जीन एडिटिंग तकनीक क्रिस्प्र (क्लस्टर्ड रेग्युलर्ली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिन्ड्रॉमिक रिपीट्स) की मदद से तैयार किए गए कोविड-19 टेस्ट 'फेलूदा' को वैज्ञानिकों ने रैपिड एंटीजन टेस्ट से ज्यादा सटीक और तेज करार दिया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने हाल ही में इस टेस्ट के कमर्शियल लॉन्च की अनुमति दी थी। अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह टेस्ट न सिर्फ एंटीजन टेस्ट से बेहतर है, बल्कि उससे ज्यादा किफायती, तेज और इस्तेमाल में आसान भी है। टेस्ट को परखने वाले शोधकर्ताओं ने यहां तक कहा है कि फेलूदा आरटी-पीसीआर टेस्ट का एक अच्छा विकल्प है।

फेलूदा कोविड-19 टेस्ट को दिल्ली स्थित वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और इसके तहत आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) ने टाटा समूह के साथ मिलकर विकसित किया है। इसका नाम भारत के महान फिल्मकार सत्यजीत राय द्वारा रचित एक जासूसी किरदार 'फेलूदा' के नाम पर रखा गया है। सीएसआईआर-आईजीआईबी के वैज्ञानिकों ने बताया है कि क्रिस्प्र तकनीक पर आधारित इस टेस्ट की कीमत मात्र 500 रुपये हैं और यह 45 मिनट में बता सकता है कि किसी व्यक्ति में सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस है या नहीं। इन एक्सपर्ट का कहना है कि परीक्षण करने पर फेलूदा नए कोरोना वायरस और अन्य कोरोना वायरसों में अंतर कर सकता है, तब भी जबकि उनके जेनेटिक वैरिएशन काफी सूक्ष्म हों।

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पिछले हफ्ते ही डीसीजीआई ने फेलूदा के व्यावसायिक लॉन्च की अनुमति दी थी। अब इसे तैयार करने वाले वैज्ञानिकों ने टेस्ट को लेकर प्रतिक्रियाएं दी हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सीएसआईआर-आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक देबज्योति चक्रबर्ती का कहना है कि फेलूदा की वायरस को डिटेक्ट करने की क्षमता यानी सेंसिटिविटी 96 प्रतिशत है, जबकि शरीर में वायरस नहीं होने की पुष्टि करने की क्षमता (स्पेसिफिसिटी) 98 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि फेलूदा की किट किसी प्रेग्नेंसी टेस्ट किट जैसी होती है। इसकी स्ट्रिप वायरस को डिटेक्ट करते ही अपना रंग बदल लेती है। अच्छी बात यह है कि ऐसा करने के लिए टेस्ट को किसी भी प्रकार की मशीन की जरूरत नहीं है।

इस बारे में जानकारी देते हुए देबज्योति चक्रबर्ती ने बताया, 'वायरस का पता करने के लिए क्रिस्प्र टेक्नोलॉजी में एक अति विशेष प्रोटीन सीएएस9 का इस्तेमाल किया जाता है। इसे पेपर स्ट्रिप के साथ मिला दिया जाता है, जिससे पेपर स्ट्रिप पर वायरस के होने का पता चल जाता है।' टेस्ट को लेकर जारी किए गए एक बयान में इसके निर्माताओं ने कहा है कि यह देश में कोविड-19 की टेस्टिंग को तेजी और किफायत के साथ बढ़ाने में मदद कर सकता है।

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फेलूदा का पूरा नाम 'एफएनसीएएस9 एडिटर-लिमिटेड यूनिफॉर्म डिटेक्शन एस्से' है। क्रिस्प्र तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इस टेस्ट को भारत में ही विकसित किया गया है। क्रिस्प्र एक जीन एडिटिंग तकनीक है जो अलग-अलग बीमारी की वजह से होने वाली आनुवंशिक खराबियों और उनके इलाज तथा रोकथाम में काफी ज्यादा इस्तेमाल होने लगी है। यह टेक्नोलॉजी किसी विशेष वंशाणु के डीएनए सीक्वेंस को डिटेक्ट कर सकती है। साथ ही मॉलिक्यूलर सीजर्स (कैंची) के रूप में एंजाइम कार्यपद्धति की मदद से उस सीक्वेंस को अलग कर सकती है। फेलूदा को तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि इस क्षमता के चलते यह टेस्ट नए कोरोना वायरस के जेनेटिक मटीरियल को कम मात्रा में होने पर भी डिटेक्ट कर सकता है। यही कारण है कि वे इसे रैपिड एंटिजन टेस्ट से बेहतर बताते हुए आरटी-पीसीआर टेस्टिंग का विकल्प तक करार दे रहे हैं।

गौरतलब है कि बीते मई महीने में अमेरिका में पहले क्रिस्प्र आधारित कोविड-19 टेस्ट को स्वीकृति दी गई थी। इस टेस्ट को मैसच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने तैयार किया था। वहीं, भारत में बना फेलूदा इसी तकनीक से तैयार हुआ दुनिया का ऐसा पहला कोरोना टेस्ट है, जिसमें सीएएस9 प्रोटीन का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रोटीन को वैज्ञानिकों ने फ्रांसीसेला नोविकिडा नामक बैक्टीरिया से निकाला है। वहीं, क्रिस्प्र तकनीक से ही तैयार हुए अन्य कोविड-19 टेस्टों में सीएएस12 और सीएएस13 जैसे प्रोटीनों का इस्तेमाल किया गया है।

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तुलना की बात करें तो रैपिड एंटीजन टेस्ट में परिणाम आने में जहां 30 मिनट लगते हैं, वहीं फेलूदा 45 मिनट का समय लेता है। लेकिन इसके परिणाम ज्यादा सटीक और स्पेसेफिक होते हैं, और चूंकि फेलूदा के परिणामों की तुलना आरटी-पीसीआर टेस्ट से की जा रही है, ऐसे में इसमें लगने वाला समय कोई विशेष महत्व नहीं रखता है। यह बात इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि जहां आरटी-पीसीआर टेस्ट से परिणाम निकालने में विशेष प्रकार के प्रशिक्षण और खर्चीली मशीनों की जरूरत पड़ती है, वहीं फेलूदा में यह काम इन सबके बिना हो जाता है। इसके अलावा, रैपिड एंटीजन टेस्ट वायरस को डिटेक्ट करने के लिए वायरल प्रोटीन या उसके पार्टिकल्स की पहचान करता है, जबकि क्रिस्प्र आधारित फेलूदा वायरस के न्यूक्लिक एसिड या आरएनए को डिटेक्ट करने का काम करता है।


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