बढ़ती महंगाई के बीच इलाज के बढ़ते खर्च से बचने के लिए हम सब हेल्थ इन्शुरन्स का सहारा लेते हैं। लेकिन हेल्थ इन्शुरन्स लेने के बावजूद ओपीडी पर हमें अच्छा खासा खर्च करना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर हेल्थ इन्शुरन्स में ओपीडी कवर नहीं होता है। वैसे बता दें कि ओपीडी में डॉक्टरी इलाज पर होने वाले वो छोटे-मोटे खर्च शामिल हैं, जिनके लिए अस्पताल में एडमिट होने की आवश्यकता नहीं होती है। यह खर्च कितना बड़ा होता है यह जानकार आप चौंक जाएंगे। हमारे देश में हर साल कुल हेल्थकेयर कॉस्ट का 62 फीसद सिर्फ ओपीडी के रूप में खर्च होता है। बढ़ती महंगाई के कारण आज ओपीडी खर्चे भी आम इंसान के बस की बात नहीं रहे। यदि किसी को महीने में 2-3 बार भी ओपीडी के लिए खर्च करना पड़ जाए तो पूरे महीने का बजट ही बिगड़ जाता है। यही कारण है कि आजकल लोग छोटी-मोटी बीमारियों में डॉक्टर के पास या अस्पताल जाने से कतराने लगे हैं। इसी वजह से बीमारियों को शुरुआत में ही पकड़ना भी मुश्किल हो रहा है। शायद यही कारण है कि आज लगभग सभी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां ओपीडी कवर उपलब्ध कराने वाली हेल्थ पॉलिसी लेकर आ रही हैं। यदि आप myUpchar बीमा प्लस हेल्थ इन्शुरन्स लेते हैं तो इसके तहत आपको डॉक्टर कंसल्टेशन की भी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसके साथ 24x7 फ्री टेली ओपीडी की सुविधा मिलती है।

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  1. ओपीडी कवर क्या होता है - What is an OPD Cover in Health Insurance in Hindi?
  2. ओपीडी कवर हेल्थ इन्शुरन्स में क्या-क्या शामिल है - Inclusions of an OPD Cover in Health Insurance in Hindi
  3. ओपीडी कवर हेल्थ इन्शुरन्स में क्या शामिल नहीं होता - Exclusions of an OPD Insurance Cover in Health Insurance in Hindi
  4. ओपीडी कवर हेल्थ इन्शुरन्स के फायदे - Benefits of OPD cover in Health Insurance in Hindi?
  5. हेल्थ इन्शुरन्स के साथ ओपीडी कवर किसे लेना चाहिए - Who Should Buy Health Insurance with OPD Coverage in Hindi?

आउट पेशेंट डिपार्टमेंट को शॉर्ट में ओपीडी कहा जाता है। जब कोई मरीज अपनी स्वास्थ्य समस्या के इलाज के लिए हॉस्पिटल या लोकल डॉक्टर के पास जाता है तो ऐसे कंसल्टेशन को ओपीडी कहा जाता है। इन सेवाओं या सुविधाओं के लिए आपको किसी तरह का इन्शुरन्स कवर नहीं मिलता, बल्कि आपको स्वयं इनके लिए खर्च करना पड़ता है। इस तरह के खर्चे आपस में जुड़कर किसी भी व्यक्ति के बजट को बुरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं और आपकी पूरी सेविंग भी खत्म हो सकती है। इसलिए आपको हेल्थ इन्शुरन्स में ओपीडी कवर की आवश्यकता होती है। आमतौर पर हेल्थ इन्शुरन्स में ओपीडी कवर नहीं होता, लेकिन एक राइडर के तौर पर आप इस सुविधा को ले सकते हैं। यदि आपने ओपीडी कवर ले लिया है तो आप अपने ओपीडी बिल को भी इन्शुरन्स कंपनी से रिइम्बर्स करवा सकते हैं। अपनी हेल्थ इन्शुरन्स के साथ ओपीडी कवर लेकर आप ओपीडी के खर्चों के प्रति निश्चिंत रहने के साथ ही अपनी सेविंग्स को भी बचा पाएंगे।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में टीपीए क्या है)

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ओपीडी कवर आपके बजट को छोटी-मोटी बीमारी के समय एक कुशन देता है। इससे पहले कि आप ओपीडी कवर को नकार दें, जान लीजिए इसमें क्या-क्या शामिल होता है - 

  • डायग्नोस्टिक टेस्ट
  • डॉक्टर कंसल्टेशन
  • इनवेस्टिगेटिव टेस्ट
  • फार्मेसी खर्च (दवाओं के बिल)

ओपीडी कवर लेकर आप अपनी सेविंग्स को बचा सकते हैं और भविष्य में आने वाली छोटी-मोटी बीमारियों के प्रति भी निश्चिंत रह सकते हैं।

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किसी भी हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में हर तरह का इलाज कवर नहीं होता। न ही ओपीडी कवर जैसे राइडर की मदद से ऐसा किया जाना संभव है। यहां हम कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें ओपीडी कवर में शामिल नहीं किया जाता  -

  • रिजुवनेशन और आनंद आदि के लिए ली जाने वाली सेवाएं
  • ब्यूटीफिकेशन, प्यूरीफिकेशन, डिटॉक्सिफिकेशन और पंचकर्म जैसे ट्रीटमेंट
  • चश्मे, लेंस, इमप्लांट, हियरिंग एड (सुनने की मशीन), कृत्रिम अंग, ब्रेसेज आदि की लागत
  • देश से बाहर ओपीडी में इलाज
  • नियमित जांच या प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप
  • किसी समस्या के निवारण के लिए टीकाकरण या इम्युनाइजेशन (हालांकि, जानवरों के काटने पर टीकाकरण शामिल होता है)
  • इंवेस्टीगेशनल ट्रीटमेंट या एक्सपेरिमेंट
  • पुरुषों और महिलाओं में प्रजनन क्षमता के कमजोर होने और अन्य संबंधित स्थितियों का इलाज
  • गर्भावस्था या गर्भपात आदि के कारण उत्पन्न होने वाली जटिलताएं
  • डेंचर (नकली दांत), दांतों का इलाज और इसी तरह की अन्य सर्जरी

(और पढ़ें - दांत हिलने के घरेलू उपचार)

हेल्थ इन्शुरन्स के कई फायदों के बारे में तो आप जानते ही हैं। चलिए जानते कि कैसे ओपीडी कवर बीमाधारक के लिए फायदेमंद हो सकता है -

  • जिन लोगों को छोटी-मोटी समस्याओं के कारण अक्सर डॉक्टर के पास जाना पड़ता है, उनके खर्चे इसमें कवर हो जाते हैं।
  • मंहगाई बेतहाशा बढ़ रही है और मेडिकल का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। डॉक्टर की फीस और दवाओं का बिल हजारों में पहुंच जाता है। ऐसे में ओपीडी कवर मोटे फार्मेसी बिल से मुक्ति दिलाता है।
  • ओपीडी कवर में डाइग्नोस्टिक चार्जेस भी शामिल होते हैं। यदि आपके पास ओपीडी कवर है तो आप पैसों की कमी के चलते इन्हें टालेंगे नहीं।
  • प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन की समय सीमा के पहले और बाद में, क्रोनिक डिजीज के मामले में अगर डॉक्टर के पास जाना पड़ता है और दवाओं पर खर्च होता है तो ओपीडी कवर आपको मोटे बिल से राहत दिलाएगा। 
  • यदि आपने ओपीडी कवर लिया है तो पूरे सालभर आप ओपीडी के खर्चों के प्रति चिंतामुक्त रह सकते हैं।
  • यदि आपके पास इंडिविजुअल पॉलिसी है तो आपको और फैमिली फ्लोटर पॉलिसी है तो पूरे परिवार को ओपीडी कवर का लाभ मिलता है।
  • ओपीडी कवर के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर आपको इनकम टैक्स में भी छूट मिलती है।
  • ऑनलाइन के इस दौर में आप बिना किसी पेपरवर्क के ऑनलाइन ही इस राइडर को लेकर चिंतामुक्त हो सकते हैं।

(और पढ़ें - क्रिटिकल इलनेस इंश्योरंस क्यों ज़रूरी है)

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ज्यादा लोगों को कई वर्षों तक ऐसी कोई बीमारी या चोट नहीं लगती, जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़े। लेकिन लगभग सभी लोग साल में एक-दो बार तो किसी न किसी समस्या के इलाज के लिए डॉक्टर से सलाह लेने (ओपीडी में) जाते ही हैं। वैसे भी हम पहले ही बता चुके हैं कि स्वास्थ्य पर होने वाले कुल खर्च का करीब 62 फीसद ओपीडी में ही होता है। इसलिए हेल्थ इन्शुरन्स में ओपीडी कवर जरूरी है। कुछ लोगों के लिए यह बेहद जरूरी है, जैसे -

  • ऐसे लोग जो इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण अक्सर बीमार पड़ जाते हैं, उनके लिए ओपीडी कवर वरदान साबित हो सकता है।
  • अधेड़ उम्र के लोगों को भी ऐसा हेल्थ इन्शुरन्स लेना चाहिए, जिसमें ओपीडी का खर्च, बीमारियों के निदान पर होने वाला खर्च, मेडिकल चेकअप और अन्य छोटी-मोटी सर्जरी भी कवर हों।
  • ऐसे लोग जो डायबिटीज, अस्थमा, आर्थराइटिस जैसी क्रोनिक बीमारियों से ग्रसित हैं। जिन लोगों को अक्सर डॉक्टर के पास कंसल्टेशन या निदान के लिए जाना पड़ता है, उनके लिए ओपीडी कवर बेहद जरूरी है।
  • इसके अलावा यदि आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो आपको अपने फैमिली फ्लोटर हेल्थ इन्शुरन्स के साथ ओपीडी कवर लेना ही चाहिए।

(और पढ़ें - सबसे अच्छा हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है?)

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