भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की पहचान के लिए किए गए टेस्टों की संख्या 90 लाख से ज्यादा हो गई है। यह आंकड़ा अगले कुछ दिनों में एक करोड़ के पार जा सकता है, क्योंकि देश में अब लगभग हर दिन दो लाख से ज्यादा कोरोना वायरस के टेस्ट किए जा रहे हैं। बुधवार की ही बात करें तो इस दिन देशभर में लगभग दो लाख 30 हजार टेस्ट किए गए हैं। इसके बाद कुल परीक्षणों की संख्या 90 लाख 56,173 हो गई है। इनमें से छह लाख 4,641 पॉजिटिव निकले हैं। यह बताता है कि भारत में कोविड-19 का पॉजिटिविटी रेट 6.67 प्रतिशत है।

केवल तीन देशों में एक करोड़ से ज्यादा टेस्ट
अभी तक दुनिया के केवल तीन देश ऐसे हैं, जहां कोविड-19 की चपेट में आए लोगों की पहचान के लिए कम से कम एक करोड़ या उससे ज्यादा टेस्ट किए गए हैं। ये तीनों देश हैं चीन, अमेरिका और रूस। इनमें सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट चीन में किए गए हैं। वर्ल्डओमीटर के मुताबिक, चीन में कोविड-19 के मरीजों को आइडेंटिफाई करने के लिए अब तक नौ करोड़ चार लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए हैं। इनमें से 83,537 पॉजिटिव निकले हैं। दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जिसने अपनी 33 करोड़ की आबादी पर तीन करोड़ 48 लाख से ज्यादा परीक्षण किए हैं। इनमें से 27 लाख 80 हजार पॉजिटिव निकले हैं। इसके बाद तीसरे नंबर पर रूस है जिसने करीब एक करोड़ 99 लाख कोविड टेस्ट किए हैं, जिनमें से छह लाख 54 हजार पॉजिटिव आए हैं। चौथे नंबर पर यूनाइटेड किंगडम है। यहां संक्रमितों का पता लगाने के लिए 96 लाख 62 हजार से ज्यादा परीक्षण अंजाम दिए गए हैं। इनमें तीन लाख 13 हजार से अधिक लोगों के टेस्ट पॉजिटिव निकले हैं। इन चारों देशों के बाद चौथे नंबर भारत आता है, जहां 90 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं।

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इन देशों में किए गए कोविड टेस्टों की संख्या और उनमें से पॉजिटिव आए परीक्षणों से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस समय इनके यहां कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए हालात कितने ज्यादा या कम संकटपूर्ण हैं। आंकड़े बताते हैं कि चीन में इस समय कोविड-19 का पॉजिटिविटी रेट 0.09 प्रतिशत है। इससे जाहिर होता है कि भारत के पड़ोसी ने अपने यहां वायरस को किस हद तक कंट्रोल कर लिया है। हालांकि वहां संक्रमितों का पता चलना अभी भी जारी है। उधर, अमेरिका में जितने कोरोना टेस्ट किए गए हैं, उनमें से करीब आठ प्रतिशत पॉजिटिव निकले हैं। यानी वहां हर सौ लोगों में से आठ कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जा रहे हैं। लेकिन रूस में कोविड-19 का पॉजिटिविटी रेट तीन प्रतिशत से कुछ ही अधिक है। गौरतलब है कि हाल के दिनों रूस ने अपने यहां कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक काबू पाया है।

इसके बाद यूके में टेस्टिंग से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि यहां कोविड-19 का पॉजिटिविटी रेट रूस की तरह तीन प्रतिशत से कुछ ही अधिक है। यूरोप में कोरोना वायरस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए इस देश में अब हालात पहले से काफी बेहतर दिखाई दे रहे हैं। लेकिन भारत में फिलहाल हालात संकटपूर्ण दिख रहे हैं। बीते कुछ दिनों से यहां प्रतिदिन कोरोना वायरस के 18 हजार से 20 हजार के बीच नए मरीजों की पुष्टि हो रही है। यही कारण है कि अब तक किए गए 90 लाख से ज्यादा परीक्षणों में से साढ़े छह प्रतिशत से अधिक पॉजिटिव निकले हैं। यह दर आगे और अधिक हो सकती है, क्योंकि भारत कोविड टेस्टिंग के लिए स्थापित की गईं सभी प्रयोगशालाओं का उपयोग नहीं कर पा रहा है।

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पूरी टेस्टिंग क्षमता का इस्तेमाल अभी भी नहीं
इसमें संदेह नहीं कि बीते तीन-चार महीनों में भारत ने अपनी टेस्टिंग क्षमता में ध्यान आकर्षित करने वाला सुधार किया है। लेकिन वह अभी भी अपनी मौजूदा क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर रहा है। यही वजह है कि देश में कोविड-19 संकट से निपटने में सबसे अहम भूमिका निभा रहे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को बतौर सलाह कहा है कि वे अपने यहां सभी क्वालिफाई डॉक्टरों को कोविड-19 टेस्ट प्रेस्क्राइब करने की अनुमति दें ताकि देश में कोरोना वायरस के मरीजों की पहचान के लिए बनाई गई तमाम सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल किया जा सके। 

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) को लिखे संयुक्त पत्र में आईसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने कहा है कि देश की मौजूदा लैब क्षमता का संपूर्ण उपयोग नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने कहा है कि कुछ राज्य और यूटी में निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं को विशेष रूप से टेस्टिंग की अनुमति नहीं दी जा रही है। पत्र में इन दोनों उच्च पदाधिकारियों ने कहा है कि राज्य अब निजी क्षेत्र के डॉक्टरों और लैबों को भी कोरोना टेस्ट की इजाजत दें। उन्होंने साफ कहा है कि देशभर की तमाम सरकारी और निजी लैब किसी भी व्यक्ति का परीक्षण करने के लिए स्वतंत्र होनी चाहिए।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 के मरीजों की पहचान के लिए भारत में अब तक 90 लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए, लेकिन पूरी टेस्टिंग क्षमता का इस्तेमाल अभी भी नहीं है

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