हम सब अपने स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहते हैं। इसके साथ ही हमारे बैंक बैलेंस की सेहत भी हमारी चिंता का विषय है। यही कारण है कि हम सब हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी लेते हैं, ताकि मुसीबत के समय आसानी से अच्छा इलाज मिल सके और हमारी बचत पर भी बुरा असर न पड़े। हेल्थ इन्शुरन्स इस मामले में अपनी भूमिका बहुत अच्छे से निभा रहा है। बीमार होने पर अस्पताल में भर्ती होना आसान तो है, लेकिन इसे आप समझदारी भरा कदम नहीं कह सकते। क्योंकि अगर समय पर टेस्ट करके बीमारी को शुरू में ही पकड़ा जाता तो समझदार कहलाती। इसी समझदारी का परिचय आप तब देते हैं, जब आप एक नियमित अंतराल पर अपना हेल्थ चेकअप कराते रहते हैं। इसे प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप भी कहा जाता है। यह नियमित अंतराल हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकता है। इस आर्टिकल में हम सालाना स्वास्थ्य जांच (एनुअल हेल्थ चेकअप) को हर पहलू से समझेंगे।

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  1. एनुअल हेल्थ चेकअप क्या होता है - What is Annual Health Checkup in Hindi
  2. एनुअल हेल्थ चेकअप के फायदे - Benefits of Annual Health Checkup in Hindi
  3. हेल्थ इन्शुरन्स में एनुअल हेल्थ चेकअप - Free Medical Check-ups under your Health Cover in Hindi?
  4. हेल्थ इन्शुरन्स में एनुअल हेल्थ चेकअप का लाभ कैसे लें - How to Avail Free Medical Check-ups under your Health Cover in Hindi?
  5. एनुअल हेल्थ चेकअप में कौन-कौन से टेस्ट होते हैं - Name of Tests done in Annual Health checkup in Hindi
  6. एनुअल हेल्थ चेकअप का हेल्थ पॉलिसी पर असर - How does Annual Health checkup effect Health Insurance Policy in Hindi
  7. एनुअल हेल्थ चेकअप और कंपल्सरी हेल्थ चेकअप में अंतर - Difference between Annual Health checkup and Cumpulsory Health checkup in Hindi

सालना स्वास्थ्य जांच को समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है। अपनी सेहत की देखरेख के लिए हम साल में एक बार जो स्वास्थ्य जांच कराते हैं, उसे एनुअल हेल्थ चेकअप कहा जाता है। एनुअल हेल्थ चेकअप असल में प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप होता है। यानी बीमार नहीं होने के बावजूद आप डॉक्टर के पास या क्लीनिक में जांच के लिए जाते हैं। प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप एक प्रमुख उद्देश्य के साथ किए जाते हैं। इसके उद्देश्य को एक कहावत में बखूबी ढाला गया है - 'उपचार से बेहतर है बचाव' इसे अंग्रेजी में 'Prevention is better than cure' कहते हैं।

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नियमित तौर पर स्वास्थ्य जांच कराने से किसी भी बीमीरी का शुरुआत में ही निदान हो जाता है। समय पर किसी बीमारी से शुरू होने का पता चल जाने पर उसका इलाज आसान हो जाता है। यदि आप नियमत स्वास्थ्य जांच नहीं करवाते हैं और कैंसर जैसी कोई बीमारी अंदर ही अंदर पनप रही है तो तीसरे-चौथे स्टेज में पता चलने पर इलाज संभव नहीं हो पाता। इस लिहाज से नियमित तौर पर हेल्थ चेकअप करवाने से किसी बीमारी को शुरुआत में ही पकड़कर उसका आसान इलाज किया जा सकता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने स्वस्थ दिखते हैं। नियमित तौर पर हेल्थ चेकअप कराते रहें, क्योंकि शरीर के अंदर क्या चल रहा है वह आप बिना जांच किए पता नहीं कर सकते। कुछ अन्य फायदे निम्नलिखित हैं -

  • किसी भी बीमारी के एडवांस स्टेज में जाने से पहले ही उसकी पहचान हो जाती है।
  • नियमित तौर पर हेल्थ चेकअप करने से आप लंबी और बड़ी बीमारियों से बच सकते हैं और जल्द इलाज मिलने से आपके जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।
  • बीमारी के एडवांस स्टेज में पहुंच जाने के बाद आपका खर्च भी बढ़ेगा, शुरुआती स्टेज में कम खर्च पर आसानी से इलाज हो जाता है।
  • हेल्थ चेकअप आपको स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली जीने को प्रेरित करता है।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच से आप मेडिकल के क्षेत्र में आ रही नई-नई तकनीक के बारे में भी अपडेट रहते हैं।

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अब तक आप ये तो समझ ही गए हैं कि हेल्थ चेकअप हमारे लिए कितना जरूरी है। अब बात करते हैं हेल्थ इन्शुरन्स में एनुअल हेल्थ चेकअप क्या है और कब इसका लाभ ले सकते हैं। आज के दौर में ज्यादातर हेल्थ इन्शुरन्स प्लान इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि उनमें बीमाधारक को फ्री हेल्थ चेकअप का लाभ मिल सके। यह आपकी हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी और इन्शुरन्स कंपनी पर निर्भर करता है कि वह आपको फ्री हेल्थ चेकअप का लाभ हर साल देती है या हर दूसरे, तीसरे, चौथे या पांचवे साल में देती है। आमतौर पर दूसरे प्रीमियम का भुगतान करने के बाद हर साल फ्री हेल्थ चेकअप की सुविधा मिलती है। बहुत से बीमाधारकों को तो यह जानकारी ही नहीं होती कि उनकी हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में उन्हें फ्री हेल्थ चेकअप की भी सुविधा मिलती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जानकारी होने के बावजूद भी सिर्फ 25-30 फीसद लोग ही फ्री हेल्थ चेकअप का लाभ ले पाते हैं।

जहां एक ओर बहुत से लोगों को फ्री मेडिकल चेकअप की जानकारी ही नहीं होती, वहीं ऐसे लोग भी हैं जो जानबूझकर चेकअप नहीं करवाते हैं। ऐसे लोगों को डर होता है कि यदि हेल्थ चेकअप में किसी बीमारी का निदान हो जाएगा तो इन्शुरन्स कंपनी उनका प्रीमियम बढ़ा देगी। क्या सच में इन्शुरन्स कंपनियां मेडिकल चेकअप के दौरान किसी बीमारी का निदान होने के बाद प्रीमियम बढ़ा सकती हैं? इस प्रश्न का उत्तर इसी लेख में नीचे दिया गया है।

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अब बात आती है कि हेल्थ इन्शुरन्स में फ्री मेडिकल चेकअप का लाभ कैसे लें। बहुत से लोग इस सेवा का लाभ नहीं ले पाते हैं, क्योंकि उन्हें यह पूरी प्रक्रिया काफी जटिल और थकाऊ लगती है। चलिए आपके लिए इस पूरी प्रक्रिया को आसान बना देते हैं -

  • सबसे पहले, आपको अपनी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी से उनके टोल-फ्री नंबर पर फ्री हेल्थ चेकअप सुविधा का लाभ लेने के बारे में बात करनी होगी। आप चाहें तो कंपनी के नजदीकी ब्रांच में जाकर भी उन्हें इसकी जानकारी दे सकते हैं। अलग-अलग इन्शुरन्स कंपनियों में यह प्रक्रिया थोड़ी-बहुत भिन्न हो सकती है।
  • अपने फ्री हेल्थ चेकअप की तारीख और समय तय करने के लिए आप इन्शुरन्स कंपनी को ईमेल कर सकते हैं या फोन पर भी बात कर सकते हैं। इसके बाद कंपनी आपकी पसंद के अनुसार तारीख और समय तय करके आपको बता देगी।
  • इन्शुरन्स कंपनी से आपको एक ऑथराइजेशन लेटर मिलेगा, जिसे आपको अपने हेल्थ कार्ड के साथ लेकर डायग्नोस्टिक सेंटर में जाना होगा।
  • इन्शुरन्स कंपनी में फ्री हेल्थ चेकअप के लिए अनुरोध करने के बाद वे आपसे संपर्क करते हैं और आपकी पसंद के अनुसार नजदीकी डायग्नोस्टिक सेटर में आपके लिए मेडिकल चेकअप की व्यवस्था कर देते हैं।
  • यदि आप इन्शुरन्स कंपनी से साथ सूचिबद्ध अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर में यह हेल्थ चेकअप करवाते हैं तो यहां खर्च कम आता है आपको अपनी पॉकेट से कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता। इन्शुरन्स कंपनी सीधे उस अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर को भुगतान कर देती है। हालांकि, आप अपनी पसंद के किसी भी लैब या अस्पताल में भी टेस्ट करवा सकते हैं और बाद में बिल को इन्शुरन्स कंपनी से रिइम्बर्स करवा सकते हैं। दोनों ही स्थितियों में हेल्थ चेकअप के लिए तय अधिकतम राशि से ज्यादा बिल आने पर अतिरिक्त शुल्क आपको चुकाना होगा।
  • इसके अलावा कई हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां ऐसी भी हैं, जिन्हें आप फ्री हेल्थ चेकअप के लिए कॉल करते हैं या लिखते हैं तो वे आपके तय किए हुए समयानुसार आपके घर या दफ्तर में ही हेल्थ चेकअप की व्यवस्था कर देती हैं। इसके लिए आपको कोई भी अतिरिक्त भुगतान करने की जरूरत नहीं होती।

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एनुअल हेल्थ चेकअप में होने वाले टेस्ट के मामले में भी अलग-अलग हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियों के अपने अलग मानदंड हैं। जो टेस्ट लगभग हर कंपनी में होते हैं वे हैं - 

इसके अलावा आपकी पॉलिसी में जितना बड़ा सम-इनश्योर्ड होगा उतने ही ज्यादा लाभ आपको फ्री हेल्थ चेकअप में भी मिलेंगे। उदाहरण के लिए 20 लाख के सम इनश्योर्ड वाली पॉलिसी में 5 लाख के बीमाधन वाली पॉलिसी से ज्यादा टेस्ट करवाए जाएंगे।

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फ्री एनुअल हेल्थ चेकअप के दौरान यदि कोई बीमारी निकल आई तो हमारी पॉलिसी का क्या होगा? इससे इन्शुरन्स कंपनी को प्रीमियम बढ़ाने का बहाना मिल जाएगा। ऐसे प्रश्न और ऐसी भ्रांतियां बहुत से लोगों के अंदर हैं। इस लेख में आज हम आपकी इन भ्रांतियों को तोड़ देना चाहते हैं। यदि फ्री हेल्थ चेकअप के दौरान किसी बीमारी का निदान होता है तो इन्शुरन्स कंपनी उसके लिए आपका प्रीमियम नहीं बढ़ा सकती। यानी हेल्थ चेकअप में भले ही रिपोर्ट कैसी भी आए, उसका आपकी पॉलिसी पर कोई असर नहीं पड़ता। यदि आप बाद में सम-इनश्योर्ड बढ़ाना चाहेंगे तो इन्शुरन्स कंपनी इसका इस्तेमाल उस समय प्रीमियम तय करने में करेगी। यदि इसके बावजूद आप इन्शुरन्स कंपनी से हेल्थ चेकअप नहीं करवाना चाहते तो अपनी जेब से रुपये खर्च करके साल में कम से कम एक बार हेल्थ चेकअप जरूर करवा लें, ताकि किसी भी बड़ी बीमारी का शुरुआत में ही निदान हो जाए।

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एनुअल हेल्थ चेकअप के बारे में तो आप अब तक अच्छे से समझ ही गए होंगे। अब बात करते हैं कंपल्सरी हेल्थ चेकअप क्या होता है और क्यों किया जाता है। आमतौर पर जब आप हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी खरीदते हैं तो आपकी उम्र और फॉर्म में की गई घोषणा के आधार पर कंपल्सरी हेल्थ चेकअप के लिए कहा जा सकता है। इसका मतलब यह कि यह हेल्थ चेकअप करने के बाद ही इन्शुरन्स कंपनी तय करती है कि आपको वह पॉलिसी दे सकती है या नहीं। यदि देती है तो उसका प्रीमियम कितना होगा और कौन-कौन सी बीमारियां कवर नहीं होंगी वह सब आपके कंपल्सरी हेल्थ चेकअप के बाद ही तय होता है। कुल मिलाकर दोनों में अंतर यह है कि कंपल्सरी हेल्थ चेकअप कुछ ही लोगों का होता है और यह पॉलिसी इश्यू होने से पहले किया जाता है, जबकि हेल्थ चेकअप इन्शुरन्स पॉलिसी लेने के बाद एक नियमित अंतराल पर किया जाता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में हॉस्पिटल कैश पॉलिसी क्या है?)

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