहली आधी रात के बाद आपको कुछ भी खाने या पीने से मना किया जाता है।
- ऑपरेशन वाले दिन आपको अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लाने की सलाह दी जाती है, ताकि सर्जरी से पहले और बाद के कार्यों में आपको मदद मिल सके।
- अस्पताल में आपको सहमति पत्र दिया जाता है, जिस पर हस्ताक्षर करके सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं।
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स्प्लेनोपेक्सी के दौरान - During Splenopexy in Hindi
स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी कैसे की जाती है?
स्प्लेनोपेक्सी को दोनों सर्जिकल प्रक्रियाओं के साथ किया जा सकता है जिन्हें ओपन सर्जरी व लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के नाम से जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को अधिक लाभदायक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें कम समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है, दर्द कम होता है और इसके घाव भी जल्दी भर जाते हैं। इस सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर किया जाता है, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सो जाते हैं और आपको दर्द या कोई तकलीफ महसूस नहीं होती है। सर्जरी को निम्न प्रक्रिया के अनुसार किया जा सकता है -
- आपको एक विशेष ड्रेस (हॉस्पिटल गाउन) पहनने की दी जाती है और ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाता है।
- आपको एक टेबल पर लिटा दिया जाता है और आपके हाथ या बांह की नस में सुई लगाकर उसे इंट्रावेनस से जोड़ दिया जाता है। इंट्रावेनस की मदद से आपको सर्जरी के दौरान दवाएं व अन्य आवश्यक द्रव दिए जाते हैं।
- सर्जरी के दौरान मेडिकल टीम लगातार आपके शारीरिक संकेतों की जांच करती रहती है, जैसे हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और पल्स रेट आदि। (और पढ़ें - नॉर्मल पल्स रेट क्या है)
- जब एनेस्थीसिया का प्रभाव शुरू हो जाता है और आप गहरी नींद में सो जाते हैं, तो विशेष उपकरणों की मदद से त्वचा में चीरा लगाते हैं। इस चीरे के अंदर विशेष उपकरण डाले जाते हैं, जिनकी मदद से स्प्लीन की लोकेशन का पता लगाया जाता है।
- प्लीहा की लोकेशन मिलने पर सर्जन विशेष उपकरणों की मदद से ध्यानपूर्वक इसे इसकी सामान्य जगह पर ले आते हैं।
- इसके बाद प्लीहा को स्थिर करने के लिए पेट की अंदरूनी परत (पेरिटोनियल) में एक विशेष जगह बनाई जाती है और उसमें एक विशेष जाली लगाकर उसमें टांके लगा दिए जाते हैं।
- इसके बाद उस जाली में स्प्लीन को डाल दिया जाता है और फिर टांके लगाकर इसे भी उस जगह पर स्थिर कर दिया जाता है। (और पढ़ें - टांके कैसे लगाते हैं)
- अंत में चीरे को बंद करके टांके लगा दिए जाते हैं और फिर घाव के ऊपर पट्टी कर दी जाती है।
स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी को पूरा करने में लगभग 30 मिनट का समय लगता है। सर्जरी के बाद आपको रिकवरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। सर्जरी के बाद एक दिन तक आपको सिर्फ तरल पदार्थ दिए जाते हैं। इसके बाद डॉक्टर की सलाह के अनुसार धीरे-धीरे ठोस खाद्य पदार्थ देना शुरू किया जाता है। सर्जरी के बाद कुछ समय तक दर्द रह सकता है, जिसके लिए दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं। सर्जरी के बाद आपको तीन दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती रखा जाता है। हालांकि, यदि आपका स्वास्थ्य स्थिर नहीं है, तो आपको लंबे समय तक भी अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है।
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स्प्लेनोपेक्सी के बाद - After Splenopexy in Hindi
स्प्लेनोपेक्सी के बाद क्या देखभाल की जाती है?
सर्जरी के बाद जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, तो घर पर निम्न देखभाल करने के सुझाव दिए जा सकते हैं -
- दवाएं
- सर्जरी के बाद कुछ समय तक दर्द रह सकता है, जिसे कम करने के लिए कुछ दर्द निवारक दवाएं दे सकते हैं।
- डॉक्टर द्वारा दी गई सभी दवाओं को सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए और किसी भी दवा को डॉक्टर से पूछे बिना लेना बंद व शुरू नहीं करना चाहिए।
- घाव की देखभाल
- डॉक्टर आपको घाव पर लगाने के लिए कुछ प्रकार की क्रीम व लोशन आदि दे सकते हैं। डॉक्टर से पूछे बिना घाव पर कोई क्रीम या लोशन न लगाएं।
- जब तक डॉक्टर सलाह न दें बाथटब या पूल में न नहाएं और न ही स्विमिंग आदि करें।
- घाव पर होने वाले दर्द, जलन व अन्य तकलीफों को कम करने के लिए ढीले व आरामदायक कपड़े पहनें।
- डॉक्टर सर्जरी के दो दिन बाद घाव की पट्टी उतार देते हैं। यदि घाव सामान्य रूप से भर नहीं रहा है, तो पट्टी फिर से भी लगाई जा सकती है।
- शारीरिक गतिविधियां
- जब तक आपको डॉक्टर अनुमति न दें तब तक ड्राइविंग व अन्य किसी मशीन को ऑपरेट करना शुरू न करें। डॉक्टर आमतौर पर सर्जरी के एक या दो हफ्तों बाद आपको ड्राइविंग आदि शुरू करने की अनुमति दे सकते हैं।
- आप दिन में कई बार एक-दो मिनट तक चल सकते हैं, जिससे आप सर्जरी के बाद एक्टिव रहते हैं।
- जब तक डॉक्टर अनुमति न दें तब तक भारी वस्तुएं उठाने और अधिक मेहनत वाली एक्सरसाइज करने से सख्त मना किया जाता है।
- सर्जरी के कुछ दिन बाद आपको धीरे-धीरे सीढ़ियां चढ़ने की अनुमति दी जा सकती है।
- हालांकि, डॉक्टर आपको कोई भी गतिविधि करते समय अधिक शारीरिक मेहनत करने से मना कर सकते हैं।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि आपको सर्जरी के बाद निम्न में से कोई भी समस्या महसूस हो रही है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए -
- टांग में सूजन
- मतली और उल्टी
- दस्त
- बुखार और ठंड लगना
- खांसी
- सामान्य रूप से पेशाब न कर पाना (जैसे पेशाब में दर्द व जलन होना)
- भोजन पचा न पाना या भोजन खाने के बाद कोई दिक्कत होना
- कब्ज
- असामान्य रूप से पसीना आना
- सांस लेने में दिक्कत
- घाव वाले स्थान पर सूजन, लालिमा या द्रव का स्राव होना आदि
(और पढ़ें - पेट में सूजन का इलाज)
स्प्लेनोपेक्सी की जटिलताएं - Complications of Splenopexy in Hindi
स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?
स्प्लेनोपेक्सी सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं हो सकती हैं -
- स्प्लीन को पेट की अंदरूनी सतह से सफलतापूर्वक जोड़ न पाना
- किडनी के ऊपर कैप्सूल जैसी संरचना बनना (स्यूडोकैप्सूल)
- सर्जरी से बाद जटिलताएं होना
- शॉक
- इनट्यूबेशन लगाने के कारण गले या गर्दन में तकलीफ महसूस होना
- बांह या टांग में रक्त का थक्का बनना
- पल्मोनरी एम्बोलिस्म
- एनेस्थीसिया का साइड इफेक्ट होना
(और पढ़ें - सांस फूलने के लक्षण)