पोम्पे रोग क्या है?

पोम्पे रोग तब होता है, जब शरीर की कोशिकाओं में ग्लाइकोजन नामक काम्प्लेक्स शुगर इकट्ठी होने लगती है। शरीर उस प्रोटीन का निर्माण नहीं कर पाता जो इस शुगर को तोड़ने में मदद करता है, इसीलिए ये शुगर मांपेशियों और अंगों में जमा होकर उन्हें नुकसान पहुंचाने लगती है। पोम्पे रोग के कारण मांसपशियों में कमजोरी और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और यह समस्या अधिकतर दिल, लिवर और मांसपेशियों को ही प्रभावित करती है। पोम्पे रोग को "टाइप 2 ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज" भी कहा जाता है।

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पोम्पे रोग के लक्षण क्या हैं?

पोम्पे रोग के कई लक्षण होते हैं, जैसे मांसपेशियों की कमजोरी, सुनने में समस्याएं, मांसपेशियों का खिंचाव कम होना, श्वसन तंत्र में संक्रमण, लिवर बढ़ना, सांस लेने में समस्याएं और वजन न बढ़ा पाना, आदि।

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पोम्पे रोग क्यों होता है?

ग्लाइकोजन को तोड़ने के लिए शरीर में मौजूद एक विशेष जीन "एसिड मैलटेस" एंजाइम का निर्माण करती है। ये एंजाइम ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में तोड़ता है ताकि कोशिकाओं को काम करने की ऊर्जा मिल सके। इसे बनने वाली जीन में कुछ बदलाव होने के कारण एंजाइम का निर्माण नहीं हो पाता और ग्लाइकोजन जमा होने लगती है, जिससे पूरे शरीर के अंगों और ऊतकों को नुकसान पहुंचता है।

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पोम्पे रोग का इलाज कैसे होता है?

बच्चों में पोम्पे रोग का इलाज जल्द शुरू करने से, इसके कारण होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। शरीर में मौजूद शुगर को पचाने और प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए दो प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिन्हें इंजेक्शन के द्वारा दिया जा सकता है। आप चाहें तो इसके लिए किसी कॉउंसलर के पास भी जा सकते हैं ताकि वे आपको सही सलाह दे सकें।

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