फरवरी का महीना खत्म होने वाला है। इसी के साथ स्कूलों में वार्षिक परीक्षा की शुरुआत होने वाली है। इस समय माता-पिता और विद्यार्थियों दोनों पर काफी मानसिक दबाव होता है। ऐसे में तनाव होना स्वाभाविक है।

परीक्षा के दिनों में जहां विद्यार्थियों से सबसे अच्छे अंक लाने की ज्यादा अपेक्षा की जाती है, वहीं माता-पिता को अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की चिंता सताती है। परीक्षा के समय पैदा हुए ऐसे माहौल से बच्चों में मानसिक दबाव इतना बढ़ जाता है कि कभी-कभी वे परीक्षा ही नहीं दे पाते या फेल हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप कई बच्चे अवसाद (डिप्रेशन) में चले जाते हैं। यहां तक कि कुछ बच्चे आत्महत्या तक कर लेते हैं। बीते सालों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें परीक्षा में खराब प्रदर्शन या अच्छे अंकों से पास नहीं होने की वजह से बच्चों ने खुदकुशी का रास्ता चुना। ऐसे में परीक्षा के दौरान होने वाले तनाव के कारणों और उनसे निपटने के उपायों के बारे में जानना जरूरी हो जाता है।

परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों को क्यों होता है तनाव -

  • माता-पिता - माता-पिता का व्यवहार बच्चे को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। एग्जाम के दिनों में उनके व्यवहार में बदलाव देखने को मिलता है। कई मनोवैज्ञानिक अपने अनुभवों से बताते हैं कि परीक्षा समय में कई बार अभिभावकों का व्यवहार अधिक सख्त हो जाता है। माता-पिता बच्चों को अधिक अंक लाने की दौड़ में आगे देखना चाहते हैं। इसलिए वे कई बार अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से करने लगते हैं। इसका बच्चे के मस्तिष्क पर गलत प्रभाव पड़ता है। ऐसे में माता-पिता और रिश्तेदारों की महत्वाकांक्षाओं पर खरा न उतरने पर विद्यार्थियों का आत्मविश्वास कम हो सकता है। इसका सीधा असर परीक्षा प्रदर्शन पर पड़ सकता है।
  • साथियों से प्रतियोगिता - परीक्षा समय में कई बार विद्यार्थी अपने दोस्तों व अन्य सहपाठियों से प्रतियोगिता करने लगता है। ऐसे में अगर परीक्षा में कम अंक आएं, तो दोस्त विद्यार्थी का मजाक बनाते हैं। वहीं, फेल होने पर दोस्तों से अलग होने का डर भी हो जाता है।
  • स्कूल - स्कूल में अध्यापकों द्वारा बार-बार अच्छे अंक लाने के लिए दबाव बनाया जाता है। मौजूदा दौर शिक्षा में जबर्दस्त प्रतियोगिता का दौर है। हर स्कूल अपने को दूसरों से बेहतर साबित करने में लगा है। इसका सारा दबाव और नुकसान विद्यार्थियों को झेलना पड़ता है।
  • करियर - शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई जानकारों का कहना है कि जो विद्यार्थी दसवीं और बारहवीं के बोर्ड की परीक्षा दे रहे होते हैं, उनमें परीक्षा का दबाव काफी ज्यादा होता है। वे अपनी पसंद के करियर और विषय चुनने के लिए ज्यादा से ज्यादा अंक प्राप्त करने की होड़ में लग जाते हैं। ऐसे में अगर अपने मन के विषय या करियर न मिल पाए तो विद्यार्थी के आत्मविश्वास को क्षति पहुंचती है। 
  • एग्जामोफोबिया - मतलब परीक्षा का डर। कई विद्यार्थियों परीक्षा को लेकर यही सोचते हैं कि वे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। उन्हें हर समय परीक्षा से जुड़े बुरे विचार ही मन में आते हैं। इस कारण वे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते।
  • अधिक नींद आना या बिल्कुल भी नींद न आना - याददाश्त को मजबूत करने के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है, जो परीक्षा के तनाव में बच्चे नहीं लेते हैं। कुछ विद्यार्थी इस दौरान बिल्कुल नहीं सोते हैं तो कुछ बहुत अधिक सोते हैं। परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन करने के लिहाज से ये दोनों स्थितियां सही नहीं हैं।

अब सवाल उठता है कि आखिर परीक्षा के तनाव और इसके कारणों से कैसे निपटा जाए। इस बारे में MyUpchar से जुड़ीं डॉक्टर अर्चना कई काम की बातें बताती हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • संतुलित आहार लें - संतुलित आहार स्वस्थ मस्तिष्क के लिए बेहद जरूरी है। पोषण से मस्तिष्क मजबूत होगा और परीक्षा से जुड़े सवालों के जवाब याद रखने में आसानी होगी। 
  • पर्याप्त नींद लें - अच्छी नींद से आप थका हुआ महसूस नहीं करेंगे। इसके साथ ही ध्यान एकाग्र करने में मदद मिलेगी और मस्तिष्क भी स्वस्थ रहेगा। कई विद्यार्थी बिना सोये ही परीक्षा के लिए चले जाते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि मस्तिष्क को चीजें याद रखने के लिए नींद की जरूरत होती है। थका हुआ मस्तिष्क शरीर को भी थका देता है।
  • एक रूटीन में पढ़ाई करें -  पढ़ाई शुरू करने से पहले एक रूटीन या नियम बना लें और उसी के अनुसार पढ़ाई करें। खाने, पढ़ने, सोने व मनोरंजन सभी का समय तय कर लें। थोड़े-थोड़े अंतराल में पढ़ें। एक साथ अधिक प्रेशर न लें। शुरुआत आसान विषयों को पढ़ने से करें।
  • अत्यधिक कैफीन न लें - कई विद्यार्थी नींद दूर रखने के लिए या एकाग्रता बढ़ाने के लिए अधिक कैफीन लेते हैं। कैफीन की अधिक मात्रा मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाती है। इसके सेवन से भले ही शुरुआत में आप ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करें, लेकिन थोड़ी ही देर में इसका प्रभाव कम हो जाता है और विपरीत परिणाम सामने आते हैं।
  • एक साथ अधिक तनाव न लें - एक ही बार में सब कुछ पढ़ने का प्रयास न करें। इससे कुछ भी ठीक तरह से याद नहीं हो पाएगा।
  • स्वयं पर विश्वास करें - परीक्षा के दिनों में सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि आप स्वयं पर भरोसा करें। इससे आपने जो कुछ भी पढ़ा है, वह परीक्षा में लिख पाएंगे। भरोसा रखें कि आपने पर्याप्त पढ़ा है और सब अच्छे से होगा। किसी भी प्रश्न को लेकर घबराएं नहीं। पेपर लिखने की शुरुआत आसान सवालों से करें। मुश्किल प्रश्नों को अंत में हल करें। 

परीक्षा का प्रेशर कम करने के लिए विद्यार्थी ये टिप्स अपना सकते हैं। लेकिन परीक्षा का यह तनाव केवल बच्चों पर नहीं होता, माता-पिता भी उतना ही दबाव ले रहे होते हैं। यह बात ठीक है कि प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चे को जीवन में सफल देखना चाहते हैं, लेकिन इस होड़ में वे अपनी महत्वाकांक्षाओं का पूरा बोझ बच्चे पर डाल देते हैं, जबकि उन्हें बच्चे की सफलता और असफलता दोनों में उसका बराबर साथ देने के बारे में सोचना चाहिए। यहां कुछ बातें बताई गई हैं जो बच्चों के एग्जाम टाइम में माता-पिता को ध्यान रखनी चाहिए -

  • माता-पिता को यह याद रखना चाहिए कि बच्चा सबसे पहले उन्हीं से उम्मीद रखता है। ऐसे में आप उस पर ज्यादा दबाव न डालें।
  • यह समझें कि वह परीक्षा के लिए अपना पूरा प्रयास कर रहा है। आप उस पर दबाव न बनाएं, बल्कि उसे पाठों को याद रखने में मदद करें।
  • यदि वह रात को जाग रहा है तो आप या आपके पार्टनर में से कोई एक उसके साथ रहे। 
  • अपने बच्चे के समर्थक बनें। उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने का प्रयास करें।
  • बच्चे को समझने का प्रयास करें और उसकी तुलना अन्य बच्चों से न करें। यह बात हर माता-पिता को समझनी चाहिए कि हर बच्चा अपने आप में विशेष होता है और बिना बात के उस पर दबाव डाल कर आप उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं।
  • अपने बच्चे के खाने-पीने का ध्यान आप आमतौर पर तो रखते ही हैं, लेकिन एग्जाम टाइम में आपको थोड़ा और सतर्क हो जाना चाहिए।
  • बच्चे को बात-बात पर न टोकें और मनोरंजन का पर्याप्त समय दें।
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