ब्रुगाडा सिंड्रोम - Brugada Syndrome in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

October 27, 2020

November 04, 2020

ब्रुगाडा सिंड्रोम
ब्रुगाडा सिंड्रोम

ब्रुगाडा सिंड्रोम, हृदय की विद्युत प्रणाली को प्रभावित करने वाला एक गंभीर विकार है। विशेषज्ञ इसे दुर्लभ और गंभीर जानलेवा स्थिति के रूप में वर्णित करते हैं। ब्रुगाडा सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में हृदय के निचले कक्षों (वेंट्रिकल्स) में अनियमित गति का खतरा बढ़ जाता है। हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि ब्रुगाडा सिंड्रोम, हृदय रोगियों में अचानक मृत्यु के 20 फीसदी तक मामलों के लिए जिम्मेदार हो सकता है। यह एक आनुवंशिक विकार है और आंकड़ों की मानें तो प्रत्येक 10 हजार में से पांच लोगों को यह समस्या हो सकती है।

हृदय में सामान्य रूप से चार कक्ष होते हैं। ऊपरी दो कक्षों को आर्टियां जबकि दो निचले कक्षों को वेंट्रिकल्स के नाम से जाना जाता है। विद्युत आवेगों के कारण दिल धड़कता है। ब्रुगाडा सिंड्रोम वाले लोगों में, वेंट्रिकल्स के बीच विद्युतीय आवेग अनियंत्रित हो जाता है, जिसके कारण रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इस स्थिति को 'वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन' के नाम से जाना जाता है। मस्तिष्क और हृदय में रक्त का प्रवाह कम होने से बेहोशी या अचानक मृत्यु हो सकती है।

ब्रुगडा सिंड्रोम का मुख्य कारण जीन में उत्परिवर्तन होता है। इस स्थिति में रोगी को शीघ्र चिकित्सा उपलब्ध कराने की जरूरत होती है। इलाज के दौरान आवश्यकतानुसार डॉक्टर इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डिफिब्रिलेटर (आईसीडी) नामक चिकित्सा उपकरण को शामिल कर सकते हैं।

इस लेख में हम ब्रुगाडा सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

ब्रुगाडा सिंड्रोम के लक्षण - Brugada syndrome symptoms in Hindi

ब्रुगाडा सिंड्रोम के शिकार ज्यादातर लोगों को इस ​स्थिति के बारे में पता ही नहीं होता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस बीमारी में अक्सर कोई भी ऐसे लक्षण दिखाई ही नहीं देते हैं, जिससे इनकी पहचान की जा सके। अनियमित हृदय गति को इसका प्रमुख लक्षण जरूर माना जाता है। हृदय गति में अनियमितता के कारण सांस लेने में कठिनाई, चेतना की हानि या बेहोशी और गंभीर मामलों में अचानक मृत्यु हो सकती है। इसके अलावा ब्रुगाडा सिंड्रोम के दौरान निम्नलिखित नजर आ सकते हैं।

  • सिर चकराना
  • बेहोशी
  • हांफना, सांस लेने में कठिनाई विशेषरूप से रात में
  • दिल की धड़कन का अनियमित होना
  • कुछ लोगों में दिल की धड़कन बहुत तेज हो सकती है
  • दौरे पड़ना

इसके अलावा इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) पर असामान्य परिणाम को ब्रुगाडा सिंड्रोम का प्रमुख संकेत माना जाता है। ईसीजी, हृदय की विद्युत गतिविधि को मापने का परीक्षण होता है।

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ब्रुगाडा सिंड्रोम का कारण - Brugada syndrome causes in Hindi

ब्रुगाडा सिंड्रोम, हृदय गति की अनियमितता से संबंधित रोग है। मुख्यरूप से यह समस्या एससीएन5ए नामक जीन में किसी प्रकार के दोष के कारण होती है। कुछ लोगों में अन्य जीनों में उत्परिवर्तन के कारण भी यह समस्या हो सकती है। वैसे तो यह एक आनुवंशिक स्थिति है, लेकिन कुछ लोगों में यह जीन की समस्या के आनुवंशिक कारणों के बिना भी विकसित हो सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक आनुवंशिक दोष के कारण हृदय मांसपेशियों की कोशिकाओं द्वारा सोडियम का नियंत्रण असामान्य हो जाता है, जिससे हृदय की गति प्रभावित हो जाती है।

कुछ लोगों में ब्रुगाडा सिंड्रोम होने के बाद भी यह किसी भी प्रकार की समस्या का कारण नहीं होता है। हालांकि, एंटीडिप्रेसेंट और एंटीसाइकोटिक्स जैसी कुछ दवाएं बुखार और इलेक्ट्रोलाइट समस्याओं का कारण बन सकती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति में धड़कनों की अनियमितता की समस्या कुछ समय तक बनी रहती है तो यह बेहोशी का कारण बन सकती है। इतना ही नहीं यदि धड़कनों की अनियमितता ठीक नहीं होती है तो यह कार्डियक डेथ का कारण बन सकती है।

ब्रुगडा सिंड्रोम के मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं :

  • हृदय में संरचनात्मक असामान्यता, जिसका पता लगाना कठिन हो सकता है
  • शरीर को विद्युत संकेत भेजने वाले रसायनों में असंतुलन (इलेक्ट्रोलाइट्स)
  • कुछ दवाओं या कोकीन जैसे ड्रग्स का सेवन करना

ब्रुगाडा सिंड्रोम के जोखिम - Brugada syndrome complications in Hindi

ब्रुगाडा सिंड्रोम में आपातकालीन चिकित्सा और देखभाल की आवश्यकता होती है। समय पर इलाज न मिल पाने के ​कारण निम्न प्रकार के जोखिम का खतरा हो सकता है।

कार्डियक अरेस्ट

ब्रुगाडा सिंड्रोम में यदि रोगी को तुरंत इलाज न मिल पाए तो हृदय के कार्यों का रुक जाना, सांस या​ फिर चेतना की समस्या हो सकती है। यह समस्याएं अक्सर सोते समय होती हैं। हालांकि, यदि रोगी को त्चरित और उचित चिकित्सा प्राप्त हो जाए तो जीवन को बचाया जा सकता है।

बेहोशी

यदि आपको ब्रुगडा सिंड्रोम की समस्या है और आप बेहोश हो गए हैं, तो इस अवस्था में आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

पुरुषों को अधिक खतरा

महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ब्रुगाडा सिंड्रोम का खतरा अधिक होता है।

ब्रुगाडा सिंड्रोम का निदान - Diagnosis of Brugada syndrome in Hindi

यदि किसी व्यक्ति में उपरोक्त बताए गए लक्षण नजर आते हैं तो उसमें ब्रुगाडा सिंड्रोम होने का खतरा हो सकता है। इसके अलावा स्थिति के निदान के लिए डॉक्टर आपसे मेडिकल हिस्ट्री के साथ यह जानने की कोशिश करते हैं कि परिवार में किसी को पहले ब्रुगाडा सिंड्रोम की समस्या तो नहीं थी? ब्रुगाडा सिंड्रोम की पुष्टि के लिए डॉक्टर निम्न परीक्षणों की सलाह दे सकते हैं।

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)

हृदय में विद्युत संकेतों का पता लगाने के लिए ईसीजी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इससे हृदय की गति और संरचनाओं में समस्या का पता लगाने में मदद मिल सकती है। यदि परीक्षण के दौरान दिल की धड़कन सामान्य है, तो डॉक्टर एक पोर्टेबल ईसीजी का आदेश दे सकते हैं। इस तरह के परीक्षण को 24 घंटे का होल्टर मॉनिटर कहा जाता है। यदि आपमें ब्रुगाडा सिंड्रोम के लक्षण हैं, लेकिन प्रारंभिक ईसीजी और 24 घंटे का होल्टर टेस्ट सामान्य आता है, तो डॉक्टर हृदय की धड़कन की असामान्यता को ठीक करने के लिए नसों के माध्यम से दवाएं दे सकते हैं।

इकोकार्डियोग्राम

इकोकार्डियोग्राम के दौरान ध्वनि तरंगों का उपयोग करते हुए हृदय की स्थिति का पता लगाया जाता है। वैसे तो इस टेस्ट के माध्यम से ब्रुगाडा सिंड्रोम का निदान नहीं किया जा सकता है। हालांकि, यह हृदय से जुड़ी संरचनात्मक समस्याओं के बारे में संकेत देता है।

इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी परीक्षण

यदि ईसीजी में ब्रुगाडा सिंड्रोम के लक्षण दिखते हैं या फिर आपको अचानक कार्डियक अरेस्ट जैसे लक्षणों का अनुभव होता है तो डॉक्टर इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।

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ब्रुगाडा सिंड्रोम का इलाज - Treatment of Brugada syndrome in Hindi

ब्रुगाडा सिंड्रोम का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपायों को प्रयोग में लाकर ब्रुगाडा सिंड्रोम के खतरनाक परिणामों को नियंत्रित किया जा सकता है। इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डिफिब्रिलेटर (आईसीडी) नामक चिकित्सा उपकरण के माध्यम से होने वाली आकस्मिक मृत्यु के खतरे को कम किया जा सकता है। यदि इस उपकरण के माध्यम से एरिथमिया के शुरुआती लक्षणों का पता चलता है तो यह डिवाइस शॉक उत्पन्न करके हृदय गति को सामान्य करने का प्रयास करती है।

इसके अलावा दवाओं के माध्यम से भी एरिथमिया को रोकने में भी मदद मिल सकती है। कार्डियक एब्लेशन को भी एक प्रभावी उपचार माना जाता है। इस प्रक्रिया में हृदय के उन ऊतकों को नष्ट करने के लिए ऊर्जा का संचार किया जाता है, जो एरिथमिया की स्थिति उत्पन्न ​कर रही होती हैं।