खांसी को ट्यूसिस (Tussis) के नाम से भी जाना जाता है, जो अचानक से मनुष्यों पर असर करने वाला एक रिफ्लेक्स है। इसका उद्देश्य बाहरी सूक्ष्मजीवों, रोगाणुओं, जलन, तरल पदार्थ और बलगम को हमारे श्वसन नली और गले में से साफ करना होता है। ये फेफेड़ों से हवा का तेज़ी से निष्कासन करती है।
खांसी जानबूझकर या बिना इच्छा के हो सकती है। हालांकि खांसी एक गंभीर बीमारी का संकेत भी है, खांसी के अधिकतर के मामलों में दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि अमूमन पर खांसी अपने आप ही ठीक हो जाती है।
खांसी क्या है?
खांसी के मुख्य रूप से तीन चरण हैं:
- सांस लेना।
- स्वर तंत्र (coval cords) के बंद होने पर गले और फेफेड़ों में दबाव बढ़ जाना।
- स्वर तंत्र के खुलने पर मुंह से तेजी से हवा का बाहर निकलना, खांसी के लिए विशेष संकेत देता है।
यदि कोई खांसी से बहुत ज़्यादा ग्रसित है, तो ये किसी बिमारी का संकेत हो सकता है। अधिकतर खांसी संक्रमित रोगों से होती है, जैसे सामान्य सर्दी जुकाम। खांसी संक्रमण रोगों के बिना भी हो सकती है।
आमतौर पर खांसी प्रदूषण, गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ (Gastroesophageal reflux disease; GERD), दम घुटना, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, फेफेडों में ट्यूमर, दिल का दौरा पड़ना, कुछ दवाईयां जैसे एस इनहिबिटर्स (ACE inhibitors), पोस्ट नेज़ल ड्रिप (post-nasal drip) और धूम्रपान इन सब स्थितियों के कारण फैलती है।
डॉक्टर खांसी के इलाज के लिए खांसी के कारण पर ध्यान देते हैं। उदाहरण के लिए यदि एस इनहिबिटर्स (ACE inhibitors) की वजह से हुई है, तो इसे बंद किया जा सकता है। कोडाइन, डिस्ट्रोमेथार्फ़न (Codeine, dextromethorphan) और अन्य खांसी को कम करने वाली दवाई अक्सर लोग खांसी के दौरान प्रयोग करते हैं। हालांकि खांसी की दवाईयों पर बहुत अधिक शोध नहीं हुआ है कि ये खांसी के लक्षण को कितना कम कर सकती हैं।