हाइडेटिड रोग - Hydatid Disease in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

December 19, 2019

March 06, 2020

हाइडेटिड रोग
हाइडेटिड रोग

हाइडेटिड डिजीज को हाइडेटिडोसिस (Hydatidosis) या एकाइनिकॉकोसिस (Echinococcosis) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक विशेष पैरासाइट से होने वाला गंभीर संक्रमण है, जो संभावित रूप से मरीज के जीवन के लिए घातक हो सकता है। हाइडेटिड रोग मुख्य रूप से लिवर और फेफड़ों में होता है, कुछ मामलों में यह मस्तिष्क व अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। इस रोग में शरीर के किसी अंग (जैसे कि लिवर) में सिस्ट (Cyst) बनने लग जाती है, जिसमें परजीवी के अंडे (लार्वा) होते हैं।

हाइडेटिड रोग के लक्षण क्या हैं?

इस रोग में विकसित होने वाले लक्षण मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करते हैं कि सिस्ट शरीर के किस अंग में विकसित हुई है और इसका आकार कितना बड़ा है। इस रोग में सबसे ज्यादा लिवर प्रभावित होता है और फिर उसके बाद फेफड़ों के मामले देखे गए हैं, इसलिए हाइडेटिड रोग में इन अंगों से संबंधित लक्षण विकसित हो सकते हैं।

जहां पर सिस्ट विकसित हो रही है, उसके आस-पास के ऊतकों में सूजन व लालिमा विकसित हो सकती है और एक रेशेदार झिल्ली विकसित हो जाती है। यदि सिस्ट की बाहरी परत पर कैल्शियम की परत जम जाती है, तो हो सकता है कि किसी प्रकार के लक्षण विकसित न हो पाएं।

इसके अलावा यदि सिस्ट पेट के किसी हिस्से में विकसित हुई है, तो ऐसे मामलों में कई बार सिस्ट को बढ़ने के लिए काफी जगह मिल जाती है। ऐसी स्थिति में सिस्ट का आकार काफी बढ़ जाता है और उसमें कई लीटर तक द्रव जमा हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जी मिचलाना, उल्टी आना और प्रभावित हिस्से में दर्द रहना आदि लक्षण हो सकते हैं। यदि यह सिस्ट फूट जाए तो मरीज के लिए जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है।

हाइडेटिड रोग क्यों होता है?

हाइडेटिड रोग एक परजीवी संक्रमण है, जो जीनस एकाइनोकॉकस के टेपवर्म (फिता कृमि) से होता है। यह एक हानिकारक रोगजनक परजीवी है, जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। यह मनुष्यों में आमतौर पर संक्रमित कुत्तों के मल के संपर्क में आने से होता है, क्योंकि इनके मल में टेपवर्म के अंडे मौजूद होते हैं।

टेपवर्म या उनके अंडों से संपर्क मुख्य रूप से भोजन, पानी और जानवरों के बाल आदि से होता है। संक्रमित कुत्तों की पूंछ व गुदा के आस-पास के बालों में टेपवार्म के अंडे चिपके रह जाते हैं और उन्हें उठाने या हाथ लगाने से ये अंडे हाथों पर लग जाते हैं। खाना खाने, पानी पीने या सामान्य तौर पर मुंहं पर हाथ लगाने से ये अंडे मुंह तक पहुंच कर शरीर के अंदर चले जाते हैं।

हाइडेटिड रोग का इलाज कैसे किया जाता है?

हाइडेटिडोसिस का इलाज मुख्य रूप से सिस्ट के आकार और उसकी जगह के अनुसार अलग-अलग तरीके से किया जाता है, इसलिए कुछ मामलों में इसका इलाज करना जटिल हो जाता है। इसके इलाज में कुछ प्रकार की दवाएं शामिल हैं, जो टेपवर्म को नष्ट कर देती हैं। इसके इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में मुख्य रूप से मेबेंडाजोल (Mebendazole) और एल्बेंडाजोल (Albendazole) शामिल हैं। कुछ मामलों में दवा को इंजेक्शन की मदद से सीधा सिस्ट में भी डाला जा सकता है। इतना ही नहीं कुछ गंभीर मामले जिनमें सिस्ट का आकार अधिक बढ़ गया है, तो उनमें सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। सर्जरी से सिस्ट को निकाल दिया जाता है, लेकिन इससे शरीर में अन्य सिस्ट विकसित होने से रोकथाम नहीं की जा सकती। ऐसी अभी तक किसी ऐसे टीके या दवा का निर्माण नहीं हो पाया है, जिसकी मदद से हाइडेटिड रोग से बचाव किया जा सके। 

हालांकि कुछ मामलों में व्यक्ति का इलाज करने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन लंबे समय तक उसको निरीक्षण में रखा जाता है, इस प्रक्रिया को “वेट एंड सी स्ट्रेटेजी” कहा जाता है।

(और पढ़ें - टेपवर्म संक्रमण के लक्षण)



संदर्भ

  1. Dew, Harold R. Hydatid Disease. Its Pathology, Diagnosis and Treatment. Book : Hydatid Disease. Its Pathology, Diagnosis and Treatment. 1928 pp.429
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