इन दिनों दुनियाभर में मोटापा और वजन बढ़ना- सेहत से जुड़ी सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन गया है। वजन कम करने की कोशिश में जुटे अधिकतर लोग किसी न किसी डाइट ट्रेंड को जरूर फॉलो करते हैं। इनमें सबसे पॉप्युलर डाइट ट्रेंडस में- इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट, पालेओ डाइट, डैश डाइट, माइंड डाइट, जीएम डाइट, लो-फॉडमैप (fodmap) डाइट, मेडिटेरेनियन डाइट और कीटोजेनिक या कीटो डाइट शामिल है। 

वैसे तो डाइटिंग इन दिनों बेहद कॉमन है लेकिन डाइटिंग करने की वजह से किसी की मौत हो जाए ऐसा शायद पहली बार सुनने को मिल रहा है। आपको बता दें कि 2 अक्टूबर को बेंग्लुरू के एक अस्पताल में हिंदी, तेलगू और बंगाली फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री मिष्टी मुखर्जी की मौत हो गई। मिष्टी की उम्र सिर्फ 27 साल थी। बताया जा रहा है कि मिष्टी की मौत किडनी फेलियर की वजह से हुई है और ऐसा दावा किया जा रहा है कि कीटो डाइट फॉलो करने की वजह से मिष्टी की किडनी फेल हो गई। लेकिन क्या सचमुच कीटो डाइट, किडनी को नुकसान पहुंचाने का कारण बन सकता है? कीटो डाइट के संभावित साइड इफेक्ट्स क्या-क्या हो सकते हैं, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।  

(और पढ़ें - डाइटिंग, एक्सरसाइज के बिना घटता वजन किसी बीमारी का संकेत तो नहीं)

कीटो डाइट में 70-80% कैलोरी फैट से और 5% से भी कम कार्ब्स से
इन दिनों कीटो डाइट काफी ट्रेंड में है और आपको जानकर हैरानी होगी कि डाइटिंग का यह कोई नया ट्रेंड नहीं है बल्कि पिछले 100 सालों से यह अस्तित्व में है। 1920 के समय कीटो डाइट ट्रेंड एपिलेप्सी यानी मिर्गी के इलाज में इस्तेमाल किया जाता था लेकिन पिछले कुछ सालों में तेजी से वजन घटाने और टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल करने के तौर पर कीटो डाइट काफी पॉप्युलर हो रहा है। 

यूरोपियन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में अगस्त 2013 में प्रकाशित एक रिव्यू के अनुसार, कीटो डाइट में प्रति दिन 50 ग्राम से कम कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना होता है और प्रोटीन और फैट के सेवन को बढ़ाया जाता है। मोटे तौर पर देखें तो कीटो में आपको 70 से 80 प्रतिशत कैलोरी फैट से मिलती है, लगभग 20 प्रतिशत प्रोटीन से और 5 प्रतिशत से भी कम कार्ब्स से। लेकिन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूरोलॉजी में जनवरी 2015 में प्रकाशित एक समीक्षा में पाया गया कि केवल 45 प्रतिशत प्रतिभागी ही प्रिस्क्राइब तरीके से इस डाइट को फॉलो करने में सक्षम थे।

(और पढ़ें - कैलोरी कैसे बर्न करें)

कैसे काम करता है कीटो डाइट?
कार्ब्स को प्रतिबंधित करने और फैट के सेवन में वृद्धि करने से कीटोसिस हो सकता है। यह एक मेटाबॉलिक अवस्था है जिसमें आपका शरीर मुख्य रूप से कार्ब्स के बजाय ऊर्जा के लिए फैट पर निर्भर करता है। कीटो डाइट का लक्ष्य आपके शरीर को एक अलग प्रकार के ईंधन का उपयोग करने के लिए बाध्य करना है। एनर्जी के लिए चीनी (ग्लूकोज) पर निर्भर होने के बजाय, जो कार्बोहाइड्रेट (जैसे अनाज, फलियां, सब्जियां और फल) से मिलती है, कीटो डाइट कीटोन बॉडी पर निर्भर रहता है। कीटोन्स एक प्रकार का ईंधन है जिसका उत्पादन लिवर करता है, शरीर में जमा फैट के जरिए।

वजन कम करने के लिए फैट को जलाना एक आदर्श तरीका हो सकता है, लेकिन कीटोन बॉडी बनाने के लिए लिवर को प्रोत्साहित करना मुश्किल हो सकता है:

  • इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति खुद को कार्बोहाइड्रेट्स से वंचित करे, प्रतिदिन 20 से 50 ग्राम कार्ब्स से भी कम का सेवन (ध्यान रखें कि एक मध्यम आकार के केले में लगभग 27 ग्राम कार्ब्स होता है)।
  • आमतौर पर कीटो डाइट फॉलो करने के 3 से 4 दिन बाद शरीर कीटोसिस की स्थिति तक पहुंचता है।
  • बहुत अधिक प्रोटीन खाने से किटोसिस में हस्तक्षेप हो सकता है। (और पढ़ें- वजन कम करने के लिए डाइट टिप्स)   

कीटो डाइट के प्रकार
कीटो डाइट मुख्य रूप से 4 प्रकार का होता है:

  • स्टैंडर्ड कीटोजेनिक डाइट (एसकेडी): इसमें मध्यम प्रोटीन और उच्च वसा वाले आहार के साथ बहुत कम कार्बोहाइड्रेट होता है। इसमें आमतौर पर 70 प्रतिशत वसा, 20 प्रतिशत प्रोटीन और केवल 10 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है।
  • साइक्लिक कीटोजेनिक डाइट (सीकेडी): इस डाइट में कीटोजेनिक डाइट साइकल के बीच उच्च कार्बोहाइड्रेट की अवधि शामिल होती है, उदाहरण के लिए, 5 कीटोजेनिक दिनों के बाद एक चक्र के रूप में 2 उच्च कार्बोहाइड्रेट के दिन।
  • टार्गेटेड कीटोजेनिक डाइट (टीकेडी): यह डाइट गहन शारीरिक कसरत की अवधि के आसपास अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट जोड़ने की अनुमति देता है।
  • हाई-प्रोटीन कीटोजेनिक डाइट (एचपीकेडी): इस आहार में अधिक प्रोटीन और लगभग 60 प्रतिशत वसा, 35 प्रतिशत प्रोटीन और 5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट शामिल होता है, लेकिन जैसा कि देखा जा सकता है, यह अभी भी बहुत अधिक वसा वाला आहार है।

कीटो डाइट के फायदे कम, नुकसान ज्यादा
माइ उपचार से जुड़ी न्यूट्रिशनिस्ट डॉ आकांक्षा मिश्रा की मानें तो, कीटो डाइट के फायदे उतने नहीं है जितने उसके साइड इफेक्ट्स हैं। कीटो डाइट से जुड़े ऐसे कई जोखिम हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए:

1. किडनी को नुकसान होने का खतरा
कीटो डाइट में फैट और प्रोटीन अधिक होता है और कार्ब्स बेहद कम इसलिए हाई फैट ऐनिमल फूड जैसे- अंडा, मांस और पनीर कीटो डाइट का मुख्य भाग है क्योंकि इनमें कार्ब्स नहीं होते। यदि आप इस तरह के खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करें तो किडनी स्टोन होने का खतरा अधिक हो सकता है क्योंकि ऐनिमल फूड का अधिक सेवन आपके खून और यूरिन को अधिक ऐसिडिक बना सकता है, जिससे यूरिन में कैल्शियम का उत्सर्जन बढ़ जाता है। 

(और पढ़ें- किडनी स्टोन के घरेलू उपाय)

इसके अतिरिक्त, क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) वाले लोगों को कीटो डाइट से बचना चाहिए, क्योंकि कमजोर किडनी आपके रक्त में एसिड बिल्डअप को हटाने में असमर्थ हो सकती है जो इन ऐनिमल फूड से उत्पन्न होते हैं। इससे एसिडोसिस की स्थिति हो सकती है, जिससे सीकेडी की स्थिति और बिगड़ सकती है। सीकेडी से पीड़ित मरीजों के लिए कम प्रोटीन आहार की सिफारिश की जाती है, जबकि कीटो डाइट में प्रोटीन की मात्रा उच्च से मध्यम तक होती है।

किडनी में पथरी कीटो डाइट के संभावित दुष्प्रभावों में से एक है। इसलिए, अगर कोई व्यक्ति इस डाइट को फॉलो करता है तो उन्हें उन्हें अपनी किडनी पर होने वाले तनाव या प्रेशर को कम करने के लिए बहुत सारा पानी पीना महत्वपूर्ण है ताकि शरीर में पानी की कमी (डिहाईड्रेशन) न हो। इसके अलावा अपने डॉक्टर या डायटिशियन से बात करें कि किन सप्लिमेंट्स का सेवन करना चाहिए जिससे किडनी की पथरी के विकास के जोखिम को कम किया जा सके।

(और पढें - किडनी को स्वस्थ रखने के 5 सीक्रेट)

2. जी मिचलाना, कब्ज की समस्या
जैसे ही आपका शरीर अपने कार्ब्स के स्टोर को कम करने लगता है और कीटो डाइट की शुरुआत में ईंधन या ऊर्जा के लिए कीटोन्स और वसा का उपयोग करने के लिए स्विच करता है, तो आपको खुद में कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। इनमें सिरदर्द, चक्कर आना, थकान, जी मिचलाना, उल्टी आना और कब्ज जैसी समस्याएं शामिल हैं। ये सारी चीजें डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण होती है जिसमें आपका शरीर कीटोसिस को समायोजित करता है। कीटो डाइट फॉलो करने वाले अधिकांश लोग कुछ हफ्तों के भीतर बेहतर महसूस करने लगते हैं, इसलिए पूरे आहार में इन लक्षणों की निगरानी करना, खूब सारा पानी पीना ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और सोडियम, पोटैशियम और अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर खाद्य पदार्थ खाना महत्वपूर्ण है।

3. शरीर में पोषक तत्वों की कमी
चूंकि कीटो डाइट कई खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से पोषक तत्वों से भरपूर फल, साबुत अनाज और फलियों को प्रतिबंधित करता है, इसलिए यह अनुशंसित मात्रा में शरीर को विटामिन और खनिज प्रदान करने में विफल हो सकता है। विशेष रूप से, कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कीटो डाइट पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस प्रदान नहीं करता। लंबे समय तक इस डाइट को फॉलो करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। 

कीटो डाइट अपनाने से पहले इन बातों का ध्यान रखें

  • यदि आप कीटोजेनिक डाइट शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं, तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से बात करें। फिर चाहे आपको पहले से ही सेहत से जुड़ी कोई समस्या हो या नहीं, डॉक्टर से पूछे बिना कीटो डाइट फॉलो न करें।
  • किसी रेजिस्टर्ड डायटिशियन या न्यूट्रिशनिस्ट से परामर्श करें जो आपके साथ मिलकर आपके लिए अलग मील प्लान बनाने पर काम कर सकते हैं। 
  • किडनी की बीमारी वाले लोग या जिन लोगों को पहले से ही अव्यवस्थित ईटिंग की समस्या हो और टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों भी कीटो डाइट को फॉलो करने से बचना चाहिए। 
  • यदि आपको हृदय रोग का जोखिम अधिक हो तो इस कीटो डाइट को फॉलो करने के बारे में विचार करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
क्या कीटो डाइट बन सकता है किडनी को नुकसान पहुंचाने का कारण ? के डॉक्टर
Dr. Dhanamjaya D

Dr. Dhanamjaya D

पोषणविद्‍
15 वर्षों का अनुभव

Dt. Surbhi Upadhyay

Dt. Surbhi Upadhyay

पोषणविद्‍
3 वर्षों का अनुभव

Dt. Manjari Purwar

Dt. Manjari Purwar

पोषणविद्‍
11 वर्षों का अनुभव

Dt. Akanksha Mishra

Dt. Akanksha Mishra

पोषणविद्‍
8 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें