अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और फेडरल रिजर्व बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा किए गए एक अध्ययन की मानें तो वित्तीय लेन-देन या भुगतान करना याद न रहना डिमेंशिया का शुरुआती लक्षण हो सकता है। अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं ने अमेरिका में स्वास्थ्य कल्याण से जुड़ी सरकारी योजना 'मेडिकेयर' के लाभार्थियों का विश्लेषण करने के बाद यह बात कही है। इसके मुताबिक, डिमेंशिया के क्लिनिकल डायग्नॉसिस से छह साल पहले ही इसके भावी संभावित मरीज अक्सर बिलों का भुगतान करना भूल सकते हैं। स्टडी में यह पता चला है कि कम शैक्षिक स्तर वाले डिमेंशिया के मरीज क्लिनिकल डायग्नॉसिस से सात साल पहले बिलों का पेमेंट करना भूल गए थे, जबकि उच्च शिक्षा लेने वाले मरीजों में यह लक्षण डायग्नॉसिस से ढाई साल पहले देखने को मिला।
यह नई और दिलचस्प जानकारी अध्ययन समेत जानी-मानी मेडिकल पत्रिका जामा इंटर्नल मेडिसिन में प्रकाशित की गई है। इसमें शोधकर्ताओं ने कहा है कि सामान्य जीवन से जुड़े बिलों का भुगतान करना भूल जाने जैसे 'वित्तीय लक्षण' डिमेंशिया के संकेतक के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसका संभावित फायदा यह है कि मस्तिष्क की क्षमता से जुड़ी इस समस्या की समय रहते जल्दी पहचान की जा सकती है। इसके फायदों पर बात कते हुए अध्ययन के प्रमुख लेखक और ब्लूमबर्ग स्कूल के एसोसिएट प्रोफेसर लॉरेन नोकिलस कहते हैं, 'इस समय डिमेंशिया को रोकने या इसके लक्षणों को रिवर्स करने में कोई भी इलाज प्रभावी नहीं है। हालांकि वित्तीय खतरों को ध्यान में रखते हुए पहले ही की गई जांच और डिटेक्शन से मरीजों और उनके परिवारों को वित्तीय रूप से सुरक्षा दी जा सकती है।'
(और पढ़ें - डिमेंशिया होने के खतरे को बढ़ा सकता है ज्यादा वजन: अध्ययन)
अध्ययन के तहत किए गए विश्लेषण में यह पता चला है कि आरंभिक डिमेंशिया के कारण मरीजों ने भुगतान संबंधी जो चूकें कीं, उनमें से 5.2 प्रतिशत डायग्नॉसिस से छह साल पहले ही हो गई थीं। यह रुझान डायग्नॉसिस के नौ महीनों बाद 17.9 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इसके कारण भुगतान नहीं होने और क्रेडिट रिस्क का खतरा अगले साढ़े तीन सालों तक बना रहा। ऐसे में शोधकर्ताओं ने ऐसे लोगों के पैसे से जुड़े मामलों को तुरंत मैनेज किए जाने की बात कही है।
अध्ययन में डिमेंशिया को अल्जाइमर के डायग्नॉस्टिक कोड और अन्य संबंधी मनोभ्रंश के रूप में आइडेंटिफाई किया गया है। शोधकर्ताओं की मानें तो इस कंडीशन के चलते पीड़ित बड़ी वित्तीय त्रुटियां कर सकता है, बिल भुगतान करना भूल सकता है, जिससे फाइनैंशियल फ्रॉड होने का खतरा बढ़ता है। उन्होंने बकायदा मेडिकेयर योजना के अन्य लाभार्थियों के वित्तीय व्यवहार की डिमेंशिया से पीड़ित लाभार्थियों के वित्तीय व्यवहार से तुलना करने के बाद यह बात कही है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि डिमेंशिया से पीड़ित मरीज कई बिलों का भुगतान करने से चूक गए थे, जबकि गठिया रोग, ग्लाकोमा, हार्ट अटैक और हिप फ्रैक्चर से जूझ रहे मरीजों में इस तरह का कोई रुझान देखने को नहीं मिला।
(और पढ़ें - हाइवे के पास रहने पर हो सकती है भूलने की बीमारी: शोध)