वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि दो से तीन किलो वजन कम करने से भी टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है। इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ एंगलिया और नोरफॉक एंड नॉरविच यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों ने बड़े पैमाने पर किए एक शोध आधारित अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है। इसे जानी-मानी मेडिकल पत्रिका जामा इंटर्नल मेडिसिन ने प्रकाशित किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन बताता है कि कैसे प्रीडायबीटिक लोग अपने लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव कर इस खतरे को लगभग आधा कर सकते हैं। बता दें कि प्रीडायबिटीज एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें शरीर में ब्लड शुगर ज्यादा हो जाता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं होता कि व्यक्ति टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त हो जाए। हालांकि टाइप 2 डायबिटीज से डायग्नॉस होने का खतरा उनमें बना रहता है। ऐसे लोगों के लिए यह नई जानकारी काफी काम की हो सकती है।

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  1. 8 वर्ष तक हुए क्लिनिकल ट्रायल
  2. कैसे किया गया अध्ययन और क्या मिले परिणाम?

खबर के मुताबिक, इस अध्ययन को डायबिटीज की रोकथाम को लेकर किया गया पिछले 30 सालों का सबसे बड़ा अध्ययन बताया गया है। इसमें वैज्ञानिकों ने आठ सालों से भी ज्यादा समय तक क्लिनिकल ट्रायल किए हैं। इसके लिए 1,000 से ज्यादा ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जो प्रीडायबीटिक थे और उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा काफी ज्यादा था। इनके परीक्षणों के परिणामों के हवाले से वैज्ञानिकों ने कहा है कि जीवनशैली में साधारण परिवर्तन करने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा उन लोगों 40 से 47 प्रतिशत तक कम हो जाता है, जिन्हें प्रीडायबिटीज की श्रेणी में रखा जाता है। इन परिवर्तनों में शरीर का वजन दो से तीन किलो कम करना और दो साल से अधिक समय तक फिलिजकल एक्टिविटी में बढ़ोतरी करना प्रमुख रूप से शामिल है।

इस जानकारी के लिए शोधकर्ताों ने प्रतिभागियों के लाइफस्टाइल में साधारण से हस्तक्षेप किए। इससे लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने में मदद मिली, जिससे वे वजन कम करने और अपनी फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाने में कामयाब रहे। यहां महत्वपूर्ण बात यह देखी गई कि एक बार बदलाव होने के बाद वे कम से कम दो सालों तक बने रहे और प्रतिभागियों का कम हुआ वजन भी नहीं बढ़ा। इससे यह बात पुख्ता हुई है कि वास्तविक जीवन में आपका लाइफस्टाइल प्रोग्राम टाइप 2 डायबिटीज को कम करने में मदद कर सकता है।

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शोधकर्ताओं ने 2011 से 2018 के बीच चले इस अध्ययन में 135 से ज्यादा जनरल प्रैक्टिस कर एक लाख 44 हजार लोगों की पहचान की, जिनमें टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा डेवलेप हो गया था। स्क्रीनिंग के लिए 13 हजार लोगों का फास्टिंग ग्लूकोस और ग्लाइकोसाइलेटिज हेमोग्लोबिन ब्लड टेस्ट किया गया, यह पता करने के लिए वे प्रीडायबिटीज की चपेट में है या नहीं। बाद में इस कंडीशन के खतरे वाले 1,000 से ज्यादा लोगों को रैंडमाइज्ट कंट्रोल ट्रायल में शामिल किया गया और उनकी जीवनशैली में बदलाव किए गए। वहीं, ऐसा करने पर मिलने वाले परिणामों की तुलना के लिए एक अन्य ग्रुप को केवल फॉलोअप के लिए रखा गया। 

इस बारे में अध्ययन से जुड़े एक शोधकर्ता प्रोफेसर मैक्स बैचमन ने बताया, 'जीवनशैली में बदलाव करने से हर 11 प्रतिभागियों में से कम से कम एक में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो गया था, जो वाकई में एक बड़ी कामयाबी है।' इस पर एक और शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के प्रोफेसर कॉलिन ग्रीव्स ने कहा, 'अगर आप प्रीडायबिटीज से डायग्नॉस है तो यह अप्रोच टाइप 2 डायबिटीज के खतरे से निकालकर आपके जीवन को एक नई दिशा और स्वस्थ भविष्य देने का काम कर सकती है।'

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