ज्यादा ऊंचाई पर पैदा होने वाले बच्चों का आकार जन्म के समय छोटे होने का खतरा रहता है। साथ ही, ऐसे बच्चों का कद भी ज्यादा नहीं बढ़ने की आशंका बनी रहती है। यह कहना है कि इथियोपिया के वैज्ञानिकों का, जिनका इस विषय पर किया गया अध्ययन जानी-मानी मेडिकल पत्रिका जामा पेडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, समुद्र तल से 1,500 मीटर यानी करीब 4,921 फीट से भी ज्यादा ऊंचाई पर पैदा होने वाले बच्चों का आकार जन्म के समय छोटा रह सकता है और आगे चलकर उनकी लंबाई भी धरातल पर रहने वाले बच्चों की अपेक्षा कम बढ़ती है।

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह जानने की कोशिश की क्या ज्यादा ऊंचाई पर पैदा होने से बच्चों की लंबाई की ग्रोथ पर कोई असर पड़ता है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने नौ लाख से ज्यादा बच्चों का अध्ययन किया। इसमें उन्होंने जाना कि जिन बच्चों का जन्म ज्यादा ऊंचाई पर हुआ था, उनके बढ़ने की दर कम ऊंचाई या जमीन पर पैदा होने वाले बच्चों की अपेक्षा कम थी। विश्लेषण करने वाली शोधकर्ता टीम ने बच्चों से जुड़े डेटा को अन्य फैक्टर्स (जैसे आदर्श होम एनवायरनमेंट) के दायरे में भी रखकर देखा, इसके बावजूद उन्होंने पाया कि ज्यादा ऊंचाई में पैदा होने से बच्चों की हाइट ग्रोथ पर असर पड़ता है।

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शोधकर्ताओं की टीम ने शारीरिक विकास के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2006 के मानकों का इस्तेमाल करते हुए ऊंचाई पर पैदा होने से लंबाई कम रह जाने से जुड़ी जटिलताओं का आंकलन किया। उन्होंने जापान और अन्य देशों में इस विषय पर हुए 133 सर्वेक्षणों को शामिल किया, जो विविध प्रकार की जनसंख्या पर किए गए थे। इस तरह लंबाई से जुड़े नौ लाख 64 हजार 299 रिकॉर्ड निकाले। उनका विश्लेषण करते हुए जो परिणाम सामने आए, वे इस प्रकार हैं- 

  • 2010 में दुनिया की 12 फीसदी आबादी यानी करीब 84.2 करोड़ लोग समुद्र तल से 1,500 मीटर की ऊंचाई पर रह रहे थे
  • इनमें एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों में रहने वाले लोगों की संख्या 67 प्रतिशत थी
  • अध्ययन में शामिल पांच साल की उम्र तक के सभी बच्चों में से 11 प्रतिशत 1,500 मीटर या उससे ज्यादा की ऊंचाई पर रहते थे
  • उनकी शारीरिक ग्रोथ रेट कम ऊंचाई या जमीन पर रहने वाले बच्चों की अपेक्षा उल्लेखीयन ढंग से कम थी

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इन परिणामों के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा है कि ज्यादा ऊंचाई पर जन्म और गर्भावस्था के मामलों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों को उचित गाइडेंस देने की आवश्यकता है। अध्ययन से जुड़े एक वैज्ञानिक हीरोवनन ने कहा, 'ऊंचाई पर होने वाली प्रेग्नेंसी के मामलों को क्रॉनिक हाइपोक्सिया के रूप में देखा जाता है। इसका संबंध भ्रूण के विकास में आने वाली रुकावटों से लगातार जुड़ा हुआ है।' हीरोवनन ने कहा कि इसी कारण ऐसे बच्चे जन्म के समय कम ऑक्सीजन की समस्या से पीड़ित होते हैं। उनका मानना था कि इन लोगों के पूर्वज काफी समय से ऊंचाई पर रह रहे थे, इसलिए उनके जीन्स में ऐसे परिवर्तन हो गए होंगे जिससे वे इस तरह के माहौल में एडजस्ट करने के लायक होंगे, लेकिन असल स्थिति इस अनुमान से अलग है।

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