कोविड-19 बीमारी कितनी घातक हो चुकी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनियाभर के 3 करोड़ से अधिक लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। कोरोना वायरस व्यक्ति के इम्यून सिस्टम के साथ ही फेफड़ों को भी हानि पहुंचाता है जिससे व्यक्ति को सांस संबंधी परेशानी होने लगती है, यह बात तो हम सभी जानते हैं। लेकिन इसके अलावा भी कई जटिलताएं हैं जिसका सामना कोविड-19 के मरीज को करना पड़ सकता है।

ताजा रिसर्च में पता चलता है कि कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती मरीज की किडनी खराब होने या या एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) का खतरा भी बढ़ सकता है जो कि संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के लिए खतरनाक जटिलता है।

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क्या कहती है रिसर्च?
जर्नल ऑफ द अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च के माध्यम से शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 रोगियों के शरीर में घुलनशील यूरोकिनेज रिसेप्टर (suPAR) का स्तर बढ़ जाता है। यह एक प्रतिरक्षा-प्राप्त रोगजनक प्रोटीन है जो कि भविष्य में किडनी के खराब होने का कारण बनता है।

अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जोशेन रेसर का कहना है कि किडनी फेल होने के कारकों में suPAR रिसेप्टर एक ऐसा फैक्टर है, जो हजारों रोगियों में किडनी में चोट आघात की वजह बनता है। एचआईवी और सार्स-सीओवी-2 (कोविड-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस) जैसे आरएनए वायरस, जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली की एक suPAR प्रतिक्रिया को प्राप्त करते हैं, जिससे खून में इस suPAR रिसेप्टर का स्तर बढ़ने लगता है। ऐसे में अगर suPAR की यह प्रतिक्रिया हाइपरइन्फ्लेमेटरी हो जाए तो किडनी की कोशिकाओं को अत्याधिक हानि पहुंचती है।

शोधकर्ताओं की इस रिसर्च से मिले परिणाम बताते हैं कि कोविड-19 के एक तिहाई से अधिक रोगियों को डायलिसिस की जरूरत होती है और उनमें मृत्यु का जोखिम भी बहुत अधिक होता है।

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एक चौथाई कोविड मरीजों की किडनी तेजी से हुई खराब- रिसर्च
इस अध्ययन के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने 352 प्रतिभागियों के suPAR रिसेप्टर स्तर की जांच की। ये सभी वे लोग थे जिन्हें कोविड-19 संक्रमण के कारण इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि स्टडी में शामिल एक चौथाई प्रतिभागियों में अस्पताल में भर्ती होने के दौरान किडनी की गंभीर समस्या विकसित हो गई और उनका मध्यम suPAR लेवल बाकी प्रतिभागियों की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक था। इतना ही नहीं, जिन मरीजों में suPAR लेवल सबसे अधिक था उन मरीजों में डायलिसिस की जरूरत 20 गुना तक बढ़ गई। कुल मिलाकर देखें तो अस्पताल में भर्ती गंभीर कोविड-19 के मरीजों में suPAR रिसेप्टर का स्तर, स्वस्थ लोगों की तुलना में औसत से लगभग तीन गुना ज्यादा था।

शोधकर्ताओं का कहना है कि अस्पताल में भर्ती होते समय कोविड-19 मरीजों का suPAR लेवल जोखिम का पता लगाने के अहम टूल की तरह काम करेगा जिससे यह जानकारी मिलेगी की इलाज के दौरान मरीज के नतीजे क्या हो सकते हैं जैसे- उसे इन्ट्यूबेशन की जरूरत हो सकती है या फिर क्या उसकी किडनी फेल हो सकती है। इससे कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज में उचित निगरानी प्राप्त करने में अस्पतालों को मदद मिल सकती है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 के मरीजों में किडनी फेल होने का जोखिम बढ़ा: रिसर्च है

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