कैंसर इम्यूनोथेरेपी ने इस बीमारी के इलाज में क्रांतिकारी काम किया है। कैंसर पीड़ितों के इम्यून सिस्टम को मजबूती देकर ये थेरेपी ट्यूमर को खत्म करने में मदद करने का काम करती हैं। कई कैंसर मरीजों को इनसे लाभ मिला है। जानकार बताते हैं कि किसी-किसी मरीज में ये इम्यूनोथेरेपी कैंसर को लंबे समय तक के लिए कम कर देती हैं। हालांकि कुछ कैंसर ऐसे हैं, जो इम्यूनोथेरेपी दिए जाने पर भी रेस्पॉन्ड नहीं करते। ऐसे में इस ट्रीटमेंट अप्रोच की क्षमता को बढ़ाना एक बड़ी प्राथमिकता है। एक हालिया अध्ययन में ऐसा करने की संभावना दिखी है।

इंग्लैंड की प्रतिष्ठित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और अमेरिका के कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लैबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ड्रग का पता लगाया है, जिसने अलग-अलग कैंसर के मरीजों के शरीर में बने ट्यूमर्स के खिलाफ एकीकृत इम्यून रेस्पॉन्स पैदा कर उन्हें प्रभावित करने का काम किया है। इस दवा का नाम प्लेरिक्साफोर है। खबर के मुताबिक, ये मरीज ऐसे कैंसरों से पीड़ित थे, जो इम्यूनोथेरेपी दिए जाने पर भी आमतौर पर प्रतिक्रिया नहीं देते। लेकिन नए ड्रग से मिले परिणामों के बाद वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि नए ट्रीटमेंट से इस प्रकार के कैंसरों के ट्यूमर को रेस्पॉन्सिव बनाया जा सकता है।

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प्लेरिक्साफोर इम्यून चेकपॉइंट इनहिबिटर्स श्रेणी वाले ड्रग्स के तहत आने वाली दवा है। इस प्रकार की दवाएं इम्यून सिस्टम को कुछ इस तरह प्रभावित करती हैं कि वह मुक्त होकर कैंसर सेल्स को ढूंढने और उन्हें खत्म करने का काम करने लगता है। हालांकि निम्न स्तर के जेनेटिक म्यूटेशन वाले कैंसर सेल्स के खिलाफ ये उतने प्रभावी नहीं बताए जाते। इस प्रकार के ट्यूमर्स पर बात करते हुए सीएसएचएल के वैज्ञानिक टोबायज जेनोविज कहते हैं, 'इम्यून सिस्टम को ऐसे ट्यूमर दिखाई नहीं देते हैं। मौजूदा (इम्यूनो) थेरेपी से भी इनका पता नहीं चल पाता। हमारे पास इस तथ्य पर विश्वास करने के कारण हैं, क्योंकि वे इम्यून रेस्पॉन्स को दबाने का काम (इम्यूनोसप्रेसिव पाथवे) कर सकते हैं, जिससे ज्यादातर इम्यून सेल्स कैंसर सेल्स में प्रवेश नहीं कर पाते।'

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इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने प्लेरिक्साफोर के जरिये इम्यूनोसप्रेसिव पाथवे को इंटरप्ट करने का काम किया। उन्होंने बताया कि 24 मरीजों को नसों के जरिये एक हफ्ते तक दवा दी गई। ये मरीज या तो पैनक्रियाटिक कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ित थे, जिनके ट्यूमर में म्यूटेशन निम्न स्तर का था। सभी मरीज कैंसर की एडवांस स्टेज में थे और सभी में इलाज के पहले और बाद में मेटास्टेटिक ट्यूमर की पुष्टि हुई थी। सात दिनों के ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के बाद जब इन मरीजों के सैंपलों का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि उनके कैंसर ट्यूमरों में बेहद महत्वपूर्ण इम्यून सेल्स ने घुसपैठ कर ली थी। इनमें एक ऐसा इम्यून सेल भी शामिल था, जो एंटी-कैंसर रेस्पॉन्स से जुड़ी महत्वपूर्ण रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं को तैयार कर उन्हें ट्यूमर पर हमला करने के लिए तैयार कर सकता है।

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इस प्रयोग से जुड़ी रिसर्च टीम के लिए ये परिणाम प्रोत्साहन देने वाले थे। उन्होंने मरीजों में ऐसे बदलावों को डिटेक्ट किया है, जो उन मरीजों में देखे गए हैं, जिनके कैंसर चेकपॉइंट इनहिबिटर्स ड्रग्स के प्रभाव में रेस्पॉन्ड करते हैं। इस पर अध्ययन में शामिल एक अन्य वैज्ञानिक डनकन जॉडरेल का कहना है, 'मुझे खुशी है कि टीम के काम से मरीजों में महत्वपूर्ण परिणाम दिखाई दिए हैं, जिससे उन कैंसरों के इलाज का रास्ता खुल सकता है, जिनका ट्रीटमेंट मुश्किल है।' इन वैज्ञानिकों की योजना अब प्लेरिक्साफोर के साथ एक अन्य चेकपॉइंट इनहिबिटर ड्रग का मिश्रण कर उसे कैंसर मरीजों पर आजमाना है। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।

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