डेंगू, चिकनगुनिया के बाद बीमारियों की बढ़ती तदाद ने लोगों को मौत के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। जीका वायरस ने अफ्रीकी देशों समेत दुनियाभर में लोगों को अपना शिकार बनाया है।  अब दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में खतरनाक निपाह वायरस लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।

ग्लोबल हेल्थ और इंफेक्शन डिजीज विशेषज्ञों ने बताया कि चमगादड़ के जरिए इंसानों में फैलने वाले इस वायरस का प्रकोप पहले ही दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में है। शायद यही वजह है कि अब ये संपूर्ण मानव जाति के लिए गंभीर महामारी की वजह बन सकता है।

क्या है निपाह वायरस?
निपाह वायरस एक संक्रामक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। निपाह के संपर्क में आने के बाद व्यक्ति काफी गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है और एक वक्त पर आकर उसकी मौत भी हो सकती है। इसकी एक वजह ये भी है कि निपाह वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के लिए कोई वैक्सीन भी अब तक नहीं बनी है। हालांकि, इलाज के लिए दवा और बचाव के लिए वैक्सीन, दोनों पर ही काम जारी है।

कैसे फैला निपाह वायरस?
निपाह वायरस की पहचान सबसे पहले साल 1998 में मलेशिया के “काम्पुंग सुंगई निफा” इलाके में की गई थी। इसलिए इस वायरस का नाम “निप्स वायरस” रखा गया। विशेषज्ञों ने बताया कि मलेशिया और सिंगापुर में पहचाने गए इस वायरस से संक्रमित लोगों में मृत्यु दर 40 से 90 प्रतिशत तक है। यह वायरस दक्षिण-पूर्वी एशिया से हजारों किलोमीटर दूर बांग्लादेश और भारत में भी फैल गया।

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निपाह वायरस का अब तक कोई इलाज नहीं
सिंगापुर में निपाह सम्मेलन के दौरान सीईपीआई यानि कोलिशन फॉर एपिडेमिक प्रीपेयर्डनेस इनोवेशन के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर रिचर्ड हैचेट ने  बताया कि 20 साल बीतने के बाद भी अब तक निपाह वायरस के जरिए पैदा हुए वैश्विक स्वास्थ्य खतरे से निपटने के लिए कोई दवा या विकल्प नहीं निकल पाया है।

साल 2017 में सीईपीआई (रोग विशेषज्ञों, पब्लिक-प्राइवेट परोपकारी संस्थाओं और नागरिक संगठनों के बीच साझेदारी) का गठन हुआ। इसका मकसद नई उभर रही रहस्यमय संक्रामक बीमारियों के लिए वैक्सीन विकसित करना था। 

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निपाह वायरस के फैलने की वजह?
विशेषज्ञों का पहला लक्ष्य निपाह वायरस है, जो मुख्य रूप से फ्रूट बैट (चमगादड़) और सुअरों से इंसान में आया। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जा सकता है और संक्रमित भोजन के जरिए भी इसका संचार होता है।

बेहद खतरनाक है निपाह वायरस
निपाह वायरस के पहली बार इंसान में पाए जाने के दो साल के भीतर ये बांग्लादेश पहुंच गया। जहां साल 2001 के बाद इस वायरस ने बड़ी संख्या में मानव जाति को नुकसान पहुंचाया। वहीं साल 2018 में इस जानलेवा वायरस ने भारत के केरल राज्य में लोगों को अपना शिकार बनाया। जिससे 17 लोगों की मौत हो गई।

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विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ रिचर्ड हैचेट के मुताबिक, निपाह वायरस का प्रकोप अब तक दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया तक ही सीमित है, लेकिन इस वायरस से गंभीर महामारी की आशंका है, क्योंकि निपाह को फैलाने वाले टेरोपस फ्रूट बैट (चमगादड़) पूरे उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पाए जाते हैं, इसी क्षेत्र में दुनिया की दो अरब से अधिक जनसंख्या भी रहती है।

हैचेट ने बताया कि निपाह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए आशंका है कि ये वायरस बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर सकता है।

ड्यूक एनयूएस मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर और कॉन्फ्रेंस के को-चेयरपर्सन वांग लिन्फा ने बताया कि वर्तमान में निपाह वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए कोई दवा या वैक्सीन मौजूद नहीं है। यही वजह है कि इस गंभीर वायरस को लेकर डब्ल्यूएचओ ने भी इसके इलाज की प्राथमिकता जाहिर की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि ये बैठक निपाह वायरस से लोगों को बचाने और इलाज तलाशने में वैज्ञानिकों को और हौसला देगी।

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