पिछले कुछ वर्षों में शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि बहुत ज्यादा स्ट्रेस या दुख होने की वजह से दिल टूट सकता है। हालांकि, ऐसा कम मामलों में देखा जात है लेकिन स्ट्रेस या दुख किसी अपने को खोने की वजह से ही नहीं होता है। इसके बजाय दुख और स्ट्रेस नौकरी खोने या जिंदगी से जुड़ी अन्य समस्याओं की वजह से भी हो सकता है। इसे चिकित्सकीय भाषा में टाकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी कहते हैं। यह मुख्य रूप से महिलाओं को प्रभावित करता है।

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  1. कमजोर होती हैं हार्ट की मांसपेशियां
  2. हार्ट अटैक जैसा महसूस होता है
  3. हृदय की ऊतकों को नुकसान होता है
  4. यह समस्या जानलेवा हो सकती है
  5. महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं
  6. अवसाद से होती है यह समस्या

विशेषज्ञों का कहना है कि अचानक किसी बात को लेकर यदि तनाव हो जाए तो दिल की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। उदाहरण के रूप में समझें कि अगर आपको अचानक कोई बुरी खबर मिली तो आप परेशान हो जाते हैं। इसी तरह अचानक किसी चीज से डर लगने की वजह से भी ऐसा हो सकता है। यदि किसी ने तुम पर बंदूक तान दी तो अचानक स्ट्रोक आ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि 10 में से 9 मामलों में दिल टूटना स्ट्रेस के लिए जिम्‍मेदार होता है।

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दिल टूटने पर हार्ट अटैक जैसा महसूस हेाता है। हालांकि हार्ट अटैक में दिल की धमनियां ब्लाॅक हो जाती हैं। जबकि दिल टूटने पर ऐसा नहीं होता है। विशेषज्ञों के अुनसार दिल टूटने पर दिल की मांसपेशियों को हमेशा रहने वाला नुकसान नहीं पहुंचता है।

विशेषज्ञ आगे कहते हैं कि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (स्ट्रेस की वजह से हृदय को अस्थाई नुकसान) से ग्रस्‍त मरीजों में हृदय धमनियों की एंजियोग्राम करने पर पता चला कि उनके कोरोनरी धमनियों में किसी तरह का ब्लाॅकेज नहीं है।

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स्ट्रेस की वजह से जब दिल टूटता है तो इससे हृदय के ऊतकों को भी नुकसान होता है। हालांकि यह बदलाव अस्थाई रूप से होता है। कहने का मतलब है कि हृदय की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, लेकिन पूरी तरह नष्ट नहीं होती हैं। इसके बावजूद इस समस्या के प्रति सजग रहकर इससे बचा जा सकता है।

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विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रेस की वजह से दिल टूटने पर लोग ट्रॉमा में चले जाते है। उन्हें स्ट्रोक होने की आशंका बढ़ जाती है। 2009 में अमेरिकन जरनल आफ कार्डियोलाॅजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार यह समस्या गर्मियों के मौसम में ज्यादा होता है। जबकि हार्ट अटैक के मामले सर्दियों के दिनों में ज्यादा देखे जाते हैं।

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अभी तक इस बात का पता तो नहीं चला कि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम पुरूषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा प्रभावित क्यों करता है। खासकर मेनोपाॅज होने के बाद यह समस्या उनमें बढ़ जाती है। माना जाता है कि एस्ट्रोजन इसके लिए जिम्मेदार है। विशेषज्ञों के अनुसार महिलाओं का एड्रेनलाइन रिसेप्टर्स पुरूषों से भिन्न होता है। शायद महिलाओं में दिल टूटने की यह एक वजह है।

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दिल टूटने की एक वजह अवसाद भी है। हालांकि कुछ मामलों में इसके लिए दवाईयों को भी जिम्मेदार माना गया है। एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों को यह समस्या होती है, उनके दोस्तों का कहना है कि अवसाद की वजह से उनका दिल टूटा है।

कुल मिलाकर कहने की बात यह है कि स्ट्रेस या दुख होने की वजह से दिल टूट सकता है। इसके लिए आप यही कोशिश करें कि अवसाद, दुख आदि से दूर रहें।

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