स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने 18 नवंबर 2020 को नई दिल्ली में हुई 33वीं 'स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड मीटिंग' को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि, “जनवरी-अक्टूबर 2020 की अवधि के दौरान केवल 14.5 लाख टीबी मामलों की जानकारी मिली है, जो 2019 में इसी अवधि की तुलना में 29 प्रतिशत कम है। कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मणिपुर और गोवा में यह आंकड़ा 35-40 प्रतिशत से भी कम था।”

कोविड-19 वायरस के बढ़ते प्रकोप ने दुनियाभर के 5 करोड़ 60 लाख से अधिक लोगों को संक्रमण का शिकार बना लिया है। इनमें मरने वालों की संख्या 13 लाख 57 हजार से ज्यादा हो चुकी है। केवल भारत की बात करें तो यहां संक्रमित लोगों की संख्या करीब 90 लाख और मरने वालों की संख्या 1 लाख 30 हजार से ज्यादा हो चुकी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्वास्थ्य अधिकारियों को उन लोगों की विशेष देखरेख करने की सलाह दी है, जो पहले से तपेदिक (टीबी) जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, क्योंकि ऐसे लोगों को संक्रमण होने का खतरा अधिक है।

टीबी को लेकर जारी WHO की ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2019 के अनुसार, दुनियाभर में कुल टीबी के मरीजों में से 27 फीसदी मरीज भारत में हैं। इतना ही नहीं, भारत में टीबी से सालाना लगभग 2 लाख 80 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए WHO ने विभिन्न देशों और क्षेत्रीय कार्यालयों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान, टीबी से प्रभावित लोगों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं निरंतर जारी रहनी चाहिए।

ऐसे लोग जो टीबी की बीमारी से पीड़ित हैं या फिर जो हाल ही में टीबी की बीमारी से उबर चुके हैं उन सभी के मन में इस जानलेवा बीमारी कोविड-19 को लेकर कई सवाल हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि टीबी के मरीजों में कोविड-19 संक्रमण को लेकर कितना खतरा है।

  1. क्या टीबी मरीज को कोविड-19 संक्रमण का खतरा अधिक है?
  2. टीबी और कोविड-19 में क्या अंतर है?
  3. टीबी रोगियों को कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए क्या करना चाहिए?
  4. क्या टीबी से उबरने के बाद भी रोगी में कोविड-19 संक्रमण का खतरा रहता है?
जानें टीबी मरीजों को कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए क्या करना चाहिए के डॉक्टर

कोविड-19 के अधिकांश लक्षण टीबी के लक्षणों से मिलते जुलते हैं। ऐसे में जैसे ही लोगों को कफ, बुखार और सांस लेने में कठिनाई जैसी परेशानी महसूस होती है तो उनकी चिंता बढ़ जाती है। जो रोगी पहले से ही टीबी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं उन्हें अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि दोनों ही बीमारियां (टीबी और कोविड-19) मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है।

डॉक्टरों का मानना है कि जिन लोगों में टीबी का इलाज चल रहा है यदि वे कोविड-19 से संक्रमित हो जाएं, तो इस दौरान उनके टीबी के इलाज में बाधा आ सकती है और गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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  टीबी कोविड-19
वायरस मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 (सार्स-सीओवी-2)  
फैलने का तरीका हवा के माध्यम से खांसने या छींकने के दौरान निकलने वाली बूंदों से
निदान का तरीका बलगम के सैंपल की जांच नेजोफैरिंजल और ओरोफरिंजल सैंपल के जरिए
वैक्सीन बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) अब तक कोई टीका उपलब्ध नहीं
लक्षण लगातार कफ, तेज बुखार, सांस में तकलीफ खांसी, बुखार, वजन कम होना, सांस में तकलीफ
उपचार 5 महीनों तक एंटीबायोटिक्स, कुछ मामलों में 9-24 महीने तक कोर्स चलता है। इसका सटीक इलाज नहीं है, लेकिन उपचार का लक्ष्य लक्षणों को ठीक करना है।

कोविड-19 महामारी के दौरान टीबी के मरीज सुरक्षित रहें और उन्हें इस इंफेक्शन का खतरा न हो इसके लिए निम्न बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

  • दोनों बीमारियों का प्रसार अलग-अलग तरीके से होता है, लेकिन बीमारी से बचाव के तरीके एक जैसे ही हैं। सुरक्षा के कुछ उपायों को अपनाकर संक्रमण को रोकने के साथ उसे नियंत्रित भी किया जा सकता है। ऐसे में हाथ न मिलाना और संदिग्ध लोगों को दूसरे लोगों से अलग कर देने से बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। मरीजों को खांसते और छींकते समय अपनी नाक और मुंह को मास्क या टिशू पेपर से ढकने की सलाह दी जाती है। कम से कम 20 सेकंड के लिए हाथो को साबुन और पानी से धोना चाहिए। इसके अलावा अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करके भी इन बीमारियों से बचा जा सकता है।
  • टीबी और कोविड-19 दोनों ही रोगों के लिए परीक्षण उपलब्ध होना चाहिए, जिससे रोग का पता लग सके। इससे स्वास्थ्य अधिकारियों को दोनों बीमारियों के बीच अंतर करने में मदद मिलेगी और बीमारी का पता चलने पर इलाज संभव हो सकेगा। जल्दी निदान होने पर दोनों बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है।साथ ही मृत्युदर को भी कम किया जा सकता है।
  • दोनों बीमारियों में चूंकि संचार का खतरा बहुत है ऐसे मे इसे रोकने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि संभव हो तो टीबी रोगियों को सामुदायिक रूप से उपचार उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि उनकी स्थिति गंभीर न हो और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता भी न पड़े।
  • टीबी के सभी मरीज फिर चाहे वह क्वारंटाइन हों या फिर आइसोलेशन में, उन्हें एंटी-ट्यूबरकोलोसिस ट्रीटमेंट दिया जाना चाहिए।
  • उच्च स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा इन रोगियों के उपचार की निगरानी की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोविड-19 महामारी के दौरान टीबी की दवाओं या उपचार में किसी तरह की बाधा न आए।
  • स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा सभी रोगियों को पर्याप्त मात्रा में टीबी की दवाओं की आपूर्ति करनी चाहिए। इससे दवाओं के लिए अनावश्यक रूप से रोगियों को स्वास्थ्य केंद्रों पर जाने की जरूरत नहीं होगी।
  • ऐसे टीबी रोगी जिनमें कोविड-19 के थोड़े भी लक्षण दिख रहे हों, उन्हें तुंरत इलाज मुहैया कराया जाना चाहिए। इसके लिए संभी संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों को हर वक्त तैयार रहना चाहिए।
  • रोगियों को परामर्श देने, उनके देखभाल के टिप्स से लेकर डॉक्टरों से संपर्क करने की प्रक्रिया को डिजिटलाइज्ड किया जाना चाहिए। डॉक्टर रोगियों से संपर्क करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मेडिकेशन मॉनिटर और वीडियो-सपोर्ट थेरेपी का उपयोग कर सकते हैं।
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वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के पास फिलहाल इस बात को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि जो रोगी टीबी से पीड़ित हैं या फिर जो इस  बीमारी से उबर चुके हैं उनमें कोविड-19 संक्रमण का खतरा बहुत अधिक रहता है। लेकिन चूंकि टीबी और कोविड-19 दोनों बीमारियां फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं, ऐसे में टीबी मरीजों को कोरोना वायरस के गंभीर संक्रमण का खतरा बना रहता है।

डॉक्टरों का यह भी मानना है कि जिन लोगों को टीबी के इलाज के लिए सर्जरी की जरूरत है या जिन्हें फेफड़ों की बीमारी है, उनमें भी कोविड-19 का खतरा अधिक है। ऐसे लोगों को तब तक घर में ही रहना चाहिए जब तक कि स्थिति ठीक या नियंत्रण में नहीं आ जाती है।

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संदर्भ

  1. World Health Organization [Internet]. Geneva (SUI): World Health Organization; World Health Organization (WHO) Information Note Tuberculosis and COVID-19
  2. The Union [internet]. COVID-19 and TB: Frequently Asked Questions
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