शरीर में विटामिन डी का पर्याप्त मात्रा में होना कैंसर की बीमारी से बचा भी सकता है और इसका पूर्वानुमान लगाने में भी मददगार हो सकता है। एक नए शोध में यह जानकारी निकल कर आई है। इसके मुताबिक, मलाशय कैंसर और ब्लड कैंसर की रोकथाम और इलाज में विटामिन डी के एंटी-कैंसर प्रभावों की काफी अहमियत है। इसके अलावा, कैंसर के खतरे को कम करने में भी विटामिन डी की भूमिका अहम हो सकती है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति में विटामिन डी कितना है और इसकी जरूरत को पूरा करने के लिए उसका खान-पान कैसा है।

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कैंसर से जुड़े विषयों और मुद्दों पर रिपोर्ट प्रकाशित करने वाली पत्रिका 'सेमिनार्स इन कैंसर बायॉलजी' में छपे इस शोध को यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड के प्रोफेसर कार्सटन कार्लबर्ग और ऑटोनमस यूनिवर्सिटी ऑफ मैड्रिड के प्रोफेसर अल्बर्टो मुनोज ने लिखा है। उनका रिव्यू आर्टिकल विटामिन डी के संकेतन से जुड़े मॉलिक्यूलर बेसिस (मूलतत्व) की नई जानकारी देता है और कैंसर थेरेपी तथा रोकथाम में इस वसा-घुलनशील प्रो-हार्मोन की भूमिका के बारे में बताता है।

विटामिन डी को आमतौर पर हड्डियों से जुड़े स्वास्थ्य के लिए जरूरी तत्व माना जाता है। लेकिन पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक, यह विटामिन इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखने का काम भी करता है। उनकी मानें तो विटामिन डी के एंटी-कैंसर इफेक्ट में इम्यून सिस्टम एक मीडिएटर यानी मध्यस्थ की तरह का काम करता है। यह काम मोनोसाइट या टी-सेल्स जैसी रोग-प्रतिकारक कोशिकाओं के जरिये होता है। शोध के मुताबिक, कैंसर रोकने या इसके इलाज में विटामिन डी के रिसेप्टर (वीडीआर) की भूमिका अहम होती है। कई प्रकार के वंशाणुओं या जीन्स के एपिजेनेटिक रेग्युलेशन में वीडीआर ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर की तरह काम करता है।

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आर्टिकल में की गई समीक्षा में अलग-अलग प्रकार के कैंसरों पर विटामिन के प्रभाव की चर्चा की गई है और ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे ब्लड कैंसर और कोलन कैंसर में इसके फायदों के मजूबत साक्ष्य पेश किए गए हैं। हेमटोपोएसिस (एक ब्लड फॉर्मेशन) के दौरान रक्त कोशिकाओं में अंतर करने और मूल कोशिकाओं द्वारा तेजी से ऊतकों को नया जीवन दिए जाने की प्रक्रिया के दौरान विटामिन डी महत्वपूर्ण हो जाता है। विटामिन डी की कमी होने के चलते वीडीआर उचित प्रकार से काम नहीं करता। ऐसी स्थिति में ज्यादा बड़ा खतरा यह पैदा हो जाता है कि मूल कोशिकाएं ऊतकों में अंतर नहीं कर पातीं। परिणामस्वरूप, कैंसर पैदा करने वाले सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं।

यह भी देखा गया है कि अन्य प्रकार के कैंसरों (जैसे ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर) में भी कम विटामिन डी एक जरूरी फैक्टर की तरह काम करता है। समीक्षा के मुताबिक, कम विटामिन डी की स्थिति में कैंसर के गंभीर होने के कई मामले सामने आए हैं और उनका पूर्वानुमान भी ठीक तरह से नहीं लगाया जा सका। हालांकि कैंसर से होने वाली मौतों को कम करने में विटामिन डी सप्लिमेंटेशन से हमेशा मदद नहीं मिलती है। समीक्षा के लेखकों के मुताबिक, रैन्डमाइज तरीके से किए गए कई ट्रायलों में ऐसा देखने में आया है। लेकिन सामान्य कैंसर में विटामिन डी की उचित उपस्थिति कैंसर के इलाज में फायदेमंद हो सकती है।

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