देश में कोविड-19 के मरीजों की तेजी से पहचान करने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर ने एक नई डायग्नॉस्टिक टेस्टिंग किट को मंजूरी दे दी है। बताया गया है कि कोविड-19 के कई मामले सामने आने के बाद जिन इलाकों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है, वहां और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं (जैसे अस्पताल) में इन किट्स का इस्तेमाल किया जाएगा। इस रैपिड एंटीजन टेस्ट को मंजूरी देने की एक बड़ी वजह यह है कि यह बिना किसी लैब जांच के महज 30 मिनट में परिणाम दे देता है। इसके अलावा, टेस्ट की कीमत भी काफी कम है।

एंटीजन टेस्ट क्यों?
कोविड-19 की पहचान करने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट को 'गोल्डन स्टैंडर्ड' का दर्जा दिया जाता है। लेकिन इस टेस्ट में परिणाम लैब में की गई जांच के बाद आता है जोकि एक भारी काम है और जिसमें कई घंटे लग जाते हैं, जबकि इस समय तेजी से टेस्ट कर परिणाम प्राप्त करने की जरूरत है। इसीलिए आईसीएमआर ने रैपिड एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट को मंजूरी दी है। इस टेस्ट का परिणाम शरीर में वायरस की मात्रा यानी वायरल लोड पर निर्भर करता है। इसके लिए संदिग्ध की नाक से नमूना लिया जाता है। बताया गया है कि इसके बाद महज 30 मिनट के अंदर पता चल जाता है कि संबंधित व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस है या नहीं।

(और पढ़ें - दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन में कोविड-19 के लक्षण दिखे, अस्पताल में भर्ती)

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, कंटेनमेंट जोन घोषित इलाकों में तेज बुखार और खांसी की शिकायत करने वाले सभी लोगों की जांच इसी रैपिड एंटीजन टेस्ट के तहत की जाएगी। वहीं, पॉजिटिव पाए गए लोगों के संपर्क में आए लोगों, असिम्प्टोमैटिक मरीजों और किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों का भी एंटीजन टेस्ट किया जाएगा। साथ ही, अस्पताल व अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के मरीजों का टेस्ट किया जाएगा, क्योंकि ऐसे मरीजों को कोविड-19 हो सकती है। उन लोगों की भी जांच की जाएगी, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, जिनका किसी प्रकार का ट्रांसप्लाट ऑपरेशन हुआ है, जो कीमोथेरेपी से गुजर रहे हैं या किसी जानलेवा बीमारी से पहले ग्रस्त हैं। इसके अलावा, न्यूरोसर्जरी, डायलिसिस, ब्रॉन्कस्कोप या दांतों का इलाज करा रहे लोगों के लिए भी यह टेस्ट उपलब्ध होगा।

इस बात की भी ध्यान रखा गया है कि रैपिड टेस्ट अक्सर फॉल्स नेगेटिव निकलते हैं, लिहाजा एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर सैंपल को आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए भी भेजा जाएगा। वहीं, पॉजिटिव निकलने पर संदिग्ध को कोरोना संक्रमण से ग्रस्त मान लिया जाएगा।

अमेरिकी ड्रग एजेंसी एफडीए ने बीती नौ मई को आपातकालीन स्थिति में प्रयोग करने के लिए एंटीजन टेस्ट किट को मंजूरी दी थी। इसके चार दिन बार जापान ने भी इसी तरह के टेस्ट को करने की अनुमति दी थी। दुनियाभर में कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यहां तक मानना है कि भविष्य में इन टेस्ट किट्स को घरेलू रूप से इस्तेमाल किए जाने के लिए भी तैयार किया जाना चाहिए।

(और पढ़ें - नवंबर में कोविड-19 के चरम पर होने का दावा करने वाले अध्ययन को आईसीएमआर से जोड़ना गलत')

हालांकि, अपनी एडवाइजरी में आईसीएमआर ने कहा है कि दुनिया में कोई भी एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट (पूरी तरह) विश्वसनीय नहीं है, जिससे कोविड-19 की जांच का सटीक परिणाम तुरंत निकाला जा सके। एडवाइजरी के मुताबिक, आईसीएमआर और एम्स ने देश में उपलब्ध एकमात्र एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट का आंकलन करने के बाद इसे मंजूरी दी है। इस टेस्ट को दक्षिण कोरिया की एक कंपनी एसडी बायोसेंसर बनाती है। आईसीएमआर ने अन्य कंपनियों से कहा है कि वे अपने-अपने एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट लेकर सामने आएं ताकि जांच के बाद उन्हें प्रमाणित किया जा सके।

क्या है रैपिड एंटीजन टेस्ट?
रैपिड एंटीजन टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है, जिसमें नाक से लिए गए सैंपल की जांच की जाती है। एंटीजन का मतलब शरीर में मौजूद टॉक्सिन या विषैले तत्वों से है, जिनके प्रभाव के चलते हमारा इम्यून सिस्टम प्रतिक्रिया देता है। रैपिड एंटीजन टेस्ट की मदद से इन विषैले तत्वों की पहचान एक ही समय और जगह पर हो सकती है। इसके चलते ऐसे टेस्टों को 'पॉइंट ऑफ केयर' टेस्ट भी कहा जाता है, क्योंकि इन्हें करने के लिए पारंपरिक रूप से लैब में जाने और वहां मौजूद उपकरणों का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं होती।

(और पढ़ें - कोविड-19: नया कोरोना वायरस कोशिकाओं में घुसने के लिए एसीई2 के अलावा एक और रिसेप्टर की मदद लेता है- शोध

भारत में कोरोना वायरस की पहचान के लिए जिस एंटीजन टेस्ट को मंजूरी दी गई है, उसे दक्षिण कोरियाई कंपनी एसडी बायोसेंसर बनाती है। मानेसर में कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है, जहां इस टेस्ट की किट तैयार की जाती है। व्यावसायिक रूप से इस किट का नाम 'स्टैंडर्ड क्यू कोविड-19 एजी डिटेक्शन किट' रखा गया है। इस किट में एक डिवाइस पहले से बनी होती है। इसके साथ वायरल एक्सट्रैक्शन ट्यूब, वायरल लाइसिस बफर और स्टेराइल स्वैब आता है, जिसकी मदद से नाक से सैंपल लिया जाता है। बताया गया है कि यह टेस्ट विश्वसनीय नेगेटिव परिणाम देने में सक्षम है। यानी अगर किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस नहीं है, तो उसकी नेगेटिव रिपोर्ट 99.3 प्रतिशत से सौ प्रतिशत तक सही मानी जा सकती है। हालांकि आईसीएमआर ने कहा है कि नेगेटिव परिणाम आने पर सैंपल का आरटी-पीसीआर टेस्ट भी किया जाएगा। इसके अलावा स्टैंडर्ड क्यू कोविड-19 एजी डिटेक्शन किट की सही पॉजिटिव रिजल्ट दिखाने की क्षमता 50.6 प्रतिशत से 84 प्रतिशत है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 की टेस्टिंग बढ़ाने के लिए आईसीएमआर ने देश में उपलब्ध एकमात्र एंटीजन टेस्ट को मंजूरी दी, जानें इसकी विशेषताएं है

ऐप पर पढ़ें