हम अपनी सेहत को बेहतर बनाने के लिए बढ़िया से बढ़िया उत्पाद लेते हैं। महंगे से महंगा दूध और प्रोटीन को डाइट में शामिल करते हैं। अपनी सेहत के लिए हम लोग इतने फिक्रमंद हो गए हैं कि दूसरों के बारे में कोई खबर ही नहीं है। दूसरे यानि अन्य जीव-जंतु। आपने अपनी सेहत को तो बचा लिया पर इन जीवों का क्या? ऐसे में इनकी खोज खबर रखना भी तो हमारी ही जिम्मेदारी है।

आप दुकान गए और वहां से आपने खरीदा एक कार्टन भर बादाम दूध। आपकी सेहत सही रहेगी इस ख्याल से आप खुश हो सकते हैं, लेकिन पर्यावरण का क्या? शायद आप इस बात से अनजान हैं कि आपकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बादाम की पैदावार बढ़ाने के वास्ते हर साल अरबों मधुमक्खियां मर जाती हैं।

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मधुमक्खियां क्यों हैं जरूरी
अगर मधुमक्खियां खत्म हो जाएंगी तो दुनिया को बादाम, बेरी और दूसरे कृषि उत्पाद जो पॉलिनेशन से विकसित होते हैं से वंचित होना पड़ेगा। कैलिफॉर्निया के सेंट्रल वैली रिजन में 80 प्रतिशत बादाम उत्पादन किया जाता है। इस पैदावार को बढ़ाने के लिए मधुमक्खियों को पाला जाता है। 2018-19 युनाइटेड स्टेट्स के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के अनुसार बादाम दूध की 250 प्रतिशत डिमांड को पूरा करने के दौरान 50 बिलियन मधुमक्खियां मर जाती हैं।

शहद या बादाम और मधुमक्खियां
शहद की पैदावार बादाम की पैदावार जितनी आकर्षक नहीं होती। समय के साथ किसानों ने ज्यादा फायदे के लिए अपनी तकनीक में बदलाव किया है। मधुमक्खियों से शहद निकालने के बाद वो छत्ते को बादाम उत्पादकों को किराए पर दे देते हैं। मधुमक्खियों के पालनकर्ताओं के पास सिर्फ रानी मक्खी, नर्स मक्खी और मक्खियों के भ्रूण छत्ते में छोड़ दिए जाते हैं। इसके अलावा सभी श्रमिक मक्खियों को सेंट्रल वैली में बादाम की पॉलिनेशन करने के लिए भेज दिया जाता है।

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श्रमिक मक्खियों के जाने से छत्ते पर प्रभाव
इंसानों में काम का विभाजन और परिवार का पालन पोषण जीवों से बहुत ही भिन्न है। लोगों के बाहर कमाने जाने पर भी दूसरे लोगों का जीवन इतना प्रभावित नहीं होता। जबकि मधुमक्खियों की कार्यप्रणाली हम लोगों से काफी भिन्न है। श्रमिक मक्खियों का जाना छत्ते में रानी और भ्रूण मक्खियों को अकेला कर देता है।

रानी मक्खी की जिम्मेदारी बच्चे पैदा करने की होती है, वह खाना ढूंढ़ने को बाहर नहीं निकलती। ऐसे में तमाम नर मजदूर मक्खियों को बादाम के बगीचों में ले जाने पर उनकी संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो पाती। दूसरी तरफ रानी मक्खी और भ्रूण मक्खियों को भोजन नहीं मिल पाने के कारण उनकी भी मौत हो जाती है। इससे सारी की सारी मक्खियों की आबादी खत्म हो जाती है। इस तरह मधुमक्खियों की कॉलोनी का गिर जाना सीसीडी यानि कॉलोनी कोलैप्स डिसऑर्डर कहलाता है।

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युनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर ने 2006 में एक खोज की थी। जिसमें बताया गया था कि अमेरिका की ज्यादातर कृषि क्रॉस पॉलिनेशन पर निर्भर करती है। मधुमक्खियों का वाणिज्यिक लाभ के लिए उपयोग हर साल अमेरिका की इकोनॉमी में डॉलर 15 बिलियन जोड़ता है। मधुमक्खियों का बढ़ता आधिकाधिक उपयोग उनकी आबादी को खत्म कर रहा है।

2006-07 में मधुमक्खियों का पालन करने वालों ने सीसीडी की वजह से मक्खियों की संख्या में 30-90 प्रतिशत गिरावट देखी। यूएसडीए ने इस नंबर में संतुलन बनाकर रखने के लिए कदम भी उठाए। सबसे ज्यादा मधुमक्खियों की संख्या में गिरावट बादाम उत्पादन की वजह से आई है।

पैरासाइट्स और कीटनाशकों से खतरा
जिन किसानों ने सेंट्रल वैली में बादाम की खेती के लिए श्रमिक मक्खियों को किराए पर लिया था, उन्हें अपनी फसलों पर कीड़ों और फंफूद का सामना भी करना पड़ता है। पीएलओएस वन की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार अस्पर्जिलस फ्लेवस और अस्पर्जिलस पैरासाइटिकस दो ऐसे पैरासाइट्स हैं जो एफ्लाटॉक्सिन छोड़ते हैं। ये बादाम, अंजीर और पिस्ता की फसल पर प्लेग की तरह फैलते हैं। एफ्लाटॉक्सिन का इंसानों और जानवरों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस टॉक्सिन से प्रभावित फसलों का सेवन करने से जान भी जा सकती है।

ऐसे में सवाल आता है कि क्या मधुमक्खियां इन पैरासाइट्स से बच सकती हैं। तो पीएलओएस वन की स्टडी के अनुसार ए. फ्लेवस द्वारा दूषित हो जाने के बाद नन्हीं मक्खियों के भ्रूण ममी में बदल जाते हैं इस बीमारी को स्टोनब्रूड कहते हैं। इसके अलावा मधुमक्खियों को अस्पर्जिलॉसिस भी हो सकता है। इस बीमारी में व्यस्क और छोटी मक्खियों को श्वास संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। प्लेग की तरह फैल रहे इन पैरासाइट्स को कम करने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है।

कीटनाशकों का बुरा प्रभाव
गार्डियन के एक आर्टिकल के अनुसार फसलों को बचाने के लिए हर साल 15.8 करोड़ किलोग्राम कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है। इन कीटनाशकों में सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले कीटनाशक हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट अथवा राउंडअप इंसानों और मधुमक्खियों दोनों के लिए जानलेवा हैं। 2018 में यूएस की नेशनल अकादमी ऑफ साइंस में बताया गया था कि हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट मधुमक्खियों के शरीर से जरूरी गट बैक्टीरिया को खत्म करता है और उन्हें इन्फेक्शन के प्रति संवेदनशील बना देता है। इससे उनका जीवन काल घट जाता है और पूरी कॉलोनी का सफाया हो जाता है।

जो पैरासाइट फसलों में प्लेग की तरह फैलते हैं और नुकसानदेह हैं। इन्हें खत्म करने वाले कीटनाशक मधुमक्खियों और इंसानों के लिए खतरा हैं। विगन और अपनी हेल्थ के लिए ज्यादा जागरुक लोग बादाम दूध पर निर्भर होते जा रहे हैं। इस खाद्यपूर्ति को पूरा करने के लिए अरबों मधुमक्खियां बलि चढ़ जाती हैं। अगर आप भी बादाम दूध पर पूरी तरह आश्रित हैं तो आपको दूसरे विकल्पों पर भी ध्यान देना चाहिए। आप सोया दूध, काजू दूध, नारियल दूध और ओट दूध भी ले सकते हैं।

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