अधिकांश लोगों में प्राकृतिक रूप से सीधे हाथ (दाएं) से लिखने, खाने और खेलने की आदत होती है। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दोनों हाथों (दाएं और बाएं) से क्षमता के अनुरूप अपने रोजमर्रा के कार्यों को अंजाम देते हैं, ऐसे लोगों की संख्या कम ही है। इसका मतलब यह है कि सीधे हाथ (दाएं) के लोगों की संख्या अधिक है, मगर क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों है और इसके कितने फायदे और क्या नुकसान हैं।

आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो विश्व की 70 से 95 प्रतिशत जनसंख्या सीधे हाथ की है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम सदियों से ऐसे हैं। जनरल ऑफ ह्यूमन इवोल्यूशन में प्रकाशित साल 2016 की एक रिसर्च के अनुसार अध्ययनकर्ताओं ने निएंडरथल ( मानव की एक विलुप्त प्रजाति जो यूरोप में व्यापक रूप से बंटी हुई थी) आबादी और इससे पहले के लोगों के दांतों की जांच की।

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जांच के दौरान दांत में कुछ ऐसे निशान (टूट-फूटे) मिले, जिससे पता चलता है कि यह लोग सीधे हाथ का इस्तेमाल कर खाना खाते थे। जानकर हैरानी होगी कि दांत के यह अवशेष करीब 18 लाख साल पहले के थे। इसके बाद सवाल उठता है कि हम लोगों में से अधिक लोग सीधे हाथ के क्यों हैं और कुछ ही लोग उल्टे हाथ के क्यों है।

उल्टा दिमाग, सीधा हाथ
हमारा मस्तिष्क गोलाकार होने के साथ दो भागों में बंटा होता है और उसी तरह से दिमाग के दोनों भाग (बाएं और दाएं) काम करते हैं। दाईं तरफ का दिमाग आमतौर पर भाषाओं को समझने, लिखने और मोटर स्किल्स के लिए होता, जबकि बाईं ओर के दिमाग में अन्य कार्य को समझने की क्षमता होती है।

एक थ्योरी यह भी है कि पहले इंसान जानवर की तरह था और बाद में उसने दो पैरों पर चलना शुरू किया, जिसके बाद व्यक्ति के मस्तिष्क ने ठीक प्रकार से काम करना शुरू किया। दो पैरों से चलने के कारण ही हाथ बाकी काम करने लिए स्वतंत्र हो गए। यह नियम बताता है, कैसे इंसान कुछ हद तक अपने काम करने के लिए हाथ का बेहतर का इस्तेमाल करने लगा।

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भाषा को समझने का तरीका बेहतर हुआ
होमो लॉक्वेन्स का दूसरा नियम यह सुझाव देता है कि जैसे-जैसे इंसान या व्यक्ति अपनी भाषा के साथ अच्छा होता चला गया, उसी प्रकार से उसके मस्तिष्क के बाईं ओर का भाग मजबूत हो गया (जिससे शरीर के सीधी तरफ यानी दाईं ओर गतिविधियां होने लगीं)। इस थ्योरी के मुताबिक मस्तिष्क के दाईं ओर झुकाव के चलते समझने का तरीका बेहतर हुआ और इसी के चलते भाषा का विकास होता चला गया। 

हालांकि, केवल इस कारण से यह साफ नहीं होता कि बाएं हाथ वाले व्यक्ति सिर्फ भाषाई कौशल में सक्षम होते हैं। वहीं जब दाएं और बाएं हाथ को लेकर अध्ययन किया गया तो भाषा को सीखने और समझने की क्षमताओं में कोई अंतर नहीं पाया, लेकिन वैज्ञानिकों ने ऐसे लोगों के दिमाग में अंतर पाया है जो दाएं हाथ और बाएं दोनों हाथ से कार्य करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। जब ये अपने सीधे हाथ से लिखते हैं तो उनके मस्तिष्क के दाएं और बाएं हिस्सों के बीच श्रम साफ बंटा हुआ दिखाई देता है। मगर बाएं हाथ वाले लोग भाषाओं का उपयोग करने और चेहरे को पहचानने के लिए मस्तिष्क के दोनों गोलार्ध का उपयोग करते हैं।

जीन्स भी एक मुख्य कारण
एक आनुवांशिक थ्योरी के मुताबिक गुणसूत्र पर एक ही स्थान में मौजूद जीन्स, जो किसी विशेष कोड के होते हैं, यह बताते हैं कि आप किस हाथ का इस्तेमाल करते हैं। यह जानने के लिए ज्यादातर लोग सीधे हाथ (दाएं) के क्यों होते हैं और उनकी तुलना में उल्टे हाथ वालों की संंख्या कम क्यों है। इसके लिए लेबल डी (डेक्सट्रल या राइट) और सी (चांस या लेफ्ट) मॉडल का इस्तेमाल किया गया।

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डी प्रमुख (डोमिनेट) है और अधिकांश लोगों में डी प्रकार पाया जाता है। अगर आपके पास डी जीन है, तो आपके दाएं हाथ का होने की ज्यादा संभावना होगी। दूसरी ओर, सी जीन का आमतौर पर मतलब होता है कि आप दाएं या बाएं हाथ के हो सकते हैं। इसके अलावा 50 प्रतिशत संभावना है कि अगर आपके पास सी जीन्स हैं तो आप बाएं हाथ के हो सकते हैं।

रिपोर्ट के आधार पर देखा जाए तो अधिकांश रूप से लोगों का सीधे या दाएं हाथ का होना एक एतिहासिक घटना है, जिसे मानव जाति के इतिहास से जोड़कर देखा जा सकता है। इसके अलावा क्योंकि हमारे बाएं तरफ का दिमाग या मस्तिष्क भाषा को समझने के लिए होता है। इसलिए हम सीधे हाथ का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, कुछ हद तक इसमें जीन्स की भूमिका हो सकती है।

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