रेमटॉइड आर्थराइटिस यानी गठिया रोग से पीड़ित लोगों के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया ड्रग ट्रीटमेंट तैयार किया है। दावा है कि यह नई दवा गठिया रोग से जुड़े इन्फ्लेमेशन और दर्द से राहत दे सकती है। शोधकर्ताओं ने इस दवा का नाम ओटिलिमैब बताया है। उन्होंने पांच अलग-अलग डोजों के तहत इसका ट्रायल किया है। खबर के मुताबिक, ओटिलिमैब एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी आधारित बायोलॉजिक ड्रग है, जो जीएम-सीएसएफ नामक इन्फ्लेमेटरी साइटोकिन (प्रोटीन) को टार्गेट करने और दबाने का काम कता है। इससे गठिया के मरीज को इन्फ्लेमेशन और दर्द से राहत मिलती है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंगम के वैज्ञानिकों ने एक मल्टीसेंटर, डोज-रेंजिंग ट्रायल के तहत ओटिलिमैब के 22.5 मिलीग्राम, 45 मिलीग्राम, 90 मिलीग्राम, 135 मिलीग्राम और 180 मिलीग्राम की डोज गठिया के 222 मरीजों पर आजमाकर देखी है। दवा के प्रभाव की तुलना करने के लिए कुछ मरीजों को प्लसीबो ड्रग भी दिया गया था। ट्रायल के तहत पांच हफ्तों तक प्रतिभागियों को हफ्तेवार टीके लगाए गए। एक साल तक चली प्रक्रिया के दौरान मरीजों के लिए डोज को हर हफ्ते थोड़ा-थोड़ा कम किया जाता रहा। इस दौरान कई मरीजों में आए बदलावों और उनके दर्द की जांच की जाती रही। इसमें वैज्ञानिकों को पता चला कि ओटिलिमैब ने न सिर्फ आर्थराइटिस के मरीजों के जोड़ों की सूजन कम कर दी थी, बल्कि उनके दर्द में भी काफी कमी हो गई।
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इन परिणामों पर अध्ययन से जुड़े एक शोधकर्ता प्रोफेसर बक्ले ने कहा, 'माना यह जाता है कि जिन दवाओं से सूजन कम होती है, वे दर्द को भी कम कर देंगी। लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है। अब पहली बार हम ऐसी बायोलॉजिक थेरेपी देख रहे हैं, जो (गठिया के मामले में) एक कीमत में ये दोनों काम कर सकती है। यह इन्फ्लेमेशन को तो दबा ही रही है, साथ ही दर्द से राहत देने में भी मददगार साबित हो रही है, जो मरीज के लिहाज से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है।' बता दें कि इन परिणामों को जानी-मानी मेडिकल पत्रिका दि लांसेट रूमटॉलजी में प्रकाशित किया गया है।