एचआईवी संक्रमण से पीड़ित बच्चों के लिए डोलुटेग्रेवर के रूप में पहली इन्फेंट फॉर्मुलेशन दवा जल्दी ही उपबल्ध होगी। इस दवा को कई फार्मास्यूटिकल कंपनियों और वैश्विक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के तहत किए गए एक समझौते के तहत एचआईवी पीड़ित बच्चों के लिए मुहैया कराया जाएगा। एचआईवी की रोकथाम के लिए इस्तेमाल होने वाली यह प्रथम श्रेणी की दवा स्ट्रॉबेरी फ्लेवर के साथ बच्चों के लिए बाजार में लाई जाएगी। टेबलेट के रूप में आने वाली यह दवा पानी या जूस में घोली जा सकती है ताकि बच्चे लिक्विड के रूप में इसे आसानी से निगल सकें।

गौरतलब है कि हर साल करीब एक लाख 60 हजार बच्चे एचआईवी से संक्रमित होते हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे अफ्रीका महाद्वीप के देशों से होते है, जो जन्म के समय या ब्रेस्टफीडिंग के जरिये वायरस का शिकार होते हैं। उनकी मांओं को नहीं पता होता कि वे एचआईवी से संक्रमित हैं, जिसके चलते वे अनजाने में वायरस बच्चों को ट्रांसफर कर देती हैं। चूंकि अफ्रीका में स्वास्थ्यगत ढांचे की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है, लिहाजा बच्चों की टेस्टिंग और ट्रीटमेंट नहीं हो पाते। नतीजतन, आधे से ज्यादा नवजातों की दो साल की उम्र होने तक मौत हो जाती है और 80 प्रतिशत एचआईवी पीड़ित नवजात पांच साल की उम्र तक पहुंचने से पहले ही मर जाते हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, हर साल करीब 80 हजार शिशुओं और नवजातों की एड्स संबंधी बीमारियों के चलते मौत हो जाती है।

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एचआईवी से बच्चों की जल्दी मौत होने का एक कारण यह भी है कि उन्हें एचआईवी से जुड़ी दवाएं देना मुश्किल है। ऐसे कई ड्रग्स का स्वाद कड़वा होता है, जिन्हें शिशु मुंह में लेते ही निकाल देते हैं। फिर ये ड्रग्स पिल के रूप में बनते हैं, जिन्हें वे निगल नहीं सकते। इसके अलावा, एचआईवी की कई दवाएं अल्कोहल आधारित सिरप होते हैं, जिन्हें रेफ्रिजरेट करने की आवश्यकता होती है। सुविधाओं की कमी के चलते ऐसा करना भी संभव नहीं होता। ऐसे में स्ट्रॉबेरी के रूप में घुलनशील ड्रग्स विकसित करना अपनेआप में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार दि न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक गाइडलाइंस पैनल के नेता और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मैलमेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक शाखा आईसीएपी के चीफ ऑफ पेडियाट्रिक्स डॉ. एलेन अबराम्स कहते हैं, 'यह वाकई में एक बड़ी सफलता है। बच्चों के इलाज के लिए इस समय उपलब्ध उत्पाद सबसे अच्छे स्तर के नहीं हैं। कुछ नए फॉर्मुलेशन जरूर आए हैं, लेकिन वे उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं रहे हैं।'

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वहीं, अंतरराष्ट्रीय मानवीय गैर-सरकारी संगठन डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के सदस्य और फार्मासिस्ट जेसिका बुर्रे का मानना है, 'यह बहुत अच्छी खबर है कि अब हमारे पास बच्चों के लिए भी डोलुटेग्रेवर है।' गौरतलब है कि हाल में एक अध्ययन में पता चला है कि डोलुटेग्रेवर एचआईवी के उन मरीजों के लिए सबसे अच्छा प्राथमिक मेडिकेशन है, जिनमें इस संक्रमण की नई-नई पहचान हुई है। एचआईवी ग्रस्त नवजात इस श्रेणी में आते हैं।

मेडिकल जानकारों ने कहा है कि कई सालों से एचआईवी के नए मरीजों के प्राथमिक इलाज के रूप में डोलुटेग्रेवर के इस्तेमाल को लेकर स्पष्टता नहीं रही थी, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि कर दी है। इस संबंध में उनके अध्ययन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मान्यता दी है, जो पहले ही एचआईवी के एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट की अपनी गाइडलाइंस में बदलाव कर उसमें डोलुटेग्रेवर को शामिल कर चुका है। ऐसे में एड्स पीड़ित नवजातों के लिए इस दवा का तैयार होना मेडिकल जानकारों के लिए उत्साहजनक है। हालांकि एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि बच्चों के लिए मुफीद होने के बावजूद दवा को बच्चे की आयु एक महीना होने से पहले नहीं दिया जा सकता। इसका मतलब है कि एचआईवी से पीड़ित नवजात बच्चों के लिए एक सिरप की जरूरत अभी भी बनी हुई है।

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फिर भी डोलुटेग्रेवर के इस्तेमाल से बच्चों में एड्स की रोकथाम में कुछ न कुछ सफलता मिलने की उम्मीद लगाई जा सकती है। एनवाईटी ने बताया कि पिछले साल एचआईवी ग्रस्त नवजात बच्चों के लिए स्ट्रॉबेरी फ्लेवर में ही चार पुराने एचआईवी ड्रग्स को लॉन्च किया गया था। दूध में मिलाकर दी जाने वाली इन दवाओं का साल का खर्च 365 डॉलर यानी करीब 27 हजार रुपये पड़ता है। लेकिन बच्चों के लिए तैयार की गई नई डोलुटेग्रेवर के लिए साल में केवल 2,500 रुपये से कुछ ज्यादा का खर्च आएगा। यहां बता दें कि इस दवा का उत्पादन भारत की एक कंपनी मैकलियोड्स फार्मास्यूटिकल्स और नीदरलैंड की फार्मा कंपनी माइलेन द्वारा किया जाएगा।

एचआईवी से ग्रस्त वयस्कों के इलाज में इस्तेमाल होती रही डोलुटेग्रेवर के नए यूजेबल फॉर्म को लेकर कई डॉक्टर उत्साहित हैं। इनमें अफ्रीका में एचआईवी के पीड़ित बच्चों का इलाज कर रहे चिकित्सक प्रमुख रूप से शामिल हैं। इस बारे में डॉ. अबराम्स का कहना है कि डॉक्टरों की इस उत्सुकता की वजह डोलुटेग्रेवर का एंटीरेट्रोवायरल्स ड्रग्स की श्रेणी से संबंध होना है। इस श्रेणी की दवाओं को इंटीग्रेस इनहिबिटर्स कहते हैं, जो वयस्कों में एचआईवी की रोकथाम का काम प्रभावी ढंग से करती है, जो अब तक बच्चों के लिए उपलब्ध नहीं थी। हालांकि अब स्ट्रॉबेरी फ्लेवर के साथ यह नए घुलनशील फॉर्मुलेशन के साथ उपलब्ध होने वाली है।

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