व्यायाम करने वाले लोगों पर कोविड-19 की वैक्सीन ज्यादा मेहरबान हो सकती है। एक्सरसाइज और वैक्सिनेशन को लेकर हुई दो हालिया स्टडी के हवाले से यह बात कही गई है। इनके मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति एथलीट हो या उसकी दिनचर्या एथलेटिकल हो, जिसके चलते उसकी फिटनेस उच्च स्तर की हो, तो कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की गई कारगर वैक्सीन उसके शरीर को वायरस के खिलाफ ज्यादा इम्यूनिटी प्रदान कर सकती है। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि वैक्सीन से उनके शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस के खिलाफ ज्यादा इम्यूनिटी प्राप्त कर सकता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये दोनों अध्ययन एक-दूसरे के समपूरक हैं। इनमें एक ही समूह के धावकों, तैराकों, पहलवानों, साइकलिस्ट और अन्य एथलीटों को शामिल किया गया था। उनके विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला गया कि कड़ा व्यायाम करने से वैक्सीन रेस्पॉन्स बढ़ता है। एनवआईटी ने अलग-अलग वैज्ञानिक निष्कर्षों के हवाले से बताया है कि सामान्यतः एक्सरसाइज करने से इम्यूनिटी बढ़ती ही है। अगर वैक्सीन से इसमें और इजाफा होता है तो कोविड-19 के साथ-साथ फ्लू व अन्य संक्रमणों से लड़ने में यह गठजोड़ काफी मददगार साबित हो सकता है।

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रिपोर्ट के मुताबिक, यह देखने में आया है कि घर और ऑफिस से बाहर काम करने वाले लोगों में सर्दी-जुकाम और वायरसों से होने वाली बीमारियां अमूमन कम होती हैं, जबकि सुस्त लोगों में यह संक्रमण फैलने का ट्रेंड ज्यादा देखा जाता है। ऐसे में व्यायाम की अहमियत बढ़ जाती है। अखबार की मानें तो कुछ छोटे-छोटे अध्ययनों में यहां तक कहा गया है कि अगर फ्लू का इन्जेक्शन लेने से कुछ घंटे पहले आर्म एक्सरसाइज की जाए तो उससे मजबूत एंटीबॉडी रेस्पॉन्स पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है।

हालांकि किसी-किसी स्थिति में एक्सरसाइज इम्यून रेस्पॉन्स को कम भी कर सकती है। महामारी विज्ञान से जुड़े कुछ अध्ययन और एथलीटों से जुड़े क़िस्से बताते हैं कि अत्यधिक व्यायाम और थका देने वाली एक्सरसाइज छोटे अंतराल वाली इम्यूनिटी के हितकर नहीं है। मिसाल के लिए मैराथन धावक लंबी दौड़ के तुरंत बाद सर्दी-जुकाम के शिकार हो जाते हैं। लेकिन इसके प्रतिपक्ष में कई फिजियोलॉजिस्ट कहते हैं कि इस तरह की श्वसन संबंधी समस्याएं इनफ्लेमेटरी होती हैं, न कि संक्रामक।

बहरहाल, वैक्सीन से मिलने वाली इम्यूनिटी में व्यायाम के योगदान को जानने के लिए जर्मनी की सारलैंड यूनिवर्सिटी और कुछ अन्य संस्थानों ने प्रतियोगी एथलीटों के एक बड़े समूह को अपने अध्ययन में शामिल किया। शोधकर्ताओं ने इन लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए राजी कर लिया। वैक्सीन के संभावित दुष्प्रभावों के चलते आमतौर पर एथलीट इस तरह की प्रक्रियाओं में शामिल नहीं होते हैं, क्योंकि साइड इफेक्ट होने पर उनकी ट्रेनिंग बाधित हो सकती है। लेकिन इस अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिक कोई 45 फिट और अच्छे एथलीटों को वैक्सीनेशन के लिए रीक्रूट करने में कामयाब रहे। इनमें पुरुष और महिला दोनों ही एथलीट शामिल थे। इन एथलीटों में कोई मैराथन धावक था तो कोई ताकत संबंधी खेलों से जुड़ा था, जैसे कुश्ती और हैमर थ्रो। कुछ खिलाड़ी टीम के रूप में खेले जाने वाले खेलों से जुड़े थे, जैसे बास्केटबॉल और बैडमिंटन। शोध में शामिल ये सभी खिलाड़ी अपने प्रतियोगी सीजन के मध्य में पहुंच चुके थे।

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इसके अलावा, 25 युवा लोगों के एक अन्य समूह को भी अध्ययन में शामिल किया गया। ये लोग पूरी तरह स्वस्थ थे, लेकिन एथलीट नहीं थे। वैज्ञानिकों ने वैक्सीनेशन से एथलीटों के शरीर में पैदा होने वाले इम्यून रेस्पॉन्स की तुलना करने के लिए इस अतिरिक्त समूह को शामिल किया था। इसलिए इस ग्रुप के सभी प्रतिभागियों के भी ब्लड सैंपल लिए गए। जांच के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि एथलीटों के रक्त में कोशिकीय प्रतिक्रिया न सिर्फ अपने चरम पर थी, बल्कि उनका इम्यून रेस्पॉन्स भी दूसरे समूह के युवा, स्वस्थ लेकिन नॉन-एथलीट प्रतिभागियों से ज्यादा था। इससे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि वैक्सीन से एथलीटों को फ्लू संक्रमण से ज्यादा सुरक्षा प्राप्त हुई है। उनका कहना है कि ट्रेनिंग के दौरान एथलीटों के शरीर की मांग बढ़ती है और वह कई तरह की क्षतियों का सामना करता है। इससे उनका शरीर मजबूत हुआ और वैक्सीन के प्रभाव में उसने तेजी से प्रतिक्रिया दी।

कुछ लोग कह सकते हैं कि इस तरह के परिणाम केवल एथलीटों के लिए उत्साहजनक हो सकते हैं, जिनकी संख्या आम लोगों के मुकाबले बहुत कम है। लेकिन दूसरे अध्ययन से जुड़ी डॉ. मार्टिना सेस्टर का मानना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम वैक्सीन लगने से कितनी देर पहले और कितना ज्यादा वर्कआउट करते हैं। उनकी मानें तो शरीर का सही शेप में रहना हमें वैक्सीन के जरिये फ्लू या अन्य संक्रमणों से सुरक्षा दिला सकता है। ऐसे में जो लोग शौकिया तौर पर एक्सरसाइज करते हुए फिट बने रहते हैं, उनके लिए भी वैक्सीन ज्यादा कारगर साबित हो सकती है। डॉ. सेस्टर को यकीन है कि हाई फिटनेस वैक्सीन से मिलने वाले इम्यून रेस्पॉन्स को बढ़ा सकती है और ऐसा कोविड-19 के मामले में भी देखने को मिल सकता है। हालांकि इस अनुमान के सही साबित होने के लिए वैक्सीन का वजूद में आना जरूरी है।

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