ब्लेडर इरीगेशन क्या होता है?

ब्लेडर इरीगेशन एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें द्रव को जीवाणुरहित किया जाता है। क्लोट (थक्का) जमा होने से रोकने के लिए इस प्रक्रिया को किया जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा ब्लेडर को अंदर से लगातार गीला रखा जाता है। 

मूत्राशय संबंधी सर्जरी जैसे प्रोस्टेट ग्रंथि की ऑपरेशन आदि के बाद संभावित रूप से थक्के जमा होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मूत्राशय या प्रोस्टेट ग्रंथि में किसी प्रकार के कैंसर के कारण या कुछ प्रकार के कीमोथेरेपी एजेंट्स के कारण भी ये समस्याएं हो सकती हैं। ब्लेडर इरीगेशन के द्वारा इन समस्याओं की रोकथाम या सुधार किया जाता है और जब जरूरत पड़ती है, ब्लेडर को अंदर से धो दिया जाता है। 

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ब्लेडर इरिगेशन का उपयोग क्यों किया जाता है?

ब्लेडर इरिगेशन प्रक्रिया का उपयोग मुख्य रूप से ब्लेडर में क्लोट जमने से रोकने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया लगातार ब्लेडर में इरिगेशन (सिंचाई) करती रहती है, जिससे उसमें थक्के जमने से बचाव हो जाता है।

ब्लेडर इरीगेशन कैसे किया किया जाता है?

इस प्रक्रिया में सबसे पहले साफ कैथेटर को मूत्राशय में लगा दिया जाता है, जिससे सारा पेशाब उस कैथेटर में जमा होने लग जाता है। कई बार कैथेटर में एक खाली सीरींज लगाया जाता है, जिसकी मदद से मूत्राशय से सारा पेशाब निकाल दिया जाता है। 

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जब मूत्राशय से सारा पेशाब निकल जाए, तो सीरींज में थोड़ा पानी खींचे और उसको कैथेटर के ऊपरी हिस्से में छोड़ दें। उस पानी को कैथेटर से मूत्राशय में डाल दें। सीरींज में कितना पानी लेना है, यह हमेशा डॉक्टर से ही पूछें। आमतौर पर इसमें 300 मिलीलीटर पानी का इस्तेमाल किया जाता है। 

जब सारा पानी मूत्राशय के अंदर चला जाए, तो सीरींज को हटा लें और उस पानी को किसी कंटेनर या डायपर में निकाल दें। यदि मूत्राशय से पेशाब या पानी नहीं आ रहा है, तो सीरींज को कैथेटर में लगाएं और सीरींज को खींचें और दबाएं और फिर सीरींज को निकाल दें। जब तक सारा द्रव मूत्राशय से बाहर नहीं आ जाता इस प्रक्रिया को दौहराते रहें। 

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