एब्सेंस सीजर होना क्या है?
एब्सेंस सीजर एक प्रकार के दौरे होते हैं, जिसमें व्यक्ति अचानक से जागरूकता या चेतना खो देता है और ये समस्या बच्चों में अधिक देखी जाती है।

एब्सेंस सीजर होने पर ऐसा लगता है कि व्यक्ति कुछ सेकंड के लिए एक ही जगह पर घूर रहा है। इसके बाद व्यक्ति अचानक सामान्य होश में आ जाता है। इस प्रकार के दौरे के कारण ज्यादातर किसी को शारीरिक चोट नहीं पहुंचती है।

एब्सेंस सीजर को दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। ज्यादातर बच्चों की एब्सेंस सीजर की समस्या किशोरावस्था में सही हो जाती है, लेकिन कुछ बच्चों को इसके कारण अन्य दौरे भी पड़ने लगते हैं।

(और पढ़ें - मिर्गी के दौरे क्यों आते हैं)

एब्सेंस सीजर के लक्षण क्या हैं?

एब्सेंस सीजर होने पर व्यक्ति को होश नहीं रहता कि उसके आस-पास क्या हो रहा है और अगर दौरा शुरू होने पर वह व्यक्ति बात कर रहा है, तो वह अचानक बात करना बंद कर देता है। ज्यादातर बच्चों को एब्सेंस सीजर बार-बार होते हैं। रोगी के आस-पास मौजूद व्यक्ति को पता नहीं चलता कि सामने वाले व्यक्ति को दौरा कब पड़ा और कब वह ठीक भी हो गया, उसे ऐसा लग सकता है कि रोगी किसी उलझन में है।

(और पढ़ें - मिर्गी का उपचार)

एब्सेंस सीजर क्यों होते है?

सामान्य तौर पर दिमाग में मौजूद नर्व कोशिकाओं में कुछ असामान्य गतिविधि के कारण दौरे पड़ने लगते हैं। एब्सेंस सीजर होने पर ये गतिविधियां 3-3 सेकंड के अंतराल में बार-बार होने लगती हैं। एब्सेंस सीजर से ग्रस्त ज्यादातर बच्चों में इसका कारण अनुवांशिक होता है और इसमें दिमाग के सामान्य कार्यों में बदलाव आते हैं।

(और पढ़ें - दिमाग तेज करने के घरेलू उपाय)

एब्सेंस सीजर का इलाज कैसे होता है?

एब्सेंस सीजर में दौरों को नियंत्रित करने के लिए ज्यादातर डॉक्टर एंटी-सीजर दवाएं देते हैं और कम खुराक से शुरू करके आपकी जरूरत के अनुसार इसकी खुराक बढ़ाते जाते हैं। दौरे पड़ना बंद होने के 2 साल बाद डॉक्टर की सलाह के अनुसार इन दवाओं को धीरे-धीरे बंद कर दिया जाता है।

इसके अलावा एब्सेंस सीजर में उपचार के लिए दी जाने वाली कुछ दवाएं ऐसी भी होती हैं, जो गर्भवती महिलाओं को लेने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि इनसे बच्चे को जन्मजात समस्याएं हो सकती हैं।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याएं)

और पढ़ें...
ऐप पर पढ़ें