मिर्गी - Epilepsy in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

June 28, 2017

April 17, 2023

मिर्गी
मिर्गी

मिर्गी क्या है?

मिर्गी एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है। इसमें मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका (Nerve Cell) गतिविधि बाधित हो जाती है, जिसके कारण दौरे या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार, उत्तेजना और कभी-कभी बेहोशी हो जाती है।

मिर्गी संक्रामक नहीं है और मानसिक बीमारी या मानसिक कमज़ोरी के कारण नहीं होती है। कभी-कभी गंभीर दौरे के कारण मस्तिष्क को क्षति हो सकती है, लेकिन अधिकांश दौरे मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव नहीं डालते हैं। बीमारी से होने वाली मस्तिष्क क्षति से लेकर असामान्य मस्तिष्क विकास तक मिर्गी के कई संभव कारण हैं। इसमें जेनेटिक्स भी एक भूमिका निभा सकता है।

मिर्गी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन यह छोटे बच्चों और अधेड़ व्यक्तियों में अधिक आम है।

मिर्गी का इलाज करने के कई अलग-अलग तरीके हैं, जिनमें मेडिटेशन, मिर्गी का इलाज करने के लिए सर्जरी या मिर्गी की अंतर्निहित स्थितियों का उपचार, प्रत्यारोपित उपकरण और आहार शामिल है।

मिर्गी से पीड़ित ज्यादातर लोग पूरी तरह से सक्रिय जीवन जीते हैं। लेकिन उनके जीवन को खतरे में डालने वाली दो स्थितियों का उन्हें जोखिम हो सकता है – स्टेटस एपिलेप्टिकस (जब एक व्यक्ति को असामान्य रूप से लंबे समय तक दौरा पड़ता है या दौरों के बीच पूरी तरह से चेतना नहीं रहती है) और अचानक होने वाली अस्पष्टीकृत मृत्यु।

मिर्गी का प्रसार

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि रोग के वैश्विक बोझ का 0.5% या 7 मिलियन के लिए मिर्गी जिम्मेदार है। सिर की चोट दुनिया भर में मिर्गी का एक सामान्य कारण है। भारत में प्रति हजार आबादी में लगभग 14 लोगों के मिर्गी से पीड़ित होने की संभावना है, जिसका बच्चों व युवा-वयस्कों और ग्रामीण क्षेत्रों में होने का उच्च अनुमान है।

क्या मिर्गी से IQ बिगड़ता है? - Does epilepsy worsen IQ in Hindi?

एक अध्ययन के अनुसार ज्यादातर लोगों के लिए खास तौर से जिन्हें बहुत ज्यादा दौरे नहीं पड़ते मिर्गी की बीमारी उनकी सोचने की सक्षमता के साथ कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं करती है. अगर आपको ज्यादातर प्राइमरी नॉर्मलाइज दौरे पड़ते हैं (जैसे अनुपस्थिति, मायोक्लोनिक या टॉनिक-क्लोनिक दौरे) तो समझ लें कि आंशिक शुरुआत वाले दौरे (दिमाग के एक क्षेत्र में शुरू होने वाले दौरे) की तुलना में आपकी सोच में समस्या होने की संभावना बहुत कम होती है. इस तरह के मिर्गी से पीड़ित कुछ लोगों को उनकी याददाश्त, भाषा या कई तरह सोच की समस्या होती है.

क्या मिर्गी उम्र के साथ बिगड़ती है? - Does epilepsy worsen with age in Hindi?

मिर्गी एक ब्रेन डिसऑर्डर है जो बार-बार दौरे का कारण बनता है. बूढ़ों और युवाओं में मिर्गी विकसित होने की ज्यादा संभावना होती है क्योंकि मिर्गी के कुछ जोखिम कारक बूढ़ों और युवाओं में ज्यादा आम होते हैं जैसे-

  • स्ट्रोक
  • गिरने से सिर में चोट लगना
  • दिमाग के काम को प्रभावित करने वाले रोग (जैसे अल्जाइमर की बीमारी)
  • ब्रेन ट्यूमर

मिर्गी के प्रकार - Types of Epilepsy in Hindi

दौरों के आधार पर मिर्गी के तीन प्रकार हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क के किस हिस्से पर मिर्गी की गतिविधि शुरू हुई –

  1. आंशिक दौरा (Partial Seizure) एक आंशिक दौरे का अर्थ है कि रोगी के मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में मिर्गी की गतिविधि हुई थी। आंशिक दौरे के दो प्रकार होते हैं –
    • सरल आंशिक दौरा इस दौरे की अवधि में रोगी जागरूक रहते हैं। ज्यादातर मामलों में रोगी अपने परिवेश से भी अवगत रहते हैं, भले ही दौरा बढ़ रहा हो। 
    • जटिल आंशिक दौरा –  इसमें रोगी की चेतना ख़त्म हो जाती है। मरीज को आमतौर पर दौरे के बारे में याद नहीं रहता।
       
  2. सामान्यीकृत दौरा (Generalised Seizure) –  एक सामान्यीकृत दौरा तब आता है, जब मस्तिष्क के दोनों हिस्सों में मिर्गी संबंधी गतिविधि होती है। जब दौरा बढ़ जाता है, तो मरीज की चेतना ख़त्म हो जाती है।
    • टॉनिक-क्लोनिक दौरे –  ये सामान्यीकृत दौरे के शायद सबसे प्रसिद्ध प्रकार हैं। ये चेतना के लुप्त होने, शरीर के अकड़ने और कांपने का कारण बनते हैं।
    • एब्सेंस दौरे   इसमें चेतना थोड़े समय के लिए लुप्त हो जाती है और ऐसा लगता है, जैसे व्यक्ति अंतरिक्ष को घूर रहा हो।
    • टॉनिक दौरे  मांसपेशियाँ कठोर हो जाती हैं। इस दौरे में व्यक्ति नीचे गिर सकता है। 
    • एटोनिक दौरे  मांसपेशियों पर नियंत्रण में कमी, जिसके कारण व्यक्ति अचानक गिर सकता है।
    • क्लोनिक दौरे – ये दौरे नियत अंतराल के बाद लगने वाले झटकों के साथ संबद्ध हैं।
       
  3. माध्यमिक सामान्यीकृत दौरे (Secondary generalised seizure) – एक माध्यमिक सामान्यीकृत दौरा तब पड़ता है, जब मिर्गी संबंधी गतिविधि आंशिक दौरे के रूप में शुरू होती है, लेकिन फिर मस्तिष्क के दोनों हिस्सों में फैल जाती है। जब दौरा बढ़ जाता है, तो मरीज अपनी चेतना खो देता है।

(और पढ़ें - मस्तिष्क संक्रमण के इलाज)

मिर्गी के लक्षण - Epilepsy Symptoms in Hindi

मिर्गी के मुख्य लक्षण दौरे पड़ना है। अलग-अलग व्यक्तियों में इसके लक्षण दौरों के प्रकार के अनुसार भिन्न होते हैं -

  1. फोकल (आंशिक) दौरे – एक साधारण आंशिक दौरे में चेतना को कोई खास नुकसान नहीं होता। इसके लक्षणों में निम्न शामिल है –
    • स्वाद, गंध, दृष्टि, श्रवण या स्पर्श इन्द्रियों में बदलाव, 
    • चक्कर आना, (और पढ़ें - चक्कर के घरेलू उपाय)
    • अंगों में झनझनाहट महसूस होना इत्यादि।
  2. जटिल आंशिक दौरे   इसमें जागरूकता या चेतना की क्षति शामिल है। अन्य लक्षणों में निम्न शामिल है –
    • एकतरफ नज़र टिकाये रखना, 
    • कोई प्रतिक्रिया न करना, 
    • एक ही गतिविधि को बार-बार दोहराना इत्यादि।
  3. सामान्यीकृत दौरे – सामान्यीकृत दौरे में संपूर्ण मस्तिष्क शामिल होता है। इसके छह प्रकार हैं –
    • एब्सेंस दौरे (जिन्हें 'पेटीट मल दौरे' भी कहा जाता है) एकटक घूरते रहने का कारण बनते हैं। इस प्रकार के दौरे चटकारे लेना और आँखें झपकाने जैसी गतिविधियों को बार-बार दोहराने का कारण बन सकते हैं। आमतौर पर चेतना थोड़े समय के लिए लुप्त भी हो जाती है।  
    • टोनिक दौरे मांसपेशियों में अकड़न पैदा करते हैं। 
    • एटोनिक दौरे में मांसपेशियों पर नियंत्रण कम होता जाता है और व्यक्ति अचानक गिर सकता है।
    • क्लोनिक दौरों की पहचान चेहरे, गर्दन और बांह की मांसपेशियों में लगने वाले पुनरावृत्त झटकों से होती है।
    • मायोक्लोनिक दौरे के कारण हाथों और पैरों में स्वाभाविक रूप से तेज़ झनझनाहट होती है।
    • टॉनिक-क्लोनिक दौरों को 'ग्रैंड मल दौरे' कहा जाता था। इसके लक्षणों में शरीर में अकड़न, कम्पन या मल आने पर नियंत्रण कम होना, जीभ को काटना, चेतना का लोप होना शामिल हैं।

दौरे के बाद आपको उसके बारे में याद नहीं रहता है या आप कुछ घंटों के लिए थोड़ा बीमार महसूस कर सकते हैं।

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मिर्गी होने के क्या कारण है? - Epilepsy Causes in Hindi

मिर्गी क्यों होती है?

मिर्गी से पीड़ित लोगों में से लगभग आधे मरीज़ों में किसी विशेष कारण की पहचान नहीं होती है। अन्य व्यक्तियों में विभिन्न कारकों के द्वारा हालात का पता लगाया जा सकता  है –

  • जेनेटिक  प्रभाव – पीढ़ियों से चलते आ रहे मिर्गी के कुछ प्रकार, महसूस किये गए दौरों या मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से द्वारा वर्गीकृत होते हैं। इन मामलों में संभावना है कि यह एक जेनेटिक प्रभाव होता है।
  • सिर में चोट – एक कार दुर्घटना में या किसी अन्य घटना के कारण सिर में लगी चोट मिर्गी का कारण बन सकती है।
  • मस्तिष्क की स्थिति – मस्तिष्क की स्थिति, जो उसे ब्रेन ट्यूमर या स्ट्रोक के रूप में क्षति पहुंचाती है, मिर्गी का कारण बन सकती है। 35 वर्ष से अधिक आयु वाले वयस्कों में स्ट्रोक मिर्गी का एक प्रमुख कारण है। (और पढ़ें - ब्रेन ट्यूमर कैसे होता है)
  • संक्रामक रोग   संक्रामक रोग, जैसे मेनिन्जाइटिस, एड्स और वायरल इन्सेफेलाइटिस, मिर्गी का कारण बन सकते हैं।
  • जन्म के पूर्व की चोट जन्म से पहले बच्चे मस्तिष्क की चोट के प्रति संवेदनशील होते हैं, जो कई कारणों से हो सकती है, जैसे – माँ को होने वाला संक्रमण, अल्प पोषण या ऑक्सीजन की कमी। इस मस्तिष्क की क्षति के कारण मिर्गी या मस्तिष्क पक्षाघात हो सकता है।
  • विकास संबंधी विकार – मिर्गी कभी-कभी विकास संबंधी विकारों से जुड़ी हो सकती हैं, जैसे कि स्वलीनता और न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस।

मिर्गी के बचाव के उपाय - Prevention of Epilepsy in Hindi

मिर्गी होने से कैसे रोक सकते हैं?

सीट बेल्ट्स बांधना और साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनना, बच्चों को कार की सीट पर अच्छे से बैठाना और सिर में चोट व अन्य आघातों से बचाव करने वाले उपायों को अपनाकर मिर्गी के कई मामलों में नुकसान को रोका जा सकता है।

पहले या दूसरे दौरे या ज्वर दौरों (Febrile Seizures) के बाद सुझावित दवाएं लेने से कुछ मामलों में मिर्गी को रोकने में मदद मिल सकती है।

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप और संक्रमण के उपचार सहित जन्म से पूर्व की जाने वाली देखभाल द्वारा विकसित हो रहे बच्चे में मस्तिष्क क्षति को रोका जा सकता है, जो बाद में मिर्गी और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण बन सकता है।

हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, संक्रमण और अन्य विकार जो कि प्रौढ़ता और बुढ़ापे में मस्तिष्क को प्रभावित कर सकते हैं, इनका उपचार करके मिर्गी के कई मामलों को रोका जा सकता है। अंत में कई न्यूरोलॉजिकल विकारों के जीन की पहचान करने से जेनेटिक स्क्रीनिंग और जन्म के पूर्व निदान के अवसर मिल सकते हैं, जो अंततः मिर्गी के कई मामलों को रोक सकते हैं।

जीवन शैली में बदलाव करके, जैसे – 

  1. अपने तनाव, चिंता या अन्य भावनात्मक मुद्दों के साथ निपटना। (और पढ़ें - तनाव दूर करने के लिए योग)
  2. अल्कोहल या नशीली दवाओं का अत्यधिक सेवन या शराब व नशीली दवाओं को छोड़ने की प्रक्रिया। (और पढ़ें - शराब छुड़ाने के घरेलू नुस्खे)
  3. सोने-जागने के समय में परिवर्तन या पर्याप्त एवं अच्छी नींद लेना।

मिर्गी का परीक्षण - Diagnosis of Epilepsy in Hindi

मिर्गी की जांच कैसे की जाती है?

अगर आपको संदेह है कि आपको मिर्गी का दौरा पड़ा है, तो अपने चिकित्सक को जल्द से जल्द दिखाएं। दौरा एक गंभीर चिकित्सा समस्या का लक्षण हो सकता है।

आपके मेडिकल इतिहास और लक्षण आपके डॉक्टर को यह तय करने में मदद करेंगे कि कौन से परीक्षण उपयोगी होंगे। आपकी शारीरिक क्षमताओं और मानसिक कार्यप्रणाली का परीक्षण करने के लिए संभव रूप से आपकी न्यूरोलॉजिकल जाँच की जाएगी।

आपके डॉक्टर संभवतः आपकी लाल और सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की गणना करने के लिए रक्त परीक्षण का आदेश देंगे।

  1. रक्त परीक्षण द्वारा निम्न बातों का पता लगाया जा सकता है –
    • संक्रामक रोगों के कोई संकेत
    • लिवर और गुर्दे ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं 
    • ब्लड शुगर का लेवल
       
  2. इलेक्ट्रोइन्सेफलोग्राम (ईईजी), मिर्गी का सबसे आम परीक्षण है। इसके तहत सबसे पहले, इलेक्ट्रोड एक पेस्ट के साथ आपकी खोपड़ी से जोड़े जाते हैं। यह एक गैर-आक्रामक, दर्दरहित परीक्षण है। आपको एक विशिष्ट कार्य करने के लिए कहा जा सकता है। कुछ मामलों में यह परीक्षण नींद के दौरान किया जाता है। इलेक्ट्रोड आपके दिमाग की विद्युतीय गतिविधि रिकॉर्ड करेगा। चाहे आपको दौरा आये या न आये, सामान्य मस्तिष्क तरंगों के पैटर्न में होने वाले परिवर्तन मिर्गी में आम हैं। (और पढ़ें - अनिद्रा के लक्षण)
     
  3. इमेजिंग टेस्ट ट्यूमर और अन्य असामान्यताओं का पता लगा सकते हैं, जिनके कारण दौरे आ सकते हैं। इन परीक्षणों में शामिल हो सकते हैं –
    • सीटी स्कैन – ये छवियां (Images) सामान्य एक्स-रे छवियों की तुलना में अधिक विस्तृत जानकारी प्रदान करती हैं। सीटी स्कैन के द्वारा शरीर के विभिन्न भागों के नरम ऊतकों, रक्त वाहिकाओं और हड्डियों को देखा जा सकता है। (और पढ़ें - सीटी स्कैन क्या है)
    • एमआरआई  सिर का किया जाने वाला मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) एक पीड़ा रहित, गैर-आक्रामक परीक्षण है, जो आपके मस्तिष्क और मस्तिष्क स्टेम की विस्तृत इमेज दिखाता है। (और पढ़ें - एमआरआई स्कैन क्या है)
    • पॉसिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) – यह एक इमेजिंग टेस्ट है, जिसके द्वारा डॉक्टर आपके शरीर में बीमारियों की जाँच करते हैं।

मिर्गी का इलाज - Epilepsy Treatment in Hindi

मिर्गी का उपचार

अधिकांश लोग मिर्गी का प्रबंधन कर सकते हैं। आपकी उपचार योजना लक्षणों की गंभीरता, आपके स्वास्थ्य और चिकित्सा के प्रति आपकी प्रतिक्रिया पर आधारित होगी।

 उपचार के कुछ विकल्पों में शामिल हैं –

  1. एंटी-एपिलेप्टिक (एंटीकंवलसेन्ट) दवाएं ये दवाएं आपको पड़ने वाले दौरों की संख्या को कम कर सकती हैं। कुछ लोगों में ये दौरों को खत्म कर देती हैं। डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार दवाएं लेने से ये शीघ्र असर करती हैं।
  2. वेगस तंत्रिका उत्तेजक – यह उपकरण शल्यचिकित्सा द्वारा छाती पर त्वचा के नीचे लगाया जाता है और बिजली द्वारा गर्दन से होते हुए तंत्रिका को उत्तेजित करता है। इससे दौरों को रोकने में मदद मिल सकती है।
  3. केटोजेनिक आहार –  आधे से ज्यादा लोग जिनपर दवाओं का भी असर नहीं होता, उन्हें उच्च वसा और कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेना चाहिए।
  4. मस्तिष्क की सर्जरी – मस्तिष्क का वह हिस्सा जो दौरों का कारण बनता है, उसे हटाया या बदला जा सकता है।

नए उपचारों हेतू अनुसंधान चल रहा है। एक ऐसा इलाज जो भविष्य में उपलब्ध हो सकता है, वो है –गहरी मस्तिष्क उत्तेजना (Deep Brain Stimulation)। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें इलेक्ट्रोड आपके मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किये जाते हैं। फिर एक जनरेटर को आपकी छाती में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह जनरेटर विद्युत संवेगों (Electrical Impulses) को मस्तिष्क में भेजता है, जिससे दौरों को कम करने में मदद मिलती है। 

मिर्गी की दवाएं  

मिर्गी का सबसे प्रारंभिक उपचार एंटी-सीज़्यूर दवाएं है। ये दवाएं दौरों की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने में मदद करती हैं। इन दवाओं से गंभीर रूप से बढ़ चुके दौरों को नहीं रोका जा सकता और न ही मिर्गी का पूर्ण इलाज किया जा सकता है।

दवा पेट द्वारा अवशोषित कर ली जाती है, फिर यह रक्तप्रवाह के साथ मस्तिष्क तक पहुँच जाती है। यह दवा न्यूरोट्रांसमीटर को इस प्रकार प्रभावित करती है, जिससे दौरों को बढ़ाने वाली विद्युत गतिविधि कम हो जाती है। एंटी-सीज़्यूर दवाएं पाचन तंत्र से गुजरती हैं और मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाती हैं।

बाजार में कई एंटी-सीज़्यूर दवाएं उपलब्ध हैं। आपको पड़ने वाले दौरे के प्रकार के आधार पर आपके डॉक्टर एक तरह की दवा या मिलाकर एक साथ लेने वाली अलग-अलग दवाएं लिख सकते हैं।

 मिर्गी की साधारण दवाओं में शामिल हैं –

  1. फीनोबार्बिटल यह दवा पहली और सबसे पुरानी एंटी-सीज़्यूर दवाओं में से एक है। यह अभी भी मिर्गी का इलाज करने के लिए प्रयोग की जाती है। यह सामान्यीकृत और आंशिक दौरे का इलाज कर सकती है। फीनोबार्बिटल आक्षेपरोधी कार्य (Anticonvulsant action) के साथ लंबे समय तक दर्द से राहत देने वाली दवा भी है। 
  2. डायजेपाम  – इसका उपयोग क्लस्टर और लंबे समय से पड़ने वाले दौरों का इलाज करने के लिए किया जाता है। 
  3. गाबापेंटिनयह दवा भी आंशिक दौरे का इलाज करने के लिए प्रयोग की जाती है।
  4. डिवाप्रोएक्स (डेपाकोट) – यह दवा एब्सेंस, आंशिक, जटिल आंशिक और कई प्रकार के दौरे का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती है।
  5. लेवेतिराकेटम – यह सामान्यीकृत, आंशिक, असामान्य, एब्सेंस और अन्य प्रकार के दौरों के लिए पहला उपचार है।
  6. अथॉक्सीमाईड –  इसका उपयोग एब्सेंस दौरे के सभी प्रकारों का इलाज करने के लिए किया जाता है। इसमें असामान्य, बाल्यावस्था और किशोरावस्था के एब्सेंस दौरे शामिल हैं।

उपरोक्त दवाएं आमतौर पर गोली, तरल या इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध हैं और दिन में एक या दो बार ली जाती हैं। आप सबसे कम खुराक के साथ शुरू कर सकते हैं, जिन्हें तब तक समायोजित किया जा सकता है, जब तक कि ये काम करना शुरू न कर दें। इन दवाओं को निर्धारित रूप से लगातार लिया जाना चाहिए।

मिर्गी हर व्यक्ति में अलग होती है, लेकिन ज्यादातर लोगों में एंटी-सीज़्यूर दवाओं के कारण सुधार आ जाता है। मिर्गी से पीड़ित कुछ बच्चों को दौरे पड़ना समाप्त हो जाते हैं और तब वे दवा लेना बंद कर सकते हैं।

मिर्गी के नुकसान - Epilepsy Complications in Hindi

मिर्गी की जटिलताएं

कभी-कभी दौरों से ऐसी परिस्थितियों पैदा हो सकती हैं, जो आपके लिए या दूसरों के लिए खतरनाक हो सकती हैं।

  1. गिरना – यदि आप दौरे के दौरान गिर जाते हैं, तो आपके सिर में चोट लग सकती है या हड्डी टूट सकती है। (और पढ़ें - हड्डी टूटने का इलाज)
  2. डूबना – यदि आपको मिर्गी है, तो पानी में दौरा पड़ने के कारण बाकी जनसंख्या की तुलना में आपके तैराकी या स्नान के दौरान 15 से 19 गुना ज्यादा डूबने की संभावना है। (और पढ़ें - तैराकी के फायदे)
  3. कार दुर्घटनाएं – गाड़ी चलाते समय या अन्य उपकरण संचालित करने के दौरान दौरे के कारण चेतना या नियंत्रण की हानि खतरनाक हो सकती है।                         
  4. गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं – गर्भावस्था के दौरान पड़ने वाले दौरे माता और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकते हैं और कुछ एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं जन्म दोष के जोखिम को बढ़ाती हैं। यदि आपको मिर्गी है और आप माँ बनने के बारे में सोच रही हैं, तो आप अपनी गर्भावस्था की योजना के अनुसार अपने डॉक्टर से बात करें। मिर्गी से पीड़ित ज्यादातर महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। आपको गर्भावस्था के दौरान सावधानीपूर्वक जाँच और दवाओं को समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने गर्भधारण से सम्बन्धित योजना के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। (और पढ़ें - गर्भावस्था के लक्षण)
  5. भावनात्मक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं मिर्गी से ग्रसित लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्याओं, विशेष रूप से अवसाद, चिंता और चरम मामलों में आत्महत्या की अधिक संभावना होती है। ये समस्याएं हालत से निपटने के दौरान उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों के साथ-साथ दवाओं के साइड इफेक्ट का परिणाम हो सकती हैं।

ज़िन्दगी के लिए खतरा पैदा करने वाली मिर्गी की कई जटिलताएं असामान्य हो सकती हैं, जैसे –

  1. स्टेटस एपिलेप्टिकस यह स्थिति तब होती है, जब आपको पांच मिनट से अधिक समय तक निरंतर दौरा पड़ता है या आपको लगातार आवर्ती दौरे (Frequent Recurrent Seizures) पड़ते हैं, जिनके बीच में आपको पूरी तरह से होश नहीं रह पाता है। स्टेटस एपिलेप्टिकस वाले मरीजों में स्थायी मस्तिष्क क्षति और मौत का खतरा बढ़ जाता है।
  2. मिर्गी में होने वाली अचानक अस्पष्टीकृत मृत्यु (एसयूडीईपी) मिर्गी से ग्रसित लोगों में अचानक होने वाली अस्पष्टीकृत मौत का भी थोड़ा जोखिम रहता है। इसका कारण अज्ञात है, लेकिन कुछ शोधों से पता चलता है कि ऐसा हृदय या श्वसन की स्थिति के कारण हो सकता है।

मिर्गी की बीमारी कैसे ठीक होती है? - How is epilepsy cured in Hindi?

मिर्गी के लिए ये कुछ इलाज बताए गए हैं, जैसे कि,

  • एंटी-एपिलेप्टिक (एंटीकॉन्वेलसेंट, ऐंटी-सीजर) दवाएं
  • वेगस नर्वस स्टूमिलेटर
  • कीटोजेनिक डाइट 
  • ब्रेन सर्जरी

मिर्गी की बीमारी के लिए सबसे पहले ऐंटी-सीजर दवाओं का उपयोग किया जाता है. इससे दौरा पड़ने की गति कम होती है. 

ध्यान रहे कि इस से पहले से चल रहे दौरे को रोका नहीं जा सकता है और न ही यह मिर्गी का इलाज है. इसके अलावा ये दवाएँ भी दी जाती हैं - 

  • लेवेतिरसेटम
  • लैमोट्रीजीन
  • टोपिरामेट
  • वैल्प्रोइक एसिड
  • कार्बामाज़ेपिन
  • एथोसक्सिमाइड

ये दवाएं आमतौर पर टैबलेट, लिक्विड या इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होती हैं और दिन में एक या दो बार ली जाती हैं. सबसे कम डोज से शुरू करें और आवश्यकता अनुसार डोज में बदलाव ला सकते हैं. मिर्गी की दवाई जैसा डॉक्टर ने बताया है उसी प्रकार और उसी मात्रा में ली जानी चाहिए.

क्या तनाव मिर्गी का कारण हो सकता है? - Can Epilepsy be caused by stress in Hindi?

मिर्गी का दौरा दिमाग में होने अनियंत्रित विद्युतीय गतिविधि है जिससे शरीर में कई तरह के परिवर्तन हो सकते हैं. मिर्गी एक पुरानी समस्या हो सकती है जो अचानक उठने आने वाले दौरे का कारण बनती है. तनाव और चिंता में वृद्धि के अलावा कई और कारण हैं जिससे दौरे पड़ सकते हैं. ब्रिटिश एपिलेप्सी एसोसिएशन के अनुसार, मिर्गी वाले लोगों में तनाव सबसे अधिक दौरे का कारण रहा है. रिसर्च से यह भी पता चला है कि मिर्गी, तनाव और चिंता के बिना लोगों में भी साइकोजेनिक नोपिलेप्टिक दौरे (पीएनईएस) हो सकते हैं. पीएनईएस मिर्गी में पाए जाने वाले न्यूरोलॉजिकल दौरे से शारीरिक रूप से अलग हैं.



संदर्भ

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मिर्गी की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Epilepsy in Hindi

मिर्गी के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

मिर्गी पर आम सवालों के जवाब

सवाल लगभग 4 साल पहले

क्या मिर्गी की वजह से कोई व्यक्ति मर सकता है?

Dr. Chirag Bhingradiya MBBS , पीडियाट्रिक

मिर्गी एक सामान्य न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (मस्तिष्क संबंधी विकार) है, जिसमें दौरे पड़ते हैं। मिर्गी के कारण किसी की मौत होना एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। मिर्गी से ग्रस्त लगभग 1000 लोगों में से 1 व्यक्ति अनियंत्रित मिर्गी के दौरे के कारण मर सकता है। दौरे की वजह से हृदय की गति (लय) गंभीर हो सकती है या रुक भी सकती है, लेकिन ऐसा होना बहुत ही दुर्लभ है।  

सवाल लगभग 4 साल पहले

क्या मिर्गी के दौरे की वजह से मस्तिष्क की कोशिकाएं मर सकती हैं?

Dr. Ram Saini MD, MBBS , General Physician

एक दौरे की वजह से शायद न्यूरॉन्स (मस्तिष्क में मौजूद एक नस की कोशिका) नहीं मरती है। हालांकि, एक गंभीर या बार-बार दौरे (मिर्गी) आने से न्यूरॉन्स मर सकते हैं। क्योंकि एपिलेप्टिकस (लंबे समय तक दौरा पड़ना) न्यूरॉन्स को मार सकती है और गंभीर मिर्गी भी हो सकती है। एपिलेप्टोजेनेसिस स्थिति में न्यूरॉन्स की मृत्यु होती है, जो कि इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।

सवाल लगभग 4 साल पहले

क्या कोई व्यक्ति दौरे की वजह से नींद में मर सकता है?

Dr. , General Physician

जी हां, मिर्गी की वजह से इससे ग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है, लेकिन ऐसा होना बहुत ही दुर्लभ है। जब आप सुनते हैं कि कहीं किसी व्यक्ति की रात को दौरे पड़ने से मौत हो गई है, तो आप अनुमान लगाने लगते हैं कि वह रात को गिर गया होगा और उसके सिर पर चोट लगने से उसकी मृत्यु हो गई होगी, लेकिन इन मौतों के उचित कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस विषय पर रिसर्च कर रहे शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी मृत्यु दौरे के दौरान दम घुटने या दिल की धड़कन में कमी या गति रुकने की वजह से हो सकती है।

सवाल लगभग 4 साल पहले

मिर्गी का दौरा आने के बाद शरीर में किस तरह के बदलाव आ जाते हैं?

Dr Anjum Mujawar MBBS, MBBS , आकस्मिक चिकित्सा

यह बीमारी मस्तिष्क कोशिकाओं की गतिविधि जिसे न्यूरॉन्स कहते हैं, उसे बिगाड़ देती है, जो सामान्य रूप से इलेक्ट्रिकल इम्पल्स के संकेतों को प्रसारित करता है। जब इन इम्पल्स में रुकावट आती है, तो दौरे पड़ने लगते हैं। मिर्गी की वजह से मस्तिष्क की गतिविधियों में रुकावट होती है, जो शरीर के हर हिस्से पर अपना असर दिखाती है।