कोविड-19 को लेकर केंद्र सरकार बार-बार दावा करती रही है कि भारत में इस बीमारी का कम्युनिटी ट्रांसमिशन यानी सामुदायिक प्रसार नहीं हुआ है। दूसरी तरफ, वैज्ञानिक और मेडिकल विशेषज्ञ सरकार के इस दावे को बार-बार खारिज करते रहे हैं। बीते कुछ समय के दौरान कई विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण कम्युनिटी ट्रांसमिशन के लेवल पर पहुंच चुका है। इस सिलसिले में अब देश में डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह अब इस बात को स्वीकार करे कि भारत में कोविड-19 कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज पर पहुंच गई है। इसके अलावा, आईएमए के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने यह भी कहा कि भारत में कोविड-19 की वैक्सीन (स्वदेशी) का इस्तेमाल 2020 के बाद ही किया जा सकेगा।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, आईएमए के तहत आने वाले अस्पतालों के बोर्ड के चेयरमैन डॉ. वीके मोंगा ने कहा है, 'कोविड-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने लायक वैक्सीन 2020 के बाद ही बन पाएगी। वायरल इन्फेक्शन के लिए वैक्सीन विकसित करना एक लंबी प्रक्रिया है और इन संक्रमणों के खिलाफ इम्यूनिटी कम समय की होती है। दूसरी अहम बात यह कि वायरस तेजी से बदलते (म्यूटेशन) हैं। इसलिए वैक्सीन बनाने वालों को यह नहीं पता होता कि किस देश में वायरस कौन से म्यूटेशन के साथ मौजूद है।' डॉ. मोंगा ने कहा कि वैक्सीन तैयार करना कोई राजनीतिक फैसला नहीं है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को विकसित करने के लिए कई प्रकार की स्टेजों से गुजरना पड़ता है।

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आईएमए के वरिष्ठ पदाधिकारी ने यह भी कहा कि कोविड-19 के 80 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं। उन्होंने बताया, 'ये मरीज अपनेआप ठीक हो जाते हैं। होम आइसोलेशन में रहना सही है।' डॉ. मोंगा के मुताबिक, लोगों के मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की वजह से भी रिकवरी में बढ़ोतरी हुई है। यहां उन्होंने साफ किया कि कोविड-19 का इलाज उपलब्ध नहीं होने के चलते प्लाज्मा थेरेपी एक विकल्प जरूर है, लेकिन वैक्सीन की जरूरत को कम नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, 'कोविड-19 के मामले में केवल वैक्सीन या इम्यूनिटी ही इस बीमारी को मात दे सकती है।'

वहीं, वायरस के प्रसार पर बोलते हुए डॉ. मोंगा ने कहा कि इसका कम्युनिटी ट्रांसमिशन भारत में पहले ही शुरू हो चुका था। उन्होंने मजदूरों के पलायन और मरीजों की पहचान के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को जारी नहीं रखने जैसे कदमों को कोविड-19 के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बड़ी वजह बताया। आईएमए के प्रतिनिध ने कहा, 'हम निस्संदेह कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में आ चुके हैं। शायद सरकार इसे स्वीकार न करे, लेकिन आप देखें कि लोग किस तरह संक्रमित हो रहे हैं। कई बुजुर्ग महीनों से अपने घरों से बाहर निकले ही नहीं हैं, इसके बाद भी वे संक्रमण की चपेट में आए हैं। ऐसी कई महिलाएं हैं जो केवल सब्जियां खरीदने के लिए हफ्ते में एक ही बार बाहर निकली हैं और कोविड-19 का संक्रमण लेकर वापस लौटीं।'

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डॉ. मोंगा ने आगे कहा, 'अधिकारी हरेक मरीज के संपर्क में आए लोगों से संपर्क कर उनकी ट्रेसिंग नहीं कर पाए हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि जनसंख्या का बड़ा हिस्सा असिम्प्टोमैटिक है और उसने टेस्ट नहीं करवाया है। अभी कुछ ही दिन पहले केरल सरकार ने यह माना है कि उसके यहां कुछ जिलों में वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हुआ है, जबकि दिल्ली और महाराष्ट्र के मुकाबले वहां कोरोना मामलों की संख्या काफी कम है।'

डॉ. मोंगा ने बताया कि मरीजों की संख्या से ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि संक्रमण किस प्रतिशत में बढ़ रहा है। शुरुआत में चार से पांच प्रतिशत सैंपल पॉजिटिव निकल रहे थे। जून में यह पहले छह प्रतिशत और फिर आठ प्रतिशत हो गया। डॉ. मोंगा ने कहा, 'जुलाई के शुरुआती दो हफ्तों में तो यह दस प्रतिशत से अधिक हो गया है, जो एक चिंताजनक संकेत है कि देश में संक्रमण के मामले और ज्यादा हो सकते हैं। अगर संक्रमण की दर स्थिर रहती तो टेस्टों की संख्या बढ़ने के साथ वह नीचे जाती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। टेस्टों के साथ-साथ पॉजिटिविटी रेट भी बढ़ता गया है। इसका मतलब है कि मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि बड़ी संख्या में मरीज रिकवर भी हो रहे हैं।'

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आईएमए के प्रतिनिधि के रूप में डॉ. मोंगा ने जो बात कही, उसे देश के अन्य मेडिकल संस्थानों के डॉक्टरों ने भी माना है। सर गंगाराम हॉस्पिटल के सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि वे सौ प्रतिशत आश्वस्त हैं कि भारत में कोविड-19 का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है और ऐसा पिछले कुछ समय से हो रहा है। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में डॉ. अरविंद ने कहा, 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन कुछ समय से हो रहा है। यह पहले कुछ इलाकों में देखने को मिला। मिसाल के लिए मुंबई के धारावी और दिल्ली कुछ इलाकों में सामुदायिक स्तर पर ट्रांसमिशन हुआ। ऐसे कई मामले हैं जिनमें आप नहीं बता सकते कि मरीज किसके के संपर्क में आकर संक्रमित हुआ।'

इसके बाद डॉ. अरविंद ने कहा, 'इसलिए मैं आईएमए के आंकलन से सौ फीसदी सहमत हूं कि भारत में अब (कोरोना वायरस का) कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। लेकिन इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं है। देश में जिस तरह से केस बढ़ रहे हैं, उससे हर कोई यह अनुमान लगा सकता है। यानी ये कोई नई खोज नहीं है। आईएमए ने यह बात सिर्फ इसलिए कही ताकि हर किसी का ध्यान इस ओर जाए।'


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें केंद्र सरकार अब कोविड-19 के कम्युनिटी ट्रांसमिशन को स्वीकार करे, आईएमए की सरकार से अपील है

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