नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है। संसद में कानून बनने से लेकर अब तक देश के कई हिस्सों में हिंसक घटनाएं हुई हैं। कहीं पत्थरबाजी, तो कहीं आगजनी में करोड़ों की सार्वजनिक संपति जलकर भस्म हो चुकी है। इतना ही नहीं, उत्तर भारत में यूपी समेत राजधानी दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में हुई घटनाओं के अंदर कई लोगों को गंभीर चोटें भी आई हैं।
हालांकि, बवाल और हंगामे के बीच पुलिस प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। बावजूद इसके हिंसक घटनाएं रुकने के नाम ले रही हैं। हालत यह है कि पुलिस अब लाठीचार्ज के साथ आंसू गैस के गोलों का भी इस्तेमाल कर रही है। उपद्रवियों को रोकने के लिए पुलिस लगातार आंसू गैस छोड़ रही है, जो कि लोगों की सेहत के लिए एक बड़ी समस्या पैदा कर सकती है। दरअसल आंसू गैस, जो कि एक हानिकारक गैस है, इसके संपर्क में आने से कई तरह की गंभीर बीमारियों का जोखिम हो सकता है।
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आंसू गैस (टीयर गैस) क्या है?
आंसू गैस के गोले दागने के तुरंत बाद ही यह गैस धुएं के रूप में हवा में फैलती है, जिससे भीड़ में शामिल लोगों की आंखों में भारी जलन होने लगती है। दरअसल आंसू गैस में क्लोरोबेंजाइलाडीन मेलानोनिट्राइल (सीएस), डिबेंजोक्साजेपाइन (सीआर) और फेनासिल क्लोराइड (सीएन) एक्टिव कम्पाउंड (यौगिक) होते हैं।
इन कम्पाउंड का इस्तेमाल दंगा नियंत्रण एंजेट यानी पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा किया जाता है, क्योंकि ये गैस आंखों में कॉर्निया की नसों को नुकसान पहुंचाती है, जिससे जलन महसूस होती है। इसलिए इसे आंसू गैस के रूप में जाना जाता है।
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आंसू गैस शरीर को कैसे प्रभावित करती है?
आंसू गैस से शरीर पर एक नाटकीय तरह का प्रभाव पड़ता है। गोला फटने के 20 सेकंड के भीतर यह अपना काम करना शुरू कर देती है, जिसका असर लगभग 15 मिनट तक बना रहता है। ओ-क्लोरोबेंजाइलिडीन मालोनोनिट्राइल (सीएस) दुनिया में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला आंसू गैस है।
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अमेरिकी में सेंटर फॉर कम्युनिकेबल डिजीज के अनुसार, सीएस आंसू गैस के कारण शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके असर से शरीर में दर्द, आंखों में जलन, आंसू आना जैसी समस्याएं आती हैं। इसके अलावा भी कई तरह की परेशानी हो सकती है। जैसे-
- पलकों की त्वचा का लाल पड़ना
- गले में परेशानी महसूस होना
- खांसी आना
- सीने में जकड़न
- सिरदर्द
- त्वचा लाल पड़ना
आंसू गैस के अन्य प्रभाव
आंसू गैस का नकारात्मक प्रभाव कितना होता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके चलते कई गर्भवती महिलाओं को गर्भस्राव की स्थिति से गुजरना पड़ा।
- दरअसल आंसू गैस में पाए जाने वाले अन्य दो पदार्थ, डिबेंजोक्साजेपाइन (सीआर) और फेनासिल क्लोराइड (सीएन),सीएस की तुलना में अधिक शक्तिशाली होते हैं।
- 2011 में अरब स्प्रिंग (सरकार विरोधी आंदोलनों) के बाद, ड्यूक विश्वविद्यालय में एनेस्थिसियोलॉजी के एक सहयोगी, स्वेन-एरिक जोर्डट ने लिखा कि जो गर्भवती महिलाएं आंसू गैस के संपर्क में आई थी, उन महिलाओं (सामान्य संख्या से अधिक) में इसके बाद गर्भपात या गर्भस्राव (मिसकैरेज) की रिपोर्ट दर्ज की गई।
- स्वेन एरिक लिखते हैं कि यह शायद सदमे के कारण और तनाव और रासायनिक जोखिम के चलते भी हो सकता है।
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आंसू गैस से कई गंभीर बीमारियों का खतरा
आंसू गैस के संपर्क में आने से लोगों को कई गंभीर और लंबे समय तक रहने वाली बीमारियों का भी जोखिम हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक आंसू गैस के दीर्घकालिक प्रभावों में अस्थमा का बिगड़ना, हृदय संबंधी कार्य में शिथिलता, सांस संबंधी बीमारियों का अधिक जोखिम है।
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- आंसू या टीयर गैस के संपर्क में आने से त्वचा में जलन और डर्मटायटिस (त्वचा का सूजना) भी हो सकता है। खासकर जब आंसू गैस में सीएन गैस का उपयोग किया जाता है।
- हालांकि, दवा कंपनियां कोशिश कर रही हैं, लेकिन अभी तक आंसू गैस का कोई अवरोधक नहीं मिला है जो इसके प्रभाव को कम कर सके।
कुल मिलाकर आंसू गैस एक खतरनाक गैस है, जो कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। हालांकि, पुलिस की ओर से इसे सिर्फ असुरक्षा की स्थिति में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए अगर आप इसके प्रभाव से बचना चाहते हैं तो दंगे, किसी तरह के उपद्रव या उग्र प्रदर्शनों में शामिल न हों।