केंद्र सरकार गोरा बनाने, लंबाई बढ़ाने या सेक्शुअल परफॉर्मेंस बेहतर करने का दावा करने वाले विज्ञापनों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। खबरों के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बाबत एक प्रस्ताव पेश किया है। इसमें गोरी त्वचा को बढ़ावा देने वाली फेयरनेस क्रीमों से जुड़े विज्ञापनों या ऐसे दावे करने वाले अन्य विज्ञापनों पर रोक लगाने की सिफारिश की गई है।

इतना ही नहीं, मंत्रालय द्वारा दिए गए सुझाव मान लिए गए तो ऐसे विज्ञापनों को बनाने और इनका प्रचार करने वालों को पांच साल तक की जेल और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय ने 'ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 2020' के तहत ये सुझाव दिए हैं।

जानकारों के मुताबिक सरकार ने इस समय 54 तरह के भ्रामक विज्ञापनों पर प्रतिबंधित लगाया हुआ है। अगर संबंधित मंत्रालय की सिफारिशें या सुझाव मान लिए गए, तो यह संख्या बढ़ कर 54 से 78 कर दी जाएगी। बताया जा रहा है कि जिन विज्ञापनों को लेकर सरकार कार्रवाई के मूड में है, उनमें सेक्शुअल परफॉर्मेंस को बढ़ाने का दावा करने वाले विज्ञापन भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि गलत जानकारी वाले या भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ मौजूदा कानून के सेक्शन 7 के तहत पहली बार छह महीने की जेल या फिर जुर्माना या दोनों लगाए जा का प्रावधान है। वहीं, इस सजा को बढ़ा कर पांच साल या जुर्माना बढ़ा कर 50 लाख रुपये तक किया जा सकता है।

इन विज्ञापनों पर लगाया जा सकता है जुर्माना
सरकार जिस प्रकार के विज्ञापनों पर रोक लगाने का मन बना रही है, उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
त्वचा गोरी करने का दावा करने वाले विज्ञापन
यौन संबंध के दौरान परफॉर्मेंस बढ़ाने का दावा करने वाले विज्ञापन
बच्चों की लंबाई बढ़ाने का दावा करने वाली पेय उत्पाद
बाल बढ़ाने का दावा करने वाले विज्ञापन
मस्तिष्क की क्षमता और याद्दाश्त बढ़ाने का दावा करने वाले विज्ञापन
दांतों की क्षमता बढ़ाने का दावा करने वाले विज्ञापन
आंखों की क्षमता बढ़ाने का दावा करने वाले विज्ञापन आदि।

दरअसल, कई कंपनियां अपने उत्पाद बेचने के लिए लोगों को भ्रामक विज्ञापन दिखाती हैं। लोग उनके प्रभाव में कंपनी का उत्पाद खरीदते हैं। हालांकि उन्हें नहीं पता होता कि ऐसे उत्पादों के कई खतरनाक नुकसान भी हो सकते हैं। दरअसल, ये उत्पाद कई तरह के हानिकारक तत्वों से बने होते हैं जो इन्हें इस्तेमाल करने वालों नुकसान पहुंचा सकते हैं, मसलन, किसी तरह का संक्रमण। मेडिकल और ब्यूटी सेक्टर के कई विशेषज्ञ ऐसे विज्ञापनों को 'ग्राहकों से धोखा' करार देते हैं। सरकार की तरह वे भी इस बात से इत्तफाक रखते हैं कि ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाई जानी चाहिए। देखना यह है कि वह ऐसा कर पाती है या नहीं।

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