2020 से शुरू हुई कोविड-19 महामारी के दौरान कोरोना वायरस के कई वेरिएंट उभरकर सामने आएं. इनमें से कई का प्रभाव बहुत खतरनाक था तो कुछ का कम प्रभाव पड़ा. इसके डेल्टा वेरिएंट ने जहां कोरोना वायरस को अधिक आक्रामक बना दिया था, वहीं अब नवंबर 2021 में, SARS-CoV-2 कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट उभरकर सामने आया है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ओमिक्रॉन का नाम दिया गया है. डब्ल्यूएचओ ने ओमिक्रॉन कोराना वायरस को लेकर चिंता जताई है.

आज इस लेख में जानेंगे ओमिक्रॉन वेरिएंट क्या है, यह कितना प्रभावी है, ओमिक्रॉन वेरिएंट में कोविड वैक्सीनेशन कितनी असरदार है, साथ ही इसे ओमिक्रॉन वेरिएंट क्योंं कहा जाता है.

(और पढ़ें - क्या ओमीक्रॉन वैरिएंट डेल्टा से खतरनाक है?)

  1. ओमिक्रॉन वेरिएंट क्या है? - What is the Omicron variant in Hindi ?
  2. क्या ओमिक्रॉन अन्य वेरिएंट के मुकाबले तेजी से फैलता है? - Does Omicron spread faster than other variants in Hindi?
  3. ओमिक्रॉन पर एंटीबॉडीज कितनी असरदार हैं? - Do antibodies from previous infections stop Omicron in Hindi?
  4. ओमिक्रॉन के लिए टेस्ट - Tests for Omicron in Hindi
  5. क्या वैक्सीन ओमिक्रॉन से बचा सकती हैं? - Do vaccines protect against an Omicron infection in Hindi?
  6. क्या वैक्सीन ओमिक्रॉन कोविड की गंभीरता को कम कर सकती है? - Can vaccines reduce the severity of Omicron COVID in Hindi
  7. ओमि‍क्रॉन कोविड कितना गंभीर हो सकता है? - How severe will a COVID case caused by Omicron be in Hindi?
  8. क्या ओमिक्रॉन कोवड का इलाज संभव है? - Is COVID caused by Omicron still treatable in Hindi?
  9. अगले कुछ महीनों में ओमि‍क्रॉन वेरिएंट का असर कैसा होगा? - What will Omicron do over the next few months in Hindi?
  10. इसे ओमिक्रॉन का नाम क्यों दिया गया? - Why is it called Omicron in Hindi?
ओमिक्रॉन वेरिएंट के डॉक्टर

पहली बार नवंबर 2021 में बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वेरिएंट को पहचाना गया. ओमि‍क्रोन कोविड वायरस पिछले कुछ हफ्तों में दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है, हालांकि वैज्ञानिकों को अभी तक ओमि‍क्रोन के बारे में बहुत सी जानकारी जुटाना बाकी है. अन्य वेरिएंट के मुकाबले ये भारत सहित दुनिया के कोने-कोने में बहुत अधिक तेजी से फैल रहा है.

वैज्ञानिकों ने सबसे पहले ओमिक्रॉन को 50 म्यूटेशंस के कॉम्बिनेशन के रूप में पहचाना. इन म्यूटेशंस में से कुछ पहले आ चुके वेरिएंट जैसे कि अल्फा और बीटा भी शामिल हैं. अल्फा और बीटा पर पहले हो चुकी रिसर्च से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि ओमिक्रॉन कोरोना वायरस तेजी से फैलने में सक्षम है.

इन म्यू्टेशंस से बने ओमिक्रॉन वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 26 नवंबर को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ के रूप में नामित किया है. सीधे शब्दों में कहें तो ओमिक्रॉन चिंता का विषय है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये चेतावनी भी दी कि इसका ग्लोबल रिस्क ‘बहुत हाई’ है. इस घोषणा के बाद से 90 से अधिक देशों में इस वेरिएंट की पहचान की जा चुकी है.

(और पढ़ें - क्या ओमीक्रॉन की वजह से दोबारा कोविड हो सकता है?)

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हां, ओमिक्रॉन वेरिएंट कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले दो से तीन गुना अधिक तेजी से फैलने की क्षमता रखता है. कई शोधकर्ता इसे डेल्टा से पांच से छः गुना तक अधिक संक्रामक मानते हैं।

ओमिक्रॉन के तेजी से फैलने का सबसे पहला सबूत दक्षिण अफ्रीका से आया, जहां ओमिक्रॉन एक के बाद एक कई शहरों में तेजी से फैलता गया. ओमिक्रॉन के मामले हर दो से चार दिनों में दोगुने हो रहे हैं और ये संख्या डेल्टा वेरिएंट फैलने की तुलना बहुत अधिक  है.

ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने रिसर्च के दौरान ये भी पाया है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीज घर के लोगों में डेल्टा के मुकाबले 3.2 गुना अधिक तेजी से इस वायरस को फैला रहे हैं. हालांकि शोधकर्ता अभी इस बात से अंजान हैं कि ओमिक्रॉन इतनी आसानी से क्यों फैल रहा है. लेकिन एक संभावना ये जताई जा रही है कि यह कोशिकाओं पर अधिक आसानी से आक्रमण कर सकता है. वहीं एक अन्य संभावना ये भी है कि कोशिकाओं में फैलने के बाद ये इंफेक्टेड सेल्स को कई गुणा करने की क्षमता रखता है.

(और पढ़ें - क्या ओमीक्रॉन के खिलाफ कोविशील्ड, कोवाक्सिन, स्पुतनिक वी असरदार हैं?)

यदि आपको पहले कोविड हो चुका है या आपके शरीर में कोराना वायरस की एंटीबॉडीज हैं और इम्यूनिटी बन हो चुकी है तो ये आपको कई गंभीर बीमारियों से तो बचा सकता है लेकिन ओमिक्रॉन इंफेक्शन से बचाने में बहुत अधिक सक्षम नहीं है. इसका पहला सबूत मिला दक्षिण अफ्रीका में, जहां वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कम से कम 70 प्रतिशत लोगों को 2020 में कोविड -19 हुआ और ओमिक्रॉन के नए मामलों के ऐसे लोग बड़ी संख्याओ में शामिल थे जिनको पहले भी कोविड हो चुका है.

वहीं जब इंग्लैंड में ओमि‍क्रॉन बढ़ने लगा तो ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने पाया कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित कई लोग पहले भी कोविड का शिकार हो चुके हैं. शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि ओमिक्रॉन कोविड वायरस उन लोगों को दोबारा होने का पांच गुना अधिक रिस्क है जिनको पहले कोविड हो चुका है और ये रिस्क अन्य वेरिएंट से कहीं अधिक है. इसके लिए जब शोधकर्ताओं ने गहराई से रिसर्च की तो पाया कि ओमिक्रॉन पर एंटीबॉडीज और स्ट्रांग इम्यूनिटी भी असरदार नहीं है. इसी वजह से ये तेजी से फैल रहा है और शरीर में कोशिकाओं को इंफेक्ट करते हुए संक्रमित कोशिकाओं को कई गुणा बढ़ा रहा है.

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  • टेस्ट से आपको पता चल सकता है कि आप COVID-19 से संक्रमित हैं या नहीं. (और पढ़ें - कोरोना वायरस टेस्ट)
  • ओमिक्रॉन संक्रमण के टेस्ट के लिए दो प्रकार के परीक्षणों का उपयोग किया जाता है - न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (एनएएटी) (nucleic acid amplification tests (NAATs)) और एंटीजन टेस्ट (antigen tests). एनएएटी और एंटीजन टेस्ट केवल आपको बता सकते हैं कि आपको कोई मौजूदा संक्रमण है या नहीं.
  • व्यक्ति COVID-19 वायरल टेस्टिंग टूल का उपयोग कर यह निर्धारित करने में सक्षम हो सकता है कि एनएएटी और एंटीजन टेस्ट में से कौन सा टेस्ट करवाना है.
  • कोविड की पहचान के लिए पीसीआर (पोलीमरेज चेन रिएक्शन) (PCR; polymerase chain reaction) और एंटीजन-आधारित रैपिड डायग्नोस्टिक परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है.
  • सेल्फ टेस्ट किट का उपयोग घर पर या कहीं भी किया जा सकता है, ये उपयोग में आसान है और तेजी से परिणाम देता है. यदि आपके सेल्फ टेस्ट का परिणाम सकारात्मक है, तो घर पर रहें या 10 दिनों के लिए अलग-थलग रहें, यदि आप दूसरों के संपर्क में हैं तो मास्क पहनें और अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.

(और पढ़ें - कोविड-19 के लिए एलिसा एंटीबॉडी टेस्ट)

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कई शोधों से संकेत मिलता है कि कोविड वैक्सीन की दो डोज और एक बूस्टर शॉट ओमि‍क्रॉन के संक्रमण के खिलाफ मजबूत सुरक्षा दे सकता है. बूस्टर के बिना, फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-biontech) या मॉडना जैसी वैक्सीन की दो डोज ओमिक्रॉन से बहुत कम सुरक्षा देने में सक्षम हैं. लेकिन फिर भी कोविड वैक्सीन की दो डोज ओमि‍क्रॉन से होने वाली गंभीर बीमारी से बचाव करने में सक्षम हैं.

शोधकर्ताओं ने जब वैक्सीेनेटेड लोगों के ब्लड सैंपल लेकर ओमिक्रॉन वेरिएंट के साथ मिलाकर रिसर्च की तो पाया कि कोई भी वैक्सी‍न ओमिक्रॉन को पूरी तरह से मात देने में कामयाब नहीं है और एस्ट्राजेनेका या जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की एंटीबॉडी तो ओमिक्रॉन के लिए बिलकुल भी असरदार नहीं है.

बूस्टर डोज़ का महत्व

लेकिन जब शोधकर्ताओं ने मॉडना या फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन के बूस्टर लगवाने वाले लोगों की एंटीबॉडी का टेस्ट किया तो पाया कि बूस्टेड एंटीबॉडीज ने कई तरह से ओमिक्रॉन वायरस को कोशिकाओं में फैलने से रोका है. बता दें, बूस्टर लगवाने वाले वे लोग थे जिन्हें कोविड हो चुका है और वैक्सीनेशन की दो डोज के बाद बूस्टर डोज लगा था. इन लोगों के एंटीबॉडी ओमि‍क्रॉन के खिलाफ बेहद शक्तिशाली थे. इस बात के सबूत दक्षिण अफ्रीका में भी मिले. शोधकर्ताओं ने पाया कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की दो डोज लेने वाले लोगों में ओमि‍क्रॉन इंफेक्शन के खिलाफ सिर्फ 33 फीसदी प्रभाव दिखा. वहीं फाइजर-बायोएनटेक बूस्टर से ओमिक्रॉन इंफेक्शन के खिलाफ 75 फीसदी प्रभावी था.

हाल ही में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में की गयी रिसर्च, जिसके परिणामों को 23 दिसंबर 2021 को साझा किया गया था, के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन (कविशील्ड) का बूस्टर शॉट भी ओमिक्रोन के खिलाफ असरदार है.

(और पढ़ें - ओमीक्रॉन के लक्षण)

शुरूआती रिसर्च से पता चलता है कि वैक्सीन ओमिक्रॉन कोविड की गंभीरता को कम करने में सक्षम है. दक्षिण अफ्रीका में, ओमिक्रॉन के पहले तीन हफ्तों के मामलों की समीक्षा करने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की दो डोज लेने वाले लोगों में 70 प्रतिशत तक गंभीर लक्षणों को आने से रोक दिया जिस वजह से उन्हें अस्पताल जाने की भी जरूरत नहीं पड़ी.

शोधकर्ताओं ने बताया कि वैक्सीन एंटीबॉडी बनाने के अलावा टी सेल्स की ग्रोथ को बढ़ाती है, जो किसी विशेष बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं. टी सेल्स ना सिर्फ ये पहचानना सीखते हैं कि अन्य कोशिकाएं विशिष्ट वायरस से कब संक्रमित होती हैं बल्कि वे संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट भी कर देते हैं, जिससे इंफेक्शन फैलने की गति धीमी हो जाती है.

शोधकर्ता हालांकि अभी कोविड-19 वैक्सीन से निर्मित टी सेल्स की जांच करना शुरू कर रहे हैं, यह देखने के लिए कि वे ओमि‍क्रॉन के खिलाफ कितना अच्छा प्रदर्शन करते हैं. हालांकि शुरूआती रिसर्च के मुताबिक, टी सेल्स अभी भी ओमि‍क्रॉन वेरिएंट को पहचान पाने में सक्षम हैं.

शोधकर्ताओं की शुरूआती रिसर्च में ये भी पाया गया कि एंटीबॉडी से बचने की क्षमता के कारण ओमि‍क्रॉन नाक के जरिए डवलप हो सकता है. लेकिन ये इंफेक्शन टी-सेल लाइन को पार करने में सक्षम नहीं हो पाता. ऐसे में टी सेल्स संक्रमित सेल्स को वहीं मार देते हैं और इसे गंभीर बीमारी होने से रोक पाते हैं.

दक्षिण अफ्रीका, स्कॉटलैंड और इंग्लैंड की शुरूआती रिसर्च से इस ओर संकेत मिलता है कि डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमि‍क्रॉन कोविड इंफेक्शन का कम प्रतिशत अस्पताल में भर्ती हो रहा है.

शोध से पता चलता है कि जिन लोगों को पहले से कोविड नहीं हुआ है और वैक्सीन भी नहीं लगी है, उनके लिए ओमि‍क्रॉन वायरस डेल्टा वेरिएंट की तुलना में थोड़ा कम खतरनाक है. वहीं वैक्सीनेशन की दो डोज ओमि‍क्रॉन के कारण अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम हैं. लेकिन एक वैक्सीन का बूस्टर संभावित रूप से ओमि‍क्रॉन के खिलाफ प्रभावशीलता को और भी अधिक बढ़ा देता है.

शोधों से संकेत मिलता है कि पहले कोविड से संक्रमित हो चुके लोगों को दोबारा ओमिक्रॉन कोविड होना सामान्य है लेकिन ऐसे मरीजों की अस्पताल पहुंचने की संभावना बहुत कम है.

(और पढ़ें - कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए टीबी मरीजों को क्या करना चाहिए)

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हां, ओमिक्रॉन कोवड का इलाज संभव है. लेकिन सरकार ने 23 दिसंबर को रीजेनरॉन और एली लिली से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (Monoclonal antibodies) के डिस्ट्रीब्यूशन पर इसीलिए रोक लगा दी क्योंकि ये ओमिक्रॉन के लिए प्रभावी नहीं है. लेकिन जीएसके ने दावा किया है कि सोट्रोविमैब (Sotrovimab) दवा ओमिक्रॉन वायरस से लड़ने में प्रभावी हो सकती है.

दिसंबर के अंत में, फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने कोविड ओमिक्रॉन के लिए दो नई एंटीवायरल ड्रग्स के नाम घोषित किए हैं – पैक्सलोविड (Paxlovid) और मोलनुपिरवीर (Molnupiravir).

इसके अलावा, ओमि‍क्रॉन संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों के लिए इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं, जैसे डेक्सामेथासोन (Dexamethasone) नामक एक स्टेरॉयड, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली इन्फ्लमेशन सूजन को रोकने और कम करने में प्रभावी है.

शोधकर्ता यह पता लगाने के लिए गणितीय मॉडल बना रहे हैं कि आने वाले महीनों में ओमि‍क्रॉन क्या करेगा. शोधकर्ताओं के मुताबिक, ओमि‍क्रॉन आसानी से एक-दूसरे से फैलने में सक्षम है और स्ट्रांग इम्यूनिटी को भी बेअसर कर सकेगा. भले ही ओमि‍क्रॉन अन्य वेरिएंट की तुलना में हल्का हो, फिर भी अस्पतालों में बेड्स की कमी हो सकती है क्योंकि ओमिक्रॉन के दौरान एक छोटे से फ्रैक्शन को भी अगर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हुई तो यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा हो सकता है। लेकिन अगर ओमिक्रॉन के मामलों की संख्या पिछले वेरिएंट की तुलना में बहुत अधिक है, तो इलाज के लिए अभी भी पहले अधिक गंभीर रोगियों को प्राथमिकता दी जाएगी.

‘कोविड -19 परिदृश्य मॉडलिंग हब’ नामक एक प्रोजेक्ट चलाने वाले मॉडलर्स की एक टीम ने 22 दिसंबर को एक बयान जारी कर चेतावनी दी कि इस समय हमारे पास जो सबसे अच्छी जानकारी है, वह इस ओर इशारा करती है कि ओमिक्रॉन द्वारा उत्पन्न खतरा ‘बहुत अधिक’ और ‘निकट’ है. लोगों और सरकार को इसके लिए तैयार रहना चाहिए. लेकिन ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को रोकना आसान है, अगर लोग वैक्सीनेशन के साथ ही बूस्टर डोज लगवाएं. सार्वजनिक जगहों पर सोशल-डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग करें. साथ ही बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें.

"सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन" (सीडीसी) ये सलाह देता है कि 5 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी लोग पूरी तरह से वैक्सीनेशन लगाकर खुद को COVID-19 से बचाएं. इसके साथ ही सीडीसी 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीनेशन के छह महीने बाद बूस्टर शॉट लगवाने की सलाह देता है.

(और पढ़ें - इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए क्या खाएं)

जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोनावायरस के वेरिएंट्स को नाम देना शुरू किया, तो उन्होंने ग्रीक एल्फाबेट - अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और इसी तरह की ओर रुख किया - ताकि उनका वर्णन करना आसान हो. ओमिक्रॉन का नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूएसए टुडे द्वारा बनाई गई नामकरण योजना के तहत ग्रीक एल्फांबेट के 15 वें अक्षर के नाम पर रखा गया है. WHO के अधिकारियों के मुताबिक, यह एक सामान्य उपनाम है.

 

अस्वीकरण - इस लेख में दी गई जानकारी प्रकाशन के समय सटीक है। हालांकि, जैसे-जैसे COVID-19 और ओमीक्रॉन की स्थिति विकसित हो रही है, यह संभव है कि प्रकाशन के बाद से कुछ जानकारी और डेटा बदल गए हों। इसलिए, यदि आप इस लेख को इसके प्रकाशन के लंबे समय बाद पढ़ रहे हैं, तो हम आपको लेटेस्ट समाचार और जानकारी WHO और MoHFW से पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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