किसी इन्सान का ज्यादा वजन उसे मनोभ्रंश यानी डिमेंशिया से पीड़ित कर सकता है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 50 साल और उससे ज्यादा उम्र के 6,582 पुरुषों और महिलाओं पर किए अध्ययन के बाद यह जानकारी दी है। प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन की शुरुआत में ये सभी लोग ज्ञान के संबंध में सामान्य रूप से स्वस्थ थे। लेकिन बाद में करीब सात प्रतिशत में डिमेंशिया की समस्या देखी गई, जिसका संबंध ज्यादा वजन होने से था।

इस अध्ययन से जुड़ी रिपोर्ट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियॉलजी में प्रकाशित हो चुकी है। स्टडी में शामिल जनसंख्या की औसतन 11 वर्षों तक ट्रैकिंग की गई थी। इस दौरान उनमें फिजिशन-डायग्नॉज्ड डिमेंशिया के मामले रिकॉर्ड किए गए। बताया गया है कि ट्रैकिंग के दौरान ग्रुप में शामिल लगभग सात प्रतिशत लोगों में डिमेंशिया डेवलेप होते देखा गया। इस दौरान यह गौर किया गया कि जिन लोगों का वजन सामान्य (या कहें जिनका बॉडी मास इंडेक्स 18.5 से 24.9 के बीच था) था, उनकी अपेक्षा ज्यादा वजन (जिनका बीएमआई 25 से 29.9 के बीच था) वाले लोगों में डिमेंशिया होने का खतरा ज्यादा पाया गया। वहीं, जिनका बीएमआई 30 या उससे ज्यादा था, उनमें डिमेंशिया होने की संभावना और भी ज्यादा थी।

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शोधकर्ताओं ने यह भी जाना है कि जिन महिलाओं को सेंट्रल ओबेसिटी (कमर का साइज 34.6 इंच से ज्यादा होना) की समस्या होती है, उनमें डिमेंशिया होने का खतरा सामान्य साइज की कमर महिलाओं के मुकाबले 39 प्रतिशत ज्यादा होता है। वहीं, पुरुषों की कमर का सामान्य से ज्यादा होना डिमेंशिया के ज्यादा खतरे से नहीं जुड़ा है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने आयु, लिंग, शिक्षा, मैरिटल स्टेटस, स्मोकिंग और अन्य डिमेंशिया जोखिमों के अलावा एपीओई4 नामक जीन को ध्यान में रखते हुए प्रतिभागियों का विश्लेषण किया था। एपीओई4 जीन को अल्जाइमर बीमारी को बढ़ाने वाले वंशाणु के रूप में जाना जाता है, और अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार है। 

हालांकि ज्यादा वजन का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति को आगे चलकर डिमेंशिया होगा ही। इस बारे में अध्ययन के प्रमुख लेखक यीशुआन मा कहते हैं कि यह एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी है, जिससे डिमेंशिया के कारण और प्रभाव साबित नहीं होते हैं। वे कहते हैं, 'ज्यादा वजन होना केवल एक खतरा है। इसका मतलब यह नहीं है कि ज्यादा वजन वाले व्यक्ति को निश्चित ही डिमेंशिया हो जाएगा। लेकिन कई कारण हैं, जिनके चलते शरीर के वजन को सामान्य रखना और हमेशा शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रहना अच्छी बात है।'

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क्या है डिमेंशिया?
मानसिक क्षमता में सामान्य रूप से आई कमी को डिमेंशिया या मनोभ्रंश कहते हैं। इस कंडीशन में पीड़ित व्यक्ति की सोचने की क्षमता कम हो जाती है, जो आगे चलकर पूरी तरह खत्म भी हो सकती है। डिमेंशिया से रोजमर्रा की सामान्य जिंदगी काफी ज्यादा प्रभावित होती है। जानकार बताते हैं कि डिमेंशिया बीमारी नहीं, बल्कि एक प्रकार का सिंड्रोम (जिसमें किसी रोग में कई लक्षण एक साथ दिखते हैं) है। मस्तिष्क से जुड़े रोगों में डिमेंशिया के लक्षण आमतौर पर देखे जाते हैं। इसमें पीड़ित की याद्दाश्त में कमी होने लगती है, सोचने में कठिनाई महसूस होती है और समस्याओं को सुलझा पाने की क्षमता में मुश्किल होने लगती है। शब्दों के चयन में भी समस्या पैदा हो सकती है। ऐसे में पीड़ित दैनिक रूप से करने वाले कार्यों की क्षमता में कमी महसूस करता है। डिमेंशिया से ऐसे लोगों के मूड और व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिलता है। जानकार बताते हैं कि उम्र के साथ डिमेंशिया होने की संभावना बढ़ती जाती है।

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